जब भी आप किसी चीज से जकड़ जाते हैं तो उससे आपको मोह पैदा होता है इसलिए कई राजा या किसी देश के प्रमुख अपना पद छोड़ना नहीं चाहते हैं और यही आपके कष्ट का सबसे बड़ा कारण है भगवान राम पिता की आज्ञा पर जब सबकुछ त्याग कर 14वर्ष का वनवास धारण किया तो उन्हें ध्यान करने का अवसर मिला ऐसे तो वो साक्षात् ईश्वर थे लेकिन उन्होंने ऐ उपदेश दिया कि प्रभु महलों में नहीं मिलेंगे बल्कि किसी शांति जैसे इलाके में जो जंगल ही है में ध्यान करने से मिलेंगे इसका अन्य उदाहरण भगवान गौतम बुद्ध और तीर्थकर भगवान महावीर से सीखा जा सकता है जो वर्षों की तपस्या के बाद ज्ञान की ऐसी प्राप्ति हुई कि लोग आज भी पूजते हैं गौतम बुद्ध एक राजा के घर पैदा हुए माता पिता के एकलौते संतान थे जब किसी ज्योतिष ने उनका हाथ देखा औऱ राजा को बताया कि यह इस राज महल में नहीं रहने वाला है इसे तो ईश्वर ने कुछ करने के लिए भेजा है अतः इसे दुःख से दूर रखें नहीं तो यह राजपाठ छोड़कर लोगों को ज्ञान देने हेतु भौतिक संसार से दूर चल कर ज्ञान की प्राप्ति में साधना हेतु कहीं औऱ चला जायेगा अतः राजा ने सिद्धाथ जो बाद में गौतम बुद्ध कहलाये उनको महल के अन्दर एक ऐसी व्यवस्था कर दि कि उन्हें किसी भी दुःख से अवगत न कराकर सुख के सभी साधन उपलब्ध करा दिए गए लेकिन होनी को कौन टाल सकता है एकदिन उन्होंने एक टमटम यानी घोड़े गाड़ी पर सवार होकर बाहर की सफर पर निकल गए फिर उन्होंने देखा कि एक अर्थी निकल रही थी तो सारथी से पूछा कि ऐ क्या हो रहा है लोग रो क्यों रहें हैं तब सारथी ने जबाब दिया किसी की मौत हो गई है इसलिए दुःखी होकर इसके परिवार वाले रो रहें हैं उस समय पुनः पूछा कि क्या मौत सबकी होती है तभी सारथी ने उत्तर दिया कि ऐ सभी को एक दिन संसार से जाना ही पड़ता है चूंकि उनको उनके पिता ने महलों में इसकदर बांध कर रखा था कि उन्हें किसी बात पर दुःख ना हों तो उसकी बातें सुनकर काफी उदास हुए और समझ गए मेरा भी संसार से जाना निश्चित है और उस रात वो ठीक से सो नहीं पाएं और रात ही में ज्ञान की प्राप्ति के लिए बोधगया के जंगल में चलें गए और 10 वर्षों की तपस्या के बाद यह बतलाया की अहिंसा परमोधर्म यानी हिंसा नहीं करनी चाहिए यही संदेश भगवान महावीर ने भी दि और भगवान बुद्ध के समय खुब लड़ाई चल रही थी तभी सम्राट अशोक कलिंगा के युद्ध में लाखों लोग के मरने के बाद विचलित हो गया और शांति के लिए भगवान बुद्ध के पास गया और उसने भगवान बुद्ध के स्तूप व काफ़ी स्मारक बनवाई अतः उसे शांति मिली आज लोग महलों में ही पता नहीं क्यों रहना एक शाही शान मानते हैं लेकिन भूल जाते हैं लोग महान कैसे बने त्याग का रास्ता कठिन जरूर है लेकिन आपको सुकुमार नहीं जुझारू बनाएगा आज किसी को किसी जगह अच्छी नौकरी मिल गई वो उसी में फंसा रहा वैज्ञानिक तो कितने बनते हैं लेकिन नाम उनमें