06-Apr-2025
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-45 साल पहले जनता पार्टी का टूटना और एक नई पार्टी का उदय होना नई दिल्ली,(ईएमएस)। 6 अप्रैल 1980 — भारतीय राजनीति के इतिहास का एक अहम दिन, जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की नींव रखी गई। आज पार्टी अपना 45वां स्थापना दिवस मना रही है। लेकिन यह सिर्फ एक नई पार्टी के जन्म की कहानी नहीं है, बल्कि कई राजनीतिक उतार-चढ़ाव, वैचारिक मतभेदों और सांगठनिक टकरावों से उपजी एक ऐतिहासिक यात्रा है, जो भारतीय जनसंघ से शुरू होकर जनता पार्टी की टूट और अंततः बीजेपी के गठन तक पहुंचती है। भाजपा के उदय से पहले के परिदृष्य को समझने की आवश्यकता महसूस होती है, खासतौर पर आपातकाल और उसके बाद की राजनीतिक बदलाव क्यों और कैसे हुए। 1975 में लगाए गए आपातकाल के बाद, विपक्षी दलों ने इंदिरा गांधी की कांग्रेस के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का फैसला किया। कांग्रेस (ओ), भारतीय जनसंघ, सोशलिस्ट पार्टी और भारतीय लोक दल जैसे प्रमुख दलों ने मिलकर जनता पार्टी बनाई। गठबंधन सफल रहा क्योंकि 1977 में यह गठबंधन भारी बहुमत से सत्ता में आ गया। यह अलग बात रही कि मोरारजी देसाई और चरण सिंह के नेतृत्व में यह सरकार ज्यादा दिन टिक नहीं सकी। जनता पार्टी की सबसे बड़ी चुनौती थी भारतीय जनसंघ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का संबंध। आरएसएस से जुड़े नेता जैसे अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी आरएसएस कार्यक्रमों में सक्रिय रहते थे, जबकि अन्य समाजवादी नेता इससे नाराज़ थे। इसी मतभेद ने पार्टी को धीरे-धीरे कमजोर किया। 1979 में जनता पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक में यह बड़ा मुद्दा बना कि पार्टी के सदस्य आरएसएस की गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं या नहीं। इस पर आरएसएस प्रमुख बालासाहेब देवरस ने कहा कि कोई भी निर्णय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में होगा। लेकिन इससे पहले ही जनता पार्टी के संसदीय बोर्ड ने 19 मार्च 1980 को आरएसएस से जुड़े नेताओं के खिलाफ निर्णय ले लिया — और यहीं से पार्टी टूटने लगी। ....और बन गई भारतीय जनता पार्टी आरएसएस से जुड़े भारतीय जनसंघ के नेताओं ने इससे अलग होकर 6 अप्रैल 1980 को एक नई पार्टी का गठन किया। दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में अटल बिहारी वाजपेयी को अध्यक्ष चुना गया और पार्टी का नाम रखा गया — भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)। चुनाव आयोग ने भी हस्तक्षेप किया और 24 अप्रैल 1980 को वाजपेयी के नेतृत्व वाले गुट को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया, और पार्टी को कमल का चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया। यहां बताते चलें कि पार्टी को नया नाम देने की प्रक्रिया में जनता पार्टी की पहचान बनाए रखने के लिए भारतीय शब्द जोड़ा गया, जिससे भारतीय जनता पार्टी बना। यह नाम भारतीय जनसंघ की विचारधारा और राष्ट्रवादी सोच से जुड़ा हुआ था। इन मुद्दों के साथ आगे बढ़ी बीजेपी शुरुआत में चुनौतियों के बावजूद, बीजेपी ने धीरे-धीरे अपना आधार मजबूत किया। राम जन्मभूमि आंदोलन, अयोध्या, उदारीकरण और हिंदुत्व की राजनीति जैसे कई मोड़ों से गुजरते हुए पार्टी आज भारत की सबसे बड़ी राजनीतिक शक्ति बन चुकी है। आज जब बीजेपी अपना 45वां स्थापना दिवस मना रही है, तो यह केवल एक पार्टी का इतिहास नहीं बल्कि भारतीय लोकतंत्र के उतार-चढ़ाव, वैचारिक टकराव और संगठनात्मक संघर्षों की कहानी है। हिदायत/ईएमएस 06अप्रैल25