नई दिल्ली,(ईएमएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों की कमी की बात कही है। कोर्ट ने कहा कि देश को आजाद हुए 80 साल होने वाले हैं, फिर भी सार्वजनिक क्षेत्र में पर्याप्त नौकरियां पैदा करना कठिन लक्ष्य बना हुआ है। जो लोग भी सरकारी नौकरी में आने के इच्छा रखते हैं, उन्हें नौकरी दी जा सके यह काफी कठिन हो चुका है। देश में योग्य उम्मीदवारों की कमी नहीं है और ये लोग कतार में हैं, लेकिन फिर भी पर्याप्त रोजगार अवसरों की कमी के कारण उनकी पब्लिक सेक्टर में नौकरी की तलाश विफल हो जाती है। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की युगल पीठ ने 2 अप्रैल को दिए फैसले में यह टिप्पणी की। दरअसल पटना हाईकोर्ट ने बिहार राज्य सरकार के उस नियम को असंवैधानिक बताया था, जिसमें चौकीदारों के पद पर वंशानुगत नियुक्ति की इजाजत थी। पटना हाईकोर्ट ने उक्त नियम को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि हाईकोर्ट ने उस नियम को असंवैधानिक घोषित करके अपने जूरिडिक्शन को पार किया है। जबकि वंशानुगत नियम की वैधता को कोर्ट के सामने चुनौती नहीं दी गई थी। वंशानुगत नियम की वैधता को चुनौती न देने के बावजूद हाईकोर्ट ने उसे गैर संवैधानिक कर दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट के सामने अहम सवाल यह था कि क्या हाईकोर्ट ने अपने स्वतः संज्ञान अधिकारों का प्रयोग करते हुए वंशानुगत नियम को असंवैधानिक घोषित करने में न्यायसंगत काम किया? सुप्रीम कोर्ट ने व्यस्था दी और हाईकोर्ट के निर्णय को बरकरार रखते हुए अपीलकर्ता के इस तर्क को अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने वंशानुगत नियम को निरस्त करने का सही फैसला लिया, भले ही उसे औपचारिक रूप से चुनौती नहीं दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर अधीनस्थ विधिक प्रावधान को असंवैधानिक घोषित करने की प्रक्रिया को भी सही ठहराया। सिराज/ईएमएस 06अप्रैल25