ज़रा हटके
11-Apr-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। भारत में औषधीय पौधा गोखरू मुख्य रूप से वर्षा ऋतु के दौरान उगता है और इसके फल, पत्ते और तने का औषधीय प्रयोग वर्षों से किया जा रहा है। चरक संहिता में भी गोखरू को मूत्र विकार और वात रोगों के इलाज में उपयोगी बताया गया है। इसके फल छोटे, कांटेदार होते हैं और इनमें कई बीज होते हैं। आयुर्वेद में अनेक ऐसे पौधों का उल्लेख है, जो अपने औषधीय गुणों के लिए जाने जाते हैं। इन्हीं में से एक है गोखरू, जिसे त्रिकटु दोषों वात, पित्त और कफ को संतुलित करने वाली औषधि के रूप में जाना जाता है। हाल ही में किए गए एक शोध के अनुसार, गोखरू का नियमित सेवन अनेक समस्याओं में लाभ पहुंचा सकता है। 10 से 20 मिली गोखरू का काढ़ा सुबह-शाम लेने से सिरदर्द में राहत मिलती है। वहीं, दमा के रोगियों के लिए यह एक कारगर औषधि साबित हो सकती है। शोध के अनुसार, दो ग्राम गोखरू चूर्ण को सूखे अंजीर के साथ सेवन करने से अस्थमा में लाभ मिलता है। पाचन तंत्र की मजबूती के लिए भी गोखरू अहम भूमिका निभाता है। इसका काढ़ा पीपल के चूर्ण के साथ लेने से हाजमा बेहतर होता है। मूत्र संबंधी समस्याओं में भी गोखरू काढ़ा में शहद मिलाकर पीने से आराम मिलता है। इसके अलावा यह औषधि जोड़ों के पुराने दर्द और गठिया जैसे रोगों में भी राहत देती है। नियमित रूप से गोखरू के फल से बना काढ़ा पीने से जोड़ों में सूजन और दर्द से राहत मिलती है। इसके अतिरिक्त, यौन स्वास्थ्य को बेहतर करने में भी गोखरू सहायक है। इसे दूध में उबालकर पीने से स्पर्म काउंट और गुणवत्ता में सुधार होता है। वहीं, इसके पंचांग यानी जड़, तना, पत्ते, फूल और फल से तैयार काढ़ा बार-बार होने वाले बुखार में लाभकारी माना गया है। गोखरू वास्तव में एक बहुगुणी औषधि है, जो प्राकृतिक रूप से स्वास्थ्य को संपूर्ण लाभ प्रदान करती है। पथरी की समस्या में भी यह अत्यंत उपयोगी है। रोजाना गोखरू चूर्ण को शहद के साथ लेने से पथरी बाहर निकलने में मदद मिलती है। त्वचा रोग जैसे दाद और खुजली में भी यह प्रभावी है; गोखरू को पानी में पीसकर प्रभावित स्थान पर लगाने से राहत मिलती है। सुदामा/ईएमएस 11 अप्रैल 2025