भोपाल (ईएमएस)। मातृत्व स्वास्थ्य के महत्व पर जागरूकता बढ़ाने, गर्भावस्था , प्रसवकालीन और प्रसव पश्चात् देखभाल को बढ़ावा देने के लिए हर साल 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का आयोजन किया जाता है । इस अवसर पर जिले की सभी शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में महिलाओं की स्वास्थ्य जांच हेतु शिविर आयोजित किए गए।प्रसवकालीन उम्र की महिलाओं के लिए स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रमों में महिलाओं के स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न समस्याओं के लक्षण, बचाव के उपाय एवं उपचार की जानकारी दी गई । साथ ही पोषण और स्वच्छता के महत्व के बारे में भी बताया गया । स्तन कैंसर और सर्वाइकल कैंसर के लक्षणों की पहचान के बारे में भी जागरूक किया गया भारत सरकार द्वारा व्हाइट रिबन एलाइंस इंडिया के अनुरोध पर साल 2003 में कस्तूरबा गांधी की वर्षगांठ पर 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के रूप में घोषित किया गया था । आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस घोषित करने वाला भारत दुनिया का पहला देश है। इस दिन का उद्देश्य यह भी है कि मातृ मृत्यु को कम करने के प्रयासों को और तेज गति दी जावे। सरकार के प्रयासों से मृत्यु दर में कमी आई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार साल साल 2000 से लेकर 2023 के बीच में मातृ मृत्यु दर में वैश्विक स्तर पर 40% तक की कमी आई है। गर्भावस्था, प्रसव के दौरान और प्रसव पश्चात् की जटिलताओं के परिणामस्वरुप महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। इनमें से ज्यादातर जटिलताएं गर्भावस्था के दौरान विकसित होती हैं और उनमें से अधिकतर को रोका जा सकता है एवं इलाज किया जा सकता है । मातृ मृत्यु के प्रकरणों में लगभग 75 मौतें गंभीर रक्तस्राव, संक्रमण , एक्लैंपशिया और प्री एक्लैंपशिया, ऑब्स्ट्रक्टेड लेबर, असुरक्षित गर्भपात के कारण होती हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ प्रभाकर तिवारी ने बताया कि सरकार के प्रयासों एवं महिलाओं के लिए चलाए जा रहे स्वास्थ्य कार्यक्रमों के फलस्वरुप मातृ मृत्यु दर में निरंतर कमी आ रही है। जननी सुरक्षा योजना, मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता योजना, जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम , सुरक्षित मातृत्व आश्वासन कार्यक्रम एक्सटेंडेड प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, निशुल्क परिवहन सेवा जैसे कई कार्यक्रमों के सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। धर्मेन्द्र, 11 अप्रैल, 2025