क्षेत्रीय
12-Apr-2025
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_* _*मोगरे, गुलाब ऒर फूलों की खुशबू और जयकारों से गूंजा पर्वत, ‘फायर लाइटिंग’ बनी आकर्षण का केंद्र*_ _*गुना (ईएमएस)|*_ जिले के प्रमुख धार्मिक स्थल हनुमान टेकरी मंदिर पर शनिवार को हनुमान जयंती के अवसर पर आस्था की ऐसी बेमिसाल तस्वीर देखने को मिली, जो वर्षों तक श्रद्धालुओं के दिलों में बनी रहेगी। भक्तों का उत्साह, मंदिर की अलौकिक सजावट और प्रशासन की चुस्त व्यवस्था ने इस पर्व को यादगार बना दिया। हनुमान जयंती के खास मौके पर श्रद्धालुओं की आमद इतनी अधिक रही कि मंदिर परिसर मंगलवार की भोर से ही भक्तों से खचाखच भर गया। उत्सव की शुरुआत अलसुबह 4:15 बजे की मंगला आरती से हुई, लेकिन श्रद्धालुओं का आना रात 2 बजे से ही शुरू हो गया था। रात 3:30 बजे तक मंदिर का मुख्य हॉल पूरी तरह भर गया, जिसके बाद श्रद्धालुओं को बाहर रुकना पड़ा। पूरे परिसर में ‘जय श्री राम’ और ‘जय बजरंगबली’ के गगनभेदी जयघोष गूंजते रहे। _*फूलों से सजा दरबार, दिव्य हुआ माहौल*_ इस वर्ष हनुमान टेकरी मंदिर को बेहद खास अंदाज में सजाया गया। मुख्य गर्भगृह को मोगरे के फूलों से सजाकर शीतल वातावरण तैयार किया गया, जबकि पूरे मंदिर परिसर में गेंदे, आर्किड, डच गुलाब, कार्लीसन जैसे महंगे और दुर्लभ फूलों से श्रृंगार किया गया। विशेष रोशनी की व्यवस्था के तहत ‘फायर लाइटिंग’ तकनीक का प्रयोग किया गया, जो रात के अंधेरे में पटाखों जैसी रोशनी बिखेर रही थी। हर कोना भक्तिमय नजर आ रहा था। _*प्रशासन रहा मुस्तैद, श्रद्धालुओं ने जताया आभार*_ मंदिर में व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन और पुलिस अमला सोमवार आधी रात से ही तैनात कर दिया गया था। नगर पालिका अध्यक्ष सविता अरविंद गुप्ता और पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार सिंहा ने भी इस पावन अवसर पर मंदिर पहुंचकर आरती में भाग लिया और हनुमानजी का आशीर्वाद लिया। भक्तों ने सुव्यवस्थित प्रबंधन के लिए प्रशासन का आभार जताया। _*यातायात का रखा गया खास ध्यान*_ टेकरी मंदिर पर भीड़ को ध्यान में रखते हुए यातायात व्यवस्था को भी दुरुस्त किया गया था। रात 12 बजे से ही मंदिर तक दोपहिया वाहनों को आने की अनुमति दी गई थी, लेकिन सुबह 5:30 बजे के बाद सभी वाहनों को बायपास के पास पार्किंग में रोका गया। वहां से श्रद्धालु पैदल टेकरी पर्वत की चढ़ाई चढ़कर मंदिर तक पहुंचे। पूरे मार्ग पर पुलिस और वालंटियर तैनात रहे, ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो। हनुमान टेकरी पर हनुमान जयंती का यह आयोजन सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि श्रद्धा और भक्ति का महाकुंभ बन गया, जिसमें आस्था की नदियां पर्वत की ऊंचाई तक बहती रहीं। _*-  सीताराम नाटानी (ईएमएस)*_