वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में व्यापार युद्ध (टैरिफ वार) ने वैश्विक व्यापार संधि को लेकर, दुनिया के देशों में एक नई चिंता पैदा कर दी है। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के अंतरराष्ट्रीय संस्थान जिनके जिम्मे नियम और कानून का पालन सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगभग 166 देशों द्वारा वैश्विक व्यापार संधि में हस्ताक्षर किए हैं। उन देशों के कारोबार और आर्थिक स्थिति को लेकर संकट खड़ा हो गया है। हाल ही में अमेरिका ने टैरिफ को लेकर जो निर्णय लिए हैं। वह वैश्विक व्यापार संधि के खिलाफ हैं। उससे सारी दुनिया के देशों मे अमेरिका के साथ व्यापार को लेकर तनाव बन गया है। अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते टैरिफ युद्ध ने सभी देशों में वैश्विक व्यापार व्यवस्था को बुरी तरह से अस्थिर कर दिया है। अमेरिका ने राष्ट्र हितों की दुहाई देकर चीन, भारत एवं अन्य देशों पर आयातित वस्तुओं पर भारी शुल्क लगा दिया है। वैश्विक व्यापार संधि के अनुसार उसको इस तरह की कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है।अमेरिका एक तरफा निर्णय ले रहा है। दूसरी ओर चीन ने भी जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस प्रतिशोधात्मक नीति का प्रभाव सारी दुनिया के देशों के साथ-साथ अमेरिका और चीन जैसे बड़े देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ना तय है। इस टकराव के कारण दुनिया के 166 देशों में व्यापारिक स्थिरता को लेकर बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है। यह स्थिति तब और भी चिंताजनक हो जाती है। जब वैश्विक व्यापार संधि को नियंत्रित करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं इस विवाद में निषप्रभावी दिखाई पड रही हैं। दुनिया के सभी देशों के बीच वैश्विक व्यापार संधि का मूल उद्देश्य सभी देशों के बीच व्यापार विवादों का समाधान करना और वैश्विक व्यापार को सभी देशों के लिए मुक्त व्यापार के लिये अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार सभी देशों के लिये निष्पक्ष एवं स्थिर नीति को बनाना और उनका पालन करने की जिम्मेदारी है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ युद्ध की शुरुआत की है। इसमें दो बड़ी वैश्विक शक्तियां अमेरिका और चीन वैश्विक व्यापार संधि के नियमों की अनदेखी करते हुए एक दूसरे के ऊपर मनमाने तरीके से टैरिफ लगाने की होड़ में लग गए हैं। जिसके कारण सारी दुनिया के देशों में अफरा-तफरी का माहौल बन गया है। अंतरराष्ट्रीय नियंत्रक संस्थायें चुप बैठी हुई हैं। यह चिंता का सबसे बड़ा कारण बन गया है। अमेरिका ने चीन की 16 कंपनियों पर रोक लगा दी है। जवाबी कार्रवाई करते हुए चीन ने भी अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ा दिया है। चीन ने अमेरिका की कंपनियों पर रोक लगा दी है। दोनों देशों ने अब एक-दूसरे पर मनमाने तरीके से 50% से ज्यादा आयात शुल्क बढ़ा दिए हैं। इससे वैश्विक आपूर्ति एवं वैश्विक व्यापार श्रृंखला बाधित होगी। इसका असर दुनिया के सभी देशों पर पड़ना तय है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टेरिफ बार से विकासशील देशों की अर्थ व्यवस्था सबसे बुरे दौर से गुजर रही हैं। सभी देशों के शेयर मार्केट में भारी गिरावट है। आर्थिक मंदी का खतरा पैदा हो गया है। अमेरिका से शुरू हुए इस टैरिफ युद्ध ने साफ कर दिया है। वैश्विक व्यापार संधि को लेकर अंतरराष्ट्रीय नियमो का पालन जब बड़े-बड़े देश नहीं करेंगे। ऐसी स्थिति में 1993 के बाद वैश्विक व्यापार संधि को लेकर जो वैश्विक व्यापार सारी दुनिया के देशों के बीच में शुरू हुए थे। उनका भविष्य खतरे में है। अंतर्राष्ट्रीय वैश्विक व्यापार भविष्य में, जिसकी लाठी उसकी भैंस जैसी स्थिति बन गई है। दुनिया के सभी सभी देश अपने सामरिक एवं आर्थिक दृष्टिकोण मनमाने की सोच को बढ़ावा मिलेगा। जिससे वैश्विक अराजकता बढ़ेगी। सभी देश अपने निजी हितों को ध्यान में रखकर निर्णय लेंगे। इससे सारी दुनिया के देश एक बार फिर अराजकता की स्थिति में लौट सकते हैं। समय आ गया है, वैश्विक वैश्विक व्यापार संधि के अंतर्गत नियम और कानून का पालन कराने के लिए जिन अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का गठन किया गया था। वह अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए तुरंत कार्रवाई करें। सभी देश वैश्विक व्यापार संधि के नियमों का पालन करें। विवादों को सुलझाने के लिए वैश्विक नियंत्रक संस्थाएं आगे आएं। व्यापार युद्ध जैसी कार्यवाही से सभी देश बचें। वर्तमान टैरिफ वार, अंतरराष्ट्रीय व्यापार संतुलन एवं सभी देशों की आर्थिक स्थिति को बिगाड़ेगा। वैश्विक व्यापार संधि के अस्तित्व भी समाप्त हो सकता है। सारी दुनिया के देश आर्थिक संकट और आर्थिक मंदी में फंस सकते हैं। वैश्विक संस्थाओं को सक्षमता के साथ अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए आगे आना होगा। ईएमएस / 06 अप्रैल 25