29-Mar-2025
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काठमांडू(ईएमएस)। राजधानी काठमांडू समेत कई इलाकों में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों में झड़प हो गई। कई जगहों पर आगजनी हुई और कम से कम दो लोगों की मौत हो गई। नेपाल की सरकार ने सेना को उतार दिया है और कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया है। साल 2008 में इसी जनता ने राजशाही को खत्म करके लोकतंत्र पर भरोसा जताया था। हालांकि लोकतंत्र के नाम पर वहां की कम्युनिस्ट सरकार केवल चीन की हिमायती बनकर रह गई। इसके लिए उसने नेपाल के लोगों के हितों को भी दांव पर लगा दिया। ऐसे में राजशाही समर्थक संगठनों ने जनता को एक बार फिर राजशाही की मांग करने के लिए तैयार कर दिया। अब संगठन पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह की वापसी को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। नेपाल के राजा वीरेंद्र को भी लोग अच्छा शासक मानते थे। 19 फरवरी को पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर पहुंचे थे। उनके समर्थन में लोगों ने मोटरसाइकल रैली निकाली। उन्होंने ही यह संदेश दिया, राजा आओ, देश बचाओ। राजशाही के दौरान नेपाल की पहचान एक हिंदू राष्ट्र के तौर पर थी। हालांकि यहां लोकतंत्र आने के बाद कम्युनिस्ट हावी हो गए। इतिहास पर भी नजर डालें तो नेपाल कभी किसी का उपनिवेश नहीं रहा। यहां राजशाही में स्थिरता थी। नेपाल में बड़ी आबादी हिंदुओं की है और उनका मