11-Apr-2025
...


क्या मध्यप्रदेश की सरकार अनुराग जैन चला रहे ? : प्रदीप अहिरवार मुख्यमंत्री बताएं, उन्हें गोरकेला ड्राफ्ट की जानकारी थी, या दिल्ली से मुख्य सचिव को नए फॉर्मूले के लिए कहा गया? : प्रदीप अहिरवार गोरकेला ड्राफ्ट लागू नहीं हुआ तो प्रदेश के हर जिले में सड़कों पर विरोध के लिए उतरेंगी कांग्रेस का अनुसूचित जाति विभाग : प्रदीप अहिरवार भोपाल(ईएमएस)। मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की नीतियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनकी सरकार संवैधानिक मूल्यों और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों से पूरी तरह से विमुख हो चुकी है। यह सरकार जानबूझकर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के कर्मचारियों और अधिकारियों के संवैधानिक अधिकारों को नज़रअंदाज़ कर रही है। यह कहना भी अतिशयोक्ति नहीं होगा कि मध्यप्रदेश की सरकार को मंत्रालय की चौथी मंजिल के भाजपा के कुछ चाटूकार चुनिंदा अधिकारी चला रहे है, जिनके इशारे पर मुख्यमंत्री अजा/अजजा के हक और अधिकारों से वंचित करने का काम कर रहे है। प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने आज पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुये अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। श्री अहिरवार ने कहा कि भाजपा की तत्कालीन शिवराज सरकार द्वारा वरिष्ठ विधिवेत्ताओं के परामर्श से गोरकेला ड्राफ्ट (पदोन्नति अधिनियम 2017) बनाया गया, ताकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के अधीन लंबे समय से अवरुद्ध पदोन्नतियां राज्य के सभी वर्ग के अधिकारी कर्मचारियों को दी जा सके, ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय को सरकार द्वारा विगत 8 वर्षों से क्यों दबाकर रखा गया है? आखिरकार वे कौन लोग हैं, जो लोकहित के मामलों पर लगाम कसकर बैठे हैं, सामान्य प्रशासन विभाग के ऐसे कतिपय अधिकारियों की जांच कर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है ? श्री अहिरवार ने कहा कि गोरकेला समिति द्वारा तैयार किया गया पदोन्नति अधिनियम-2017 एक मजबूत और वैधानिक प्रारूप है, जो सुप्रीम कोर्ट के नागरज मामले के निर्णयों के अनुसार तैयार किया गया है। यह अधिनियम न केवल प्रशासनिक दक्षता, सामाजिक न्याय और प्रतिनिधित्व के सिद्धांतों पर आधारित है, बल्कि यह वर्षों से न्याय के लिए संघर्ष कर रहे लाखों अजा/अजजा वर्ग के अधिकारियों को स्थायी राहत देने वाला कालजाई दस्तावेज है। बावजूद इसके इस ड्राफ्ट को जीएडी द्वारा कभी कैबिनेट में नहीं लाया गया? आज तक यह स्पष्ट नहीं है कि इसे क्यों रोका गया, किसके इशारे पर रोका गया, और किस लाभ के लिए रोका गया? मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा हाल ही में की गई घोषणा से यह स्पष्ट हो जाता है कि माननीय मुख्यमंत्री जी कर्मचारी जगत को उनकी वर्षों से लंबित पदोन्नति की मांग को स्वीकार करते हुए उसे स्थाई हल देना चाहते हैं, तो क्या उन्हें गौरकेला कमेटी के द्वारा बनाए गए पदोन्नति नियम 2017 के बारे में जानकारी ही नहीं दी गई? और यदि मुख्यमंत्री को जानकारी थी तो उन्होंने गोरकेला ड्राफ्ट को लागू करने की बजाए नए फार्मूले की बात क्यों कि? श्री अहिरवार ने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा घोषित किया गया “नया फार्मूला” पूरी तरह से आधा-अधूरा, असंवैधानिक और अस्थायी प्रतीत होता है। क्या इस नए फार्मूले पर