अब दुनिया देखेगी मेक इन इंडिया की ताकत एथेंस,(ईएमएस)। अब ग्रीस के राफेल लड़ाकू विमानों में भारतीय टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होगा, वह भी चुपचाप, बिना किसी बड़े ऐलान के। यह मेक इन इंडिया की ताकत है, जिसपर हर भारतीय को गर्व होगा। मेक इन इंडिया अब भारत को रक्षा बाजार से रक्षा साझेदार की भूमिका में ला रही है। भारत जो अभी तक फ्रांस से राफेल फाइटर जेट खरीद रहा था, अब वही भारत फ्रांसीसी एयरक्राफ्ट को अपग्रेड कर रहा है। भारत और फ्रांस के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग के बीच रिपोर्ट है कि ग्रीस को हाल ही में आपूर्ति किए गए डसॉल्ट एविएशन राफेल लड़ाकू विमानों में भारतीय टेक्नोलॉजिकल कंपोनेंट्स का इस्तेमाल किया गया है। डसॉल्ट या भारतीय रक्षा मंत्रालय ने इस बारे में आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक यह डेवलपमेंट भारत के वैश्विक रक्षा आपूर्ति श्रृंखलाओं में बढ़ती भागीदारी और डिफेंस एक्सपोर्टर बनने की दिशा में एक अहम कदम हो सकता है। रिपोर्ट में फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट की भारतीय साझेदार कंपनी, नागपुर स्थित डसॉल्ट रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड, पहले से ही फाल्कन बिजनेस जेट्स के लिए कॉकपिट कैनोपी और दरवाजे जैसे कंपोनेंट्स का उत्पादन करती है और राफेल के कई पार्ट्स के उत्पादन की योजना बना रही है। इसके अलावा, नोएडा में एक मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल सुविधा स्थापित की है, जो भारत के राफेल और मिराज फाइटर जेट्स के लिए कंपोनेंट्स और अन्य उत्पादन में मदद करेगी। कंपनी के दस्तावेजों के मुताबिक ग्रीस ने फ्रांस से 24 राफेल जेट खरीदे हैं, जिनमें से 18 की आपूर्ति 2021 और 2023 के बीच की गई है और बाकी 6 फाइटर जेट्स की आपूर्ति 31 दिसंबर 2024 तक तनाग्रा एयर बेस पर पूरी हो गई है। भारतीय रक्षा सार्वजनिक उपक्रम, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने राफेल के आरबीई2 रडार के लिए 7,000वें ट्रांसमिट/रिसीव मॉड्यूल का उत्पादन और थेल्स को आपूर्ति की है, जो मेक इन इंडिया पहल के तहत एक अहम उपलब्धि है। यह पहली बार नहीं है जब भारत में बनी डिफेंस टेक्नोलॉजी किसी और देश की वायुसेना के लिए इस्तेमाल की गई हो, लेकिन ग्रीस जैसे यूरोपीय देश के आधुनिक फाइटर जेट्स में इसका इस्तेमाल एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। सिराज/ईएमएस 07 अप्रैल 2025