प्रदेश में एक माह में आगजनी की करीब 5,430 घटनाओं से किसानों को करोड़ों का नुकसान अन्नदाता हुए कंगाल...मुआवजा बढ़ा रहा घाव -धूं-धूं कर जल रहे खेत...मप्र में किसानों पर टूटा कहर, हजारों एकड़ फसल जलकर राख भोपाल( ईएमएस)। अशोकनगर में 1500 बीघा, श्योपुर में 300 बीघा, विदिशा में 200 बीघा, सिहोरा में 500 एकड़ आदि ये उन खेतों के आंकड़े हैं जिन पर लगी फसल एक चिंगारी से खाक हो गई। केवल इन्हीं जगहों पर नहीं बल्कि प्रदेश के सभी 55 जिलों में एक माह के अंदर करीब 5,430 आगजनी की वे घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें किसानों की हजारों एकड़ फसलें जल गई हैं। खेतों में खड़ी और पड़ी फसलों के जलने से अन्नदाता कंगाल हो गए हैं। अब वे सरकार से मुआवजे की आस लगाए बैठे हैं। अगर विगत वर्षों में आगजनी के बाद किसानों को मिले मुआवजे का आंकलन किया जाए तो मुआवजा किसानों का घाव और बढ़ा देता है। गौरतलब है कि मप्र के अन्नदाता पर कभी प्राकृतिक आपदा तो कभी प्रशासनिक लापरवाही की मार पड़ रही है। इस समय प्रदेश में गेहूं की कटाई का मौसम है, लेकिन किसानों की खड़ी फसल पर एक बड़े संकट के रूप में आग का संकट मंडरा रहा है। प्रदेशभर में खड़ी फसल में आग लगने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं और किसानों के लिए यह किसी बड़े सदमे से कम नहीं है। मप्र का कोई ऐसा जिला नहीं है जहां आग लगने की घटनाएं सामने नहीं आई हैं। कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में पिछले एक माह के दौरान आगजनी की करीब 5,430 घटनाओं से किसानों की हजारों एकड़ फसल खाक हो गई है। इससे किसानों को करोड़ों रूपए की हानि हुई है। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार घटना होने पर राजस्व टीम मौके पर जाकर मुआयना करती है, पंचनामा तैयार कर, राजस्व गाइडलाइन के हिसाब से मुआवजा दिया जाता है। आंकड़ें बढ़ा रहे चिंता प्रदेशभर में आगजनी से फसलें जलने के जो आंकड़े आ रहे हैं, वे चिंता बढ़ा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि पिछले एक दशक के दौरान पहली बार ऐसा हो रहा है, जब खेतों में आग लगने की घटनाएं इतनी अधिक हो रही हैं। राजधानी के सीमावर्ती सीहोर में मार्च महीने में आगजनी की 140 छोटी-बड़ी घटनाएं घटी हैं। इस दौरान किसानों का करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। ये आंकड़े जिले दमकल विभाग के अधिकारियों से मिले हैं। प्रदेश में इन दिनों रबी फसल की कटाई, गहाई का काम जोरों से चल रहा है। वहीं, अभी-अभी अधिकांश खेतों में किसानों की फसल पकी खड़ी है। ऐसे में बिजली लाइन से निकलने वाली एक चिंगारी पल भर में भीषण आग का रूप धारण कर लेती है। खेत के खेत मिनटों में जलकर राख हो जाते हैं। वहीं जिले भर में मार्च महीने में 430 आगजनी की घटनाएं हुई हैं। इन घटनाओं में सबसे ज्यादा फसलों को क्षति पहुंची हैं। इसके साथ आवास, गृहस्थी, कृषि यंत्र, मवेशी आदि जलने से करोड़ों रुपये का नुकसान होता है। नुकसान होता है ज्यादा, राहत कम प्रदेश में अग्नि सुरक्षा और राहत को लेकर कोई स्पष्ट नीति ही अब तक नहीं बनाई हैं। यदि किसान के खेत में आग लग जाए, तो फसल जलने पर लाखों रुपयों का नुकसान होता है। लेकिन किसान को फसल बीमा का लाभ नहीं मिल पाता। इसकी वजह फसल बीमा की इकाई हल्का क्षेत्र होना है। जब पूरे पटवारी हल्के में आग से फसल जलेगी, तब प्रभावित किसानों को फसल का मुआवजा मिलेगा। अभी प्रशासन