पुर्नविचार किया गया है? क्या इसकी विधिक स्थिति उचित है, अथवा इस प्रारूप का लाभ सर्वहारा समाज के किस तबके के लिए रखा गया है? स्वयं सरकार यह कह रही है कि यह फार्मूला सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन रहेगा, यानी भविष्य में न्यायिक विवादों की संभावना से सरकार पहले ही वाकिफ है। श्री अहिरवार ने प्रदेश की जनता के प्रति अपनी आवाज बुलंद करते हुये कहा कि क्या मंत्रालय की पांचवीं, और चौथी मंजिल पर बैठे मनुवादी अधिकारी ही इस सरकार के असली निर्णयकर्ता हैं? मुख्यमंत्री कार्यालय में बैठे लोग मुख्यमंत्री से ज्यादा ताकतवर हैं, और वही यह तय कर रहे हैं कि अजा/अजजा वर्ग को अधिकार मिलेंगे या नहीं। मुख्यमंत्री बताए उनके कार्यालय में कितने अजा/अजजा वर्ग़ के अधिकारी है? श्री अहिरवार ने कहा कि मुख्यमंत्री बताएं क्या मुख्य सचिव अनुराग जैन ने उन्हें गौरकेला ड्राफ्ट के बारे में जानकारी दी? और अगर मुख्यमंत्री को जानकारी थी, तो उन्होंने गोरकेला ड्राफ्ट जो पूर्ण विकसित अधिनियम था उसे प्रभावी क्यों नहीं बनाया? “मुख्यमंत्री बताएं, कि क्या उन्हें गोरकेला ड्राफ्ट की जानकारी है? अगर नहीं है, तो यह शासन चलाने की नाकामी है। और अगर है, तो 8 सालों में इसे कैबिनेट में क्यों नहीं लाया गया ? श्री अहिरवार ने आगे कहा, प्रदेश की जनता ने मुख्यमंत्री चुना या फिर मुख्य सचिव को चुना जो पूर्वाग्रह से ग्रसित है, और अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग की हकमारी कर रहे हैं? मुख्यमंत्री यह भी बताएं उनके कार्यालय में कितने अजा/अजजा वर्ग के अधिकारी हैं। क्या मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार को एक मनुवादी अधिकारी चला रहे है, जो वंचित वर्ग के अधिकारों को अपनी कलम से रौंद रहा है? भाजपा को बार-बार अजा/अजजा वर्ग वोट के समय ही याद करती है, और सत्ता में आने के बाद उनके अधिकारों को भुला देती है। जो इस वर्ग के साथ बहुत बड़ा धोखा है, राजनीतिक कपट है, और सामाजिक न्याय की हत्या है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस समय पूरा देश बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती की तैयारियों में जुटा है, उस समय प्रदेश की सरकार उन्हीं के बनाए संविधान के मूल्यों का अपमान कर रही है। अजाक्स जैसे बड़े प्रतिनिधि संगठन को विश्वास में लिए बिना, चुपचाप निर्णय लेना यह दर्शाता है कि यह सरकार न केवल तानाशाही रवैया अपना रही है, बल्कि अजा/अजजा वर्ग के प्रति गंभीर मानसिक भेदभाव भी रखती है। कांग्रेस अजा विभाग की प्रमुख माँगें हैं:- 1. गोरकेला ड्राफ्ट को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए। 2. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव यह स्पष्ट करें कि गोरकेला ड्राफ्ट कैबिनेट में क्यों नहीं लाया गया। 3. अजा/अजजा अधिकारियों की पदोन्नति में हो रही देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए। 4. सरकार अगले सप्ताह में गोरकेला ड्राफ्ट को कैबिनेट में रखकर मुहर लगाई जाए। अगर सरकार ने अब भी चुप्पी नहीं तोड़ी और समाधान नहीं दिया, तो कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग प्रदेशभर में आंदोलन करेगी। यह मुद्दा सिर्फ संवैधानिक अधिकार का नहीं, बल्कि सामाजिक क्रांति की लड़ाई बनेगा। यह संघर्ष तब तक चलेगा, जब तक कि गोरकेला ड्राफ्ट लागू नहीं हो जाता और अजा/अजजा वर्ग को उसका संवैधानिक न्याय नहीं मिल जाता। हरि प्रसाद पाल / 11 अप्रैल, 2025