- हाजमोला कैंडी को आयुर्वेदिक दवा पर 12 फीसदी, साधारण कैंडी पर 18 फीसदी जीएसटी लगेगा नई दिल्ली (ईएमएस)। देश की प्रमुख आयुर्वेदिक उत्पादक कंपनी, डाबर इंडिया, की प्रमुख आयुर्वेदिक उत्पादक कंपनी हाजमोला कैंडी टैक्स विवाद में फंस गई है। हाल ही में, डबलूडीजीआई कोयंबटूर जोन की जांच के अनुसार, डाबर की हाजमोला कैंडी को आयुर्वेदिक दवा या साधारण कैंडी की श्रेणी में कैसे शामिल किया जाए, इस पर जांच की जा रही है। इस मुद्दे पर तेजी से बढ़ती उत्पत्ति के पीछे भारत के कुछ सबसे जाने-माने आयुर्वेदिक उत्पादकों में छिड़ने की आशंका है। हाजमोला कैंडी को आयुर्वेदिक दवा मानने पर 12 फीसदी जीएसटी लागू होगा, जबकि साधारण कैंडी पर 18 फीसदी जीएसटी लगेगा। डाबर कंपनी का दावा है कि हाजमोला कैंडी को पाचन में मदद करने के लिए बनाया गया है, और इसे एक आयुर्वेदिक दवा की समृद्धि में दर्ज करना चाहिए। पहले भी, डाबर ने हाजमोला कैंडी को आयुर्वेदिक दवा में मानने की आवश्यकता के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी और उसे सफलता मिली थी। विवादित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है और सरकार को यह सोचने पर मजबूर कर रही है कि आयुर्वेदिक उत्पादों की पहचान कैसे करना चाहिए। ज्यादातर आयुर्वेदिक उत्पादक कंपनियों के लिए यह जीएसटी निर्धारण एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। कुछ समय पहले एक दूसरी विवादित केस के रूप में, स्नैक मेनूफैक्चरिंग कंपनी रेडी-टू-ईट पॉपकॉर्न को लेकर भी एक विवाद उठा था। इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट रूप से इसे स्नैक खाद्य की श्रेणी में शामिल किया था। इसके बाद, जेएसटी परिषद ने पॉपकॉर्न पर एक अलग टैक्स रेट निर्धारित किया था। अब हाजमोला कैंडी का मामला यहां आमने-सामने है, और उसकी तथ्यात्मक जांच करने के लिए सरकार को यह निर्णय जल्दी से लेना होगा। सतीश मोरे/12अप्रेल ---