अंतर्राष्ट्रीय
07-Apr-2025
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वॉशिंगटन,(ईएमएस)। अमेरिका ने कई विदेशी छात्रों का एफ-1 वीजा रद्द कर दिया है। कुछ को देश छोड़ने की चेतावनी भी दी गई है तो कुछ को डिटेन कर लिया है। इन पर आरोप है कि इन्होंने देश विरोधी एक्टिविटी में हिस्सा लिया था। अमेरिकी सरकार के इस कदम से विदेश में पढ़ रहे छात्रों में घबराहट पैदा हो गई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस इमिग्रेशन मामलों को देखने वाले अमेरिका के टॉप लीगल एक्सपर्ट्स ने कहा है कि अगर किसी का वीजा रद्द हुआ भी है, तो उन्हें घबराने की जरूरत नहीं। उन्होंने कहा कि वीजा रद्द होने और स्टेटस रद्द होने में अंतर है। वीजा सिर्फ अमेरिका में प्रवेश का दस्तावेज होता है। अगर कोई छात्र अमेरिका से बाहर गया और वह दोबारा अमेरिका में एंट्री लेने की कोशिश करता है, तो वीजा रद्द होने की वजह से उसे रोका जा सकता है, जिन छात्रों की पढ़ाई 1 से 2 महीने में खत्म होने वाली है, वे भी इस फैसले से डरें नहीं। अगर किसी छात्र को अमेरिका छोड़ने के लिए कहा गया है, तो वह किसी वकील की मदद ले सकता है। यह मौलिक अधिकार है कि व्यक्ति के स्टेटस से बिना न्यायिक प्रक्रिया के छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। विदेश विभाग सिर्फ वीजा कैंसिल कर सकता है, स्टेटस पर फैसला सिर्फ होमलैंड सिक्योरिटी और कोर्ट का अधिकार क्षेत्र है। रिपोर्ट में विशेषज्ञ कहते हैं कि कैंपस एक्टिविजम या सोशल मीडिया पर इजराइल विरोधी पोस्ट को लाइक करना देशविरोधी गतिविधि नहीं है। उनके मुताबिक यह ट्रम्प प्रशासन की तरफ से लिया गया एक मूर्खतापूर्ण फैसला है। अमेरिका में संविधान के तहत नागरिक हों या छात्र अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार सभी को है। एक्सपर्ट कहते हैं कि किसी छात्र को जबरन डिपोर्ट नहीं किया जा सकता, जब तक कि उसे कानूनी प्रक्रिया से न गुजारा जाए। डिपोर्टेशन की प्रक्रिया में छात्र को इमिग्रेशन कोर्ट में पेश होकर जज के सामने अपना पक्ष रखने का पूरा मौका मिलता है। कुछ मामलों में सरकार छात्रों को डिटेन कर रही है, खासकर उन्हें जिनके हमास या फिलिस्तीन समर्थक होने के संकेत मिले हैं। डिटेंशन की स्थिति में चुनौती देना मुश्किल हो सकता है, लेकिन असंभव नहीं। सिराज/ईएमएस 07 अप्रैल 2025