मुंबई (ईएमएस)। हाल ही में सिडनी के भारतीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफएस) के 11वें संस्करण के उद्घाटन समारोह में साउथ फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री सामंथा रुथ प्रभु ने अपनी सफलता की परिभाषा पर खुलकर बात की। इस कार्यक्रम के दौरान सामंथा ने कहा कि महिलाओं के लिए सफलता केवल उपलब्धियों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। यह सामाजिक बंधनों से मुक्त होने और अपनी शर्तों पर जीवन जीने का नाम है। उन्होंने बताया कि कैसे समाज महिलाओं पर कुछ तय सीमाएं लागू कर देता है और यह बताने की कोशिश करता है कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं। सामंथा ने इस मानसिकता को चुनौती देने की बात की और कहा कि सफलता वही है जो समाज के बनाए दायरों को तोड़कर अपने सपनों को खुलकर जीने में मिले। अभिनेत्री ने कहा, मैंने पहले भी कहा है कि मेरे लिए सफलता का मतलब रूढ़ियों को तोड़ना और खुद को सीमाओं से बाहर निकालना है। मैं किसी और से यह सुनने का इंतजार नहीं करती कि मैं सफल हूं या नहीं। यह एहसास खुद के भीतर से आता है। सफलता किसी बॉक्स में बंद नहीं हो सकती। हमें यह तय करने का हक होना चाहिए कि हम क्या कर सकते हैं और क्या नहीं। इस दौरान सामंथा ने अपनी निजी और पेशेवर यात्रा के बारे में भी खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि किस तरह उन्होंने अपने करियर में चुनौतियों का सामना किया और मजबूत इच्छाशक्ति के साथ अपने सपनों को साकार किया। उन्होंने निर्माता बनने के अपने फैसले को भी सशक्त कदम बताया और कहा कि इससे उन्हें सार्थक कहानियों को सामने लाने का अवसर मिलेगा। सिडनी फिल्म फेस्टिवल के डायरेक्टर मितु भौमिक लांगे ने सामंथा की तारीफ करते हुए कहा कि उनकी यात्रा इस फेस्टिवल की सोच को पूरी तरह दर्शाती है। यह फेस्टिवल भी उन लोगों का मंच है जो अपनी मौलिकता, दृढ़ता और विविधता के लिए खड़े होते हैं। सामंथा का इसमें नेतृत्व करना गर्व की बात है। सामंथा की इस सोच को उनके फैंस और दर्शकों का भरपूर समर्थन मिल रहा है। उन्होंने हमेशा अपनी सोच और अभिनय से प्रेरणा दी है, और इस बार भी उन्होंने सफलता की एक नई और सशक्त परिभाषा दी है। बता दें कि सामंथा रुथ प्रभु अपनी बेबाक राय और विचारों के लिए जानी जाती हैं। वह न केवल अपनी अदाकारी से बल्कि सामाजिक मुद्दों पर अपनी स्पष्ट राय से भी फैंस के बीच लोकप्रिय हैं। सुदामा/ईएमएस 31 मार्च 2025