ज़रा हटके
09-Apr-2025
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सिडनी (ईएमएस)। नई रिसर्च ने पृथ्वी के एक रहस्य से पर्दा हटाने का प्रयास किया है, जो हमारे ग्रह के 4.5 अरब साल पुराने इतिहास पर नई दृष्टि प्रदान करता है। पृथ्वी की आरंभिक अवस्था को लेकर वैज्ञानिक समुदाय के भीतर लंबे समय से बहस जारी रही है। वैज्ञानिकों के लिए पृथ्वी हमेशा से एक रहस्य रही है। खासतौर पर, इसकी सतह पर होने वाली जटिल प्लेट टेक्टोनिक्स की प्रक्रिया, जिसने न केवल महाद्वीपों को आकार दिया बल्कि संभवतः जीवन के विकास में भी अहम भूमिका निभाई। पृथ्वी पर जीवन का अद्वितीय और चमत्कारी नाटक सदियों से चल रहा है। कुछ विशेषज्ञों का मानना रहा है कि उस समय पृथ्वी की सतह स्थिर थी, ठीक वैसे ही जैसे मंगल ग्रह की है, जबकि अन्य का तर्क था कि प्लेट टेक्टोनिक्स की प्रक्रिया प्रारंभिक काल में रुक-रुक कर सक्रिय होती रही। प्लेट टेक्टोनिक्स पृथ्वी के भीतरी भाग से गर्मी के उत्सर्जन, महासागरों की रचना और कार्बन चक्र जैसे अहम पहलुओं से जुड़ी है, इसलिए इसे पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति और विकास से जोड़कर देखा जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, टेक्टोनिक प्लेटों की आपसी टकराहट से ज्वालामुखी गतिविधियां होती हैं और इनसे जुड़े द्वीपों, विशेषकर रिंग ऑफ फायर जैसे क्षेत्रों, में एक खास रासायनिक पहचान दिखाई देती है। इसे ही रासायनिक फिंगरप्रिंट कहा जाता है। अब तक यह माना जाता रहा था कि इस फिंगरप्रिंट की मौजूदगी से प्लेट टेक्टोनिक्स की शुरुआत की पहचान की जा सकती है, लेकिन प्राचीन चट्टानों की अनुपलब्धता और प्रक्रिया की जटिलता ने यह तय करना मुश्किल बना दिया था। हाल ही में, वैज्ञानिकों की एक टीम ने 2024 की शुरुआत में एक नया दृष्टिकोण अपनाया। उन्होंने गणितीय मॉडल के माध्यम से पृथ्वी के शुरूआती मेंटल के पिघलने और रासायनिक तत्वों के व्यवहार का विश्लेषण किया। इस अध्ययन ने हैरान कर देने वाले निष्कर्ष प्रस्तुत किए। उन्होंने पाया कि पृथ्वी की प्रारंभिक सतह, जिसे प्रोटोक्रस्ट कहा जाता है, उसकी रासायनिक बनावट आज के महाद्वीपीय सतह जैसी थी। इसका सीधा अर्थ है कि जिस रासायनिक फिंगरप्रिंट को अब तक प्लेट टेक्टोनिक्स की शुरुआत से जोड़ा जाता था, वह वास्तव में पहले से ही मौजूद था और उससे प्लेट टेक्टोनिक्स की शुरुआत का निर्धारण करना संभव नहीं है। यह खोज पृथ्वी के प्रारंभिक इतिहास को समझने के हमारे नजरिए को बदल देती है। अब वैज्ञानिकों को नए सिरे से यह जांचना होगा कि पृथ्वी की सतह कब और कैसे अस्थिर हुई। सुदामा/ईएमएस 09 अप्रैल 2025