अहमदाबाद (ईएमएस)। गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती के किनारे कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक शुरू हो गई है। सीडब्ल्यूसी की शुरुआत कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े के संबोधन से हुई। कांग्रेस अध्यक्ष ने राष्ट्रपिता के जिक्र से अपने संबोधन की शुरुआत की और कहा कि यह साल महात्मा गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की शताब्दी है। उन्होंने महात्मा गांधी के साथ ही सरदार वल्लभ भाई पटेल, दादाभाई नैरोजी को भी याद किया और कहा कि गुजरात में जन्मीं इन हस्तियों ने कांग्रेस का नाम दुनियाभर में रोशन किया। ये सभी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहे। गांधी जी ने हमें अन्याय के खिलाफ सत्य और अहिंसा का हथियार दिया। खडग़े ने कहा कि आज सांप्रदायिक विभाजन करके देश के बुनियादी मसलों से ध्यान भटकाया जा रहा है। दूसरी तरफ ऑलिगार्फिक मोनोपॉली देश के संसाधनों पर कब्जा करते हुए शासन को नियंत्रित करने की राह पर हैं। उन्होंने सरदार पटेल की 150वीं जयंती को देशभर में मनाने का ऐलान किया और कहा कि पंडित नेहरू उन्हें (सरदार पटेल को) भारत की एकता का संस्थापक कहते थे। मल्लिकार्जुन खडग़े ने कहा कि सरदार पटेल के नेतृत्व में कराची कांग्रेस में मौलिक अधिकारों पर जो प्रस्ताव पारित हुए थे, वह भारतीय संविधान की आत्मा हैं। वह संविधान सभा की महत्वपूर्ण एडवाइजरी कमेटी के अध्यक्ष थे। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले कई साल से राष्ट्रीय नायकों को लेकर सोची-समझी साजिश चल रही है। एक ही सिक्के के दो पहलू थे नेहरू और पटेल मल्लिकार्जुन खडग़े ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का 140 साल से सेवा और संघर्ष का गौरवशाली इतिहास है और इस पार्टी के खिलाफ वातावरण बनाया जा रहा है। ये काम वह लोग कर रहे हैं जिनके पास अपनी उपलब्धियां दिखाने को कुछ भी नहीं हैं। आजादी को लड़ाई में अपना योगदान बताने को कुछ भी नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि पंडित नेहरू और सरदार पटेल के संबंधों को ऐसा दिखाने की साजिश की जाती है जैसे दोनों ही एक-दूसरे के खिलाफ थे। तमाम घटनाएं और दस्तावेज दोनों नेताओं के मधुर संबंधों के गवाह हैं। खडग़े ने दोनों को एक ही सिक्के के दो पहलू बताया और कहा 1937 में गुजरात विद्यापीठ में सरदार पटेल के एक भाषण का जिक्र किया। उन्होंने आगे कहा कि नेहरूजी से सरदार पटेल कितना स्नेह करते थे, इसे अभिनंदन ग्रंथ में लिखे उनके विचारों से समझा जा सकता है। सरदार पटेल ने 14 अक्टूबर 1949 को अभिनंदन ग्रंथ में लिखा था, पिछले दो कठिन वर्षों में नेहरूजी ने देश के लिए जो अथक परिश्रम किया है, वो मुझसे अधिक अच्छी तरह कोई नहीं जानता। मैंने इस दौरान उनको भारी भरकम उत्तरदायित्व के भार के कारण बड़ी तेजी के साथ बूढे होते देखा है। खडग़े ने कहा कि ये बातें रिकॉर्ड में दर्ज हैं। नेहरू जी तमाम विषयों में सरदार पटेल से सलाह लेते थे और दोनों नेताओं के बीच लगभग हर दिन पत्र-व्यवहार होता था। सरदार पटेल का नेहरू जी बहुत आदर करते थे और सलाह लेने खुद उनके घर भी जाते थे। सरदार पटेल की सुविधा के लिए सीडब्ल्यूसी की बैठकें भी उनके आवास पर रखी जाती थीं। सरदार पटेल की विचारधारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विपरीत थी और उन्होंने तो संघ पर बैन भी लगा दिया था। हंसी आती है कि आज उस संस्था के लोग उनकी विरासत पर दावा करते हैं। संविधान और संविधान निर्माता का सम्मान करती है कांग्रेस कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने संबोधन में ये भी कहा कि कांग्रेस पार्टी संविधान और संविधान निर्माता, दोनों का सम्मान करती है और उसकी रक्षा करना जानती है। सरदार पटेल हमारे दिलों में, विचारों में बसे हैं और हम उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीडब्ल्यूसी की बैठक अहमदाबाद के सरदार पटेल म्यूजियम में हमने इसी सोच से रखी है। हम सरदार पटेल को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। आज बीजेपी और संघ के लोग गांधी जी से जुड़े संस्थानों पर कब्जा कर उन्हीं के वैचारिक विरोधियों को सौंप रहे हैं। खडग़े ने वाराणसी में सर्व सेवा संघ और गुजरात विद्यापीठ के उदाहरण दिए और दावा किया कि गांधीवादी लोग और सहकारिता आंदोलन के लोग हाशिए पर डाले जा रहे हैं। ऐसी सोच के लोग गांधी जी का चश्मा और लाठी तो चुरा सकते हैं लेकिन उनके आदर्शों पर कभी नहीं चल सकते। गांधी जी की वैचारिक विरासत कांग्रेस पार्टी के पास है।