वॉशिंगटन (ईएमएस)। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के ट्रांज़िटिंग एक्सोप्लेनेट सर्वे सैटेलाइट (टीईएसएस) और चिली के वेरी लार्ज टेलीस्कोप (वीएलटी) पर लगे एसप्रेसो कैमरों ने एक नए सुपर-अर्थ ग्रह की खोज की है। इस नए ग्रह का नाम टीओआई-776 बी रखा गया है। इस खोज से ब्रह्मांड में कुछ खास तरह के एक्सोप्लेनेट्स की कमी को समझने में मदद मिल सकती है, और इसके साथ ही यह जानने में भी मदद मिलेगी कि कुछ ग्रहों पर वायुमंडल क्यों नहीं होते हैं। टीओआई-776 बी , टीईएसएस द्वारा खोजा गया एक नया ग्रह है, जो पृथ्वी से 1.8 गुना बड़ा और 5 गुना अधिक द्रव्यमान वाला है। यह ग्रह अपने तारे, जो कि एक लाल बौना है, के चारों ओर केवल 8.2 दिनों में एक पूरा चक्कर लगाता है। इसके बाद, वीएलटी पर लगे एसप्रेसो उपकरण ने इस ग्रह की पुष्टि की और इसके द्रव्यमान को मापने के लिए रेडियल वेलोसिटी पद्धति का इस्तेमाल किया। सुपर-अर्थ ऐसे ग्रह होते हैं जो पृथ्वी से बड़े होते हैं, लेकिन नेपच्यून से छोटे होते हैं। खगोलज्ञों ने ब्रह्मांड में सुपर-अर्थ और मिनी-नेपच्यून के बीच एक अजीब कमी को देखा है, जिसे रेडियस वैली कहा जाता है। इस कमी के कारण अभी तक पूरी जानकारी नहीं मिल पाई है, लेकिन टीओआई-776 बी की खोज इस रहस्य को सुलझाने में मदद कर सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह कमी ग्रहों के वायुमंडल के नष्ट होने से जुड़ी हो सकती है। टीओआई-776 बी जैसे ग्रह जो अपने तारे के बहुत करीब होते हैं, तीव्र तारकीय विकिरण के कारण अपने वायुमंडल को खो सकते हैं। एसप्रेसो के डेटा से यह भी पता चला है कि इस ग्रह का घनत्व बहुत अधिक है, जिससे संकेत मिलता है कि यह एक चट्टानी ग्रह हो सकता है, जिसने अपना प्रारंभिक हाइड्रोजन-हीलियम वायुमंडल खो दिया है। इस प्रक्रिया को फोटोइवैपोरेशन कहा जाता है, जिसमें तारे की ऊर्जा ग्रह के वायुमंडल को अंतरिक्ष में उड़ा देती है। यह शोध इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह रेडियस वैली के रहस्य को समझने में मदद कर सकता है। वैज्ञानिक मानते हैं कि सुपर-अर्थ बनने वाले कई ग्रह शुरुआत में गैसीय वायुमंडल के साथ बनते हैं, लेकिन अपने तारे की गर्मी और विकिरण के कारण वे इसे खो देते हैं और चट्टानी कोर में बदल जाते हैं। टीओआई-776 बी इस सिद्धांत का जीवंत उदाहरण हो सकता है। यह ग्रह अपने तारे की हैबिटेबल ज़ोन से बाहर है, लेकिन इसकी खोज अन्य सौर मंडलों में ग्रहों के निर्माण और विकास को समझने में मदद करेगी। भविष्य में और ऐसे ग्रहों की खोज हो सकती है, जो ब्रह्मांड की उत्पत्ति और विकास को और बेहतर तरीके से समझने में मदद करेंगे। इसके अलावा, वैज्ञानिक अब टीओआई-776 बी के वायुमंडल का अध्ययन करने के लिए जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं। सुदामा/ईएमएस 05 अप्रैल 2025
processing please wait...