से कुछ ही लोगों का होता है जैसे डॉ भाभा, बोस, विक्रमसाराभाई, रामन, खुराना डॉ ए पी जे अबुल कलाम, डॉ आर चितम्बरम, खुराना आदि बहुत से भारतीय वैज्ञानिक है जिन्होंने देश को अपने वैज्ञानिक ज्ञान से लोगों और देश की सेवा की अतः आप कितने भी ऊँचे पद पर प्रिंसिपल साइंटिस्ट क्यों ना बन जाए लेकिन जब तक उन वैज्ञानिक की श्रेणी में नहीं आते हैं तो सेवानिवृत होने के बाद क़ोई नहीं पूछता यदि आपने एक भी नोबेल पुरस्कार विज्ञान के फील्ड में लिया है तो अवश्य ही आपका नाम सालों तक रहेगा अतः पद के बाद अब आती है पैसा जिसके पीछे लोग खुब भागते हैं और तनाव में रहने लगते हैं पैसा तो मिल गया लेकिन तनाव बना रहा और कुछ लोग इसे दूर करने के लिए सिगरेट, शराब आदि का सेवन करते हैं जो स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है फिर लोग प्रमोशन के पीछे दौरते हैं और मिला तो अपने इलाके में खुब दहारते हैं लेकिन विद्या का सम्मान करना चाहिए और लोगो में बाटना चाहिए फिर आता है सरकारी फ्लैट जिसके पीछे लोग खुब दौड़ते हैं जिसे जितना बड़ा मिला वो अपने को बड़ा मानने लग जाता है लेकिन उसे ऐ नहीं मालूम इसे एक दिन खाली करना है और जब खाली करना होगा तो बड़ा कष्ट होगा क्योंकि आपका उससे लगाव हो गया आप किसी महानगर में वैसा घर या बिल्डिंग खरीद तो नहीं सकते हैं तो बहुत ज्यादा लगाव ही आपको परेशान करेगी आखिर भगवान बुद्ध महलों में पले औऱ उसे छोड़कर जंगल चलें गए आज समस्या ऐ है कि जो मिलता है उससे संतोष नहीं करते हैं और भी अच्छा कैसे मिलेगा उसी सब में नाहक ही समय बर्बाद कर देते हैं आप भाभा, बोस या रामन तो नहीं बनने वाले हैं तो वो बनने की कोशिश कीजिये रामानुजन बहुत ही कम समय में दुनिया से अलविदा कह दिया लेकिन उनकी मेहनत और लगनशीलता ही उसे महान गणितयज्ञ बनाई जिसमें उनका उदार व्यक्तिव भी रहा अतः हमें कर्म को ऐसा करना चाहिए कि दुनिया आपके हुनर का लोहा माने यदि ऐसा नहीं करते तो सेवानिवृत होने के बाद सब बराबर हो जायेगा अतः हमेशा त्याग और संघर्ष ही आपको महान बनाएगी। ईश्वर के रूप में भगवान श्री राम को ठीक प्रकार जान लेगा और उसी रुप में मान लेगा, वह कभी मत पंथ सम्प्रदाय की उलझन में नहीं उलझेगा, उसका मन शान्त रहेगा, उसका आचरण, आहार पवित्र होगा, वह पाप से दूर रहेगा, उसकी बुद्धि का विकास होगा, दुर्गुण दुर्व्यसन से दूर रहते हुए वह अपने जीवन को सुखी व समृद्ध बना पायेगा, धर्म अर्थ काम मोक्ष की प्राप्ति करेगा, उसके जीवन में दया, प्रेम, अहिंसा, त्याग, सेवा, पवित्रता आदि गुण सहज रुप से विघमान रहेंगे, वह किसी भी प्रकार से अज्ञान अंधविश्वास, अंधग्रद्धा में नहीं फसेगा और अपने कर्म को ऐसा बनाएगा कि दुनिया आपके काम की लोहा मानेगी और आपका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज होगा। ईएमएस / 30 मार्च 25