स्तर पर राजस्व अधिनियम के तहत राहत राशि दी जाती है, जो बहुत ही कम होती है। आग बुझाने के पर्याप्त इंतजाम नहीं प्रदेश के शहरों में तो सरकार ने फायर ब्रिगेड की व्यवस्था कर रखी है, लेकिन गांवों में आग बुझाने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। जब आग लगती है तो जिला मुख्यालय पर सूचित किया जाता है, उसके बाद फायर ब्रिगेड की गाडिय़ां घटनास्थल की ओर रवाना होती हैं। अधिकांश अवसरों पर देखा गया है कि जब तक दमकल की गाडिय़ां पहुंचती हैं, तब तक पूरी फसल नष्ट हो जाती हैं। विगत दिनों अशोकनगर में आग ने तांडव मचाया। बहादुरपुर तहसील इलाके में झागर बमुरिया, अमोदा कुकावली, हारूखेड़ी सहित 4 गांव के खेतों की फसल में आग लग गई। आग की लपटें धीरे-धीरे बढ़ती चली गई। ग्रामीणों ने शुरुआत में ही आग पर काबू पाने की कोशिश की, लेकिन देखते ही देखते आग भडक़ गई। फिर लगभग 3 घंटे तक लोगों ने मशक्कत की और आग पर काबू पाया। इस आग ने 1500 बीघा की फसल को अपनी चपेट में ले लिया, जिससे उस इलाके में खड़ी गेहूं की फसल जलकर खाक हो गई। पूरे इलाके में आग और धुएं का गब्बर ही देखने को मिला। आग देखते ही 4 गांव के लोगों में चीख पुकार मची हुई थी। लोगों ने भगवान से प्रार्थना की कि किसी तरह से उनकी फसल में लगी आग बुझ जाए, लेकिन आग लगातार बढ़ती गई। लोगों के पास जो भी संसाधन था, उन्होंने आग पर काबू पाने की कोशिश की, लेकिन आखिरी में अपने आप को बचाने की जद्दोजहद मच गई। फिर प्रशासन से मदद मांगी गई। काफी देर बाद धीरे-धीरे फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंचने लगी। आग को बुझाते-बुझाते शाम हो गई, लेकिन तब तक किसानों ने जो 6 महीने मेहनत करके अपनी फसल को तैयार की थी वह पूरी तरह से नष्ट हो चुकी थी। नरवाई जलाने वालों पर एफआईआर जानकारों का कहना है कि खेतों में अधिकतर आग नरवाई जलाने के कारण लग रही है। ऐसे में नरवाई जलाने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा रही है। नरवाई की आग से फसल जलने के मामले में सागर जिले में पहली एफआईआर रहली थाने में दर्ज की गई है। जिले में गेहूं की कटाई चल रही है। खेत में कटाई के बाद लगी नरवाई जलाने के लिए किसान आग लगा रहे हैं। नरवाई की आग से आसपास के किसानों की फसलें जल रही हैं। जिसको लेकर प्रशासन एक्शन में आया है। दरअसल, 5 अप्रैल को जूना गांव में रामअवतार ने अपने खेत में फसल अवशेष (नरवाई) नष्ट करने के लिए आग लगाई थी। हवा चलने से आग फैली और आसपास के खेतों में खड़ी और कटी रखी गेहूं की फसल को चपेट में ले लिया। आग इतनी भीषण हुई कि जूना गांव से मंडला गांव तक पहुंच गई। जिससे करीब 20 एकड़ की गेहूं फसल जली। किसानों ने फायर फाइटर की मदद से आग पर काबू पाया, लेकिन आगजनी में फसल के साथ ही कृषि सामग्री जलकर नष्ट हो गई थी। मामला सामने आते ही प्रशासन हरकत में आया। हल्का पटवारी ने मौके पर पहुंचकर नुकसानी और घटना को लेकर पंचनामा बनाया। नरवाई की आग से जली थी दो गांव की फसल रहली एसडीएम गोविंद दुबे ने बताया कि जिले में किसानों द्वारा नरवाई जलाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। इसके बाद भी कुछ किसान खेतों में लगी नरवाई जला रहे हैं। जिसको लेकर कार्रवाई की गई है। मामले की जांच कराने के बाद रामअवतार कुर्मी के खिलाफ रहली थाने में शिकायत की गई। शिकायत पर पुलिस ने रामअवतार के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर जांच में लिया है।