वाशिंगटन (ईएमएस)। धरती के दोनों ध्रुवों पर समुद्री बर्फ तेजी से पिघलती जा रही है। वैज्ञानिकों को डर है कि यह एक नया खतरनाक ट्रेंड हो सकता है। नासा और नेशनल स्नो एंड आइस डेटा सेंटर (एनएसआईडीसी) की ताजा रिपोर्ट ने चिंता को और बढ़ाया है। नासा के अनुसार, इस साल 22 मार्च को जब आर्कटिक में समुद्री बर्फ अपने वार्षिक उच्चतम स्तर पर होनी चाहिए थी, तब इसकी मात्रा सिर्फ 5.53 मिलियन वर्ग मील (14.33 मिलियन वर्ग किमी) रही। यह अब तक की सबसे कम सर्दियों की बर्फ है। 1 मार्च तक अंटार्कटिक में समुद्री बर्फ सिर्फ 764,000 वर्ग मील (1.98 मिलियन वर्ग किमी) ही बची थी। यह अब तक दर्ज किए गए दूसरे सबसे कम स्तर के बराबर है। नासा के वैज्ञानिक का कहना है, ‘हम अगली गर्मियों में पहले से भी कम समुद्री बर्फ के साथ प्रवेश करने वाले हैं, जो भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है। फरवरी 2025 में वैश्विक समुद्री बर्फ की मात्रा 2010 के औसत से 1 मिलियन वर्ग मील (2.5 मिलियन वर्ग किमी) कम थी। यह क्षेत्रफल अमेरिका के पूर्वी हिस्से जितना बड़ा है! समुद्री बर्फ सिर्फ ठंडी सतह नहीं, बल्कि आर्कटिक और अंटार्कटिक के इकोसिस्टम की रीढ़ है। बर्फ का कम होना ध्रुवीय भालुओं, सील्स और अन्य समुद्री जीवों के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा करता है। समुद्री बर्फ सूरज की गर्मी परावर्तित करती है। जब यह कम होती है, तब समुद्र ज्यादा गर्मी सोखता है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग तेज हो जाती है। कम समुद्री बर्फ का मतलब है कि तूफान ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं और तटीय कटाव बढ़ सकता है। आशीष दुबे / 31 मार्च 2025