वाशिंगटन,(ईएमएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया है कि वे जल्द ही दवा उद्योगों पर टैरिफ लगाने जा रहे हैं। इससे चीन को भारी भरकम नुकसान होने की संभावना बढ़ गई है। वाशिंगटन डीसी में नेशनल रिपब्लिकन कांग्रेसनल कमेटी (एनआरसीसी) द्वारा आयोजित डिनर के दौरान ट्रंप ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य दवा कंपनियों पर दबाव डालना है ताकि वे चीन जैसे देशों से अपनी विनिर्माण इकाइयां हटाकर अमेरिका में स्थापित करें और घरेलू बाजार की जरूरतों को पूरा करें। ट्रंप अगर दवाओं पर भी टैरिफ की घोषणा करते हैं तो इससे भारत सहित दुनियाभर के दवा उद्योग पर गंभीर आसर हो सकता है। इससे पहले, ट्रंप प्रशासन ने फार्मास्यूटिकल्स और सेमीकंडक्टर को अपनी जवाबी टैरिफ नीति के दायरे से बाहर रखा था। लेकिन अब वे इससे मुकरते नजर आ रहे हैं। ट्रंप ने कहा कि वह आने वाले महीनों में इस्पात, एल्युमीनियम, तेल और गैस, फार्मास्यूटिकल्स, तथा सेमीकंडक्टर सहित अनेक प्रकार के आयातों पर शुल्क लगाएंगे। ट्रंप ने अपने भाषण में कहा, हमारे पास हर किसी के ऊपर एक बड़ा एडवांटेज है, क्योंकि हम सबसे बड़ा बाजार हैं। इसलिए हम बहुत जल्द फार्मास्यूटिकल्स पर एक बड़ा टैरिफ घोषित करने जा रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह टैरिफ कितना होगा या किन देशों को विशेष रूप से टारगेट किया जाएगा। उनके इस बयान ने वैश्विक दवा उद्योग और अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधों में हलचल मचा दी है। भारत की फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री देश का सबसे बड़ा औद्योगिक निर्यात क्षेत्र है। 2024 में भारत ने अमेरिका को 12.72 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य की दवाओं का निर्यात किया। अमेरिकी स्वास्थ्य प्रणाली में भारतीय दवा कंपनियों की भूमिका बेहद अहम है। 2022 में अमेरिका में भरे गए हर 10 में से 4 प्रिस्क्रिप्शन भारतीय कंपनियों द्वारा निर्मित दवाओं के थे। रिपोर्टों के अनुसार, 2022 में भारतीय दवाओं ने अमेरिकी हेल्थकेयर सिस्टम को करीब 219 अरब डॉलर की बचत करवाई। 2013 से 2022 तक यह आंकड़ा 1.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचा। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अमेरिका भारत से आने वाली दवाओं पर उच्च टैरिफ लगाता है, तो इससे भारतीय दवा कंपनियों की प्रतिस्पर्धा क्षमता पर बुरा असर पड़ेगा। उनके लिए अमेरिका में कीमतों के लिहाज से टिके रहना मुश्किल हो जाएगा और उत्पादन लागत भी बढ़ेगी।ट्रंप की इस घोषणा के बाद वैश्विक बाजारों में उतार-चढ़ाव देखा गया। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह टैरिफ लागू होता है, तो अमेरिकी बाजार में दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिसका असर आम उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा। वीरेंद्र/ईएमएस/09अप्रैल2025