09-Apr-2025
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कार्यक्रम में मौजूद लोगों से नौ प्रतिज्ञाएं लेने की अपील की नई दिल्ली (ईएमएस)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि जैन धर्म ने भारत की पहचान स्थापित करने में उल्लेखनीय योगदान दिया है। उनका मानना है कि जैन धर्म के मूल्यों ने समाज को एक दिशा दी और देश की सांस्कृतिक धारा को आकार दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने यह बातें नवकार महामंत्र दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर कहीं। इस मौके पर उन्होंने जैन धर्म के सिद्धांतों और उनकी शिक्षाओं को वैश्विक दृष्टिकोण से समझने की जरूरत पर पूरा जोर दिया। पीएम मोदी ने जैन धर्म की महानता और इसके सिद्धांतों की महत्वपूर्ण भूमिका पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने जैन धर्म के सिद्धांतों को न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक अमूल्य धरोहर बताकर केंद्र सरकार के द्वारा धर्म की विरासत के संरक्षण के प्रयासों को भी साझा किया। साथ ही, उन्होंने देशवासियों से समाज की भलाई के लिए नौ प्रतिज्ञाएं लेने की अपील की, जिससे राष्ट्र के विकास और शांति की दिशा में योगदान किया जा सके। पीएम मोदी ने कहा कि जैन धर्म के सिद्धांत, विशेष रूप से इसके मूल्य, आज की वैश्विक चुनौतियों के समाधान के रूप में सहायक साबित हो सकते हैं। उन्होंने आतंकवाद, युद्ध और पर्यावरण संरक्षण जैसी समस्याओं का जिक्र कर कहा कि जैन धर्म में शांति, सद्भाव और अहिंसा के सिद्धांतों को बड़े पैमाने पर अपनाने की आवश्यकता है। उनका कहना था कि जैन धर्म के शिक्षाएं हमें सद्भावपूर्ण और अहिंसक दुनिया की दिशा में मार्गदर्शन करती हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने जैन धर्म के प्रमुख सिद्धांत अनेकांतवाद का उल्लेख किया, जो धर्म में विभिन्न दृष्टिकोणों की सराहना करता है। उन्होंने कहा कि दुनिया को सिद्धांत की जरूरत है, क्योंकि यह विभिन्न विचारों और दृष्टिकोणों के प्रति सहिष्णुता और सम्मान को बढ़ता है। उनका मानना था कि यह सिद्धांत समाज में समरसता और सामंजस्य का प्रतीक है और इससे पूरी दुनिया में शांति स्थापित करने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जैन धर्म में मामूली हिंसा को भी अनुशासन के खिलाफ माना जाता है, और इसका उद्देश्य शांति और सद्भाव बनाए रखना है। पीएम मोदी ने कहा कि जैन धर्म का दृष्टिकोण पर्यावरण संरक्षण के लिए सबसे अच्छा सबक है, क्योंकि यह हमें सभी जीवन रूपों के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता को दिखाता है। पीएम मोदी ने कहा कि उनकी सरकार जैन धर्म की प्राचीन विरासत और शिक्षाओं के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। इस मौके पर उन्होंने बताया कि उनकी सरकार जैन धर्म के ग्रंथों का डिजिटलीकरण कर रही है और पाली व प्राकृत भाषाओं को शास्त्रीय भाषा घोषित करने की योजना बनाई है। इसके साथ ही, पीएम मोदी ने कहा कि जैन साहित्य भारत की आध्यात्मिक भव्यता की रीढ़ है, और इस संरक्षित किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों से अपील की कि वे देश की एकता और विकास के लिए नौ प्रतिज्ञाएं लें। इसमें जल संरक्षण, पेड़ लगाना, स्वच्छता अभियान को बढ़ावा देना, स्थानीय उत्पादों का समर्थन करना, प्राकृतिक खेती अपनाना, मोटे अनाजों का सेवन बढ़ाना, खाद्य तेल का उपयोग कम करना, गरीबों की मदद करना और खेल एवं योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाना शामिल था। प्रधानमंत्री मोदी ने अंत में कार्यक्रम में मौजूद हर व्यक्ति से कहा कि देशभर में एकता का संदेश फैलाना चाहिए और उन लोगों को गले लगाना चाहिए जो भारत माता की जय का उद्घोष करें। आशीष दुबे / 09 अप्रैल 2025