-तिहाड़, मंडोली और रोहिणी जेलों में कैदियों की संख्या चिंताजनक नई दिल्ली,(ईएमएस)। दिल्ली की जेलों में जरुरत से ज्यादा कैदी होने से गंभीर समस्या पैदा हो गई है। वर्तमान में राजधानी की 16 जेलों में 10 हजार कैदियों की क्षमता के मुकाबले करीब 19 हजार कैदी बंद हैं। यह स्थिति तब है जब 2023 में एक हजार से ज्यादा अंडरट्रायल कैदियों को रिहा किया गया था। दिल्ली सरकार ने विधानसभा सत्र के दौरान जेलों की स्थिति पर एक विस्तृत रिपोर्ट पेश की, जिसमें तिहाड़, मंडोली और रोहिणी जेलों में कैदियों की संख्या चिंताजनक रूप से ज्यादा पाई गई। कुछ जेलों में तो क्षमता से पांच गुना ज्यादा कैदी बंद हैं। तिहाड़ की जेल नंबर 1 की स्थिति सबसे खराब है। इस जेल की क्षमता केवल 565 कैदियों की है, लेकिन मार्च 2025 के आंकड़ों के मुताबिक यहां 2,436 कैदी रखे गए हैं। इसी तरह, तिहाड़ की जेल नंबर 4 में 740 कैदियों की जगह 3,244 कैदी हैं। मंडोली जेल के कुछ परिसरों में कैदियों की संख्या अपेक्षाकृत कम है। जेल नंबर 15, जिसमें सिर्फ उच्च सुरक्षा वाले कैदी रखे जाते हैं जिनकी क्षमता 248 कैदियों की है, लेकिन वहां केवल 108 कैदी हैं। इसी तरह जेल नंबर 14 और 16 में भी क्षमता से कम कैदी हैं। दिल्ली की जेलों में अंडरट्रायल कैदियों की संख्या सजायाफ्ता कैदियों से करीब आठ गुना ज्यादा है। 2024 के आखिर तक जहां 17,118 अंडरट्रायल कैदी थे, वहीं सिर्फ 2,235 सजायाफ्ता कैदी मौजूद थे। पिछले पांच सालों में यह संख्या बढ़ रही है। कैदियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए जेल प्रशासन ने सुरक्षा के उपाय भी बढ़ा दिए हैं। तिहाड़ में 15 मोबाइल जैमर लगाए गए हैं। दिल्ली की जेलों में कुल 7,549 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जिससे औसतन हर 5 कैदियों पर 2 कैमरों की निगरानी की जाती है। 15 डीप सर्च मेटल डिटेक्टर, 610 बॉडी-वॉर्न कैमरे और 23 एक्स-रे बैगेज स्कैनर लगाए गए हैं। जेलों में हिंसा रोकने के लिए सीआरपीएफ, आईटीबीपी और तमिलनाडु स्पेशल पुलिस की क्विक रिएक्शन टीमें तैनात की गई हैं। दिल्ली में नरेला और बापरौला में नए जेल परिसरों के निर्माण की योजना बनाई गई है। इस परियोजना के लिए 40 एकड़ जमीन डीडीए ने आवंटित कर दी है। पहले चरण में 256 कैदियों की क्षमता वाली उच्च सुरक्षा जेल बनाई जाएगी। इसका निर्माण अगले 6 महीने में शुरू होगा और 2 साल में पूरा हो जाएगा। बापरौला जेल के लिए भूमि आवंटन अभी डीडीए में लंबित है। कैदियों की संख्या के साथ-साथ जेल प्रशासन पर होने वाला खर्च भी बढ़ रहा है। 2019-20 में जेलों का बजट 490 करोड़ था। साल 2023-24 में यह बढ़कर 595 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। सिराज/ईएमएस 31 मार्च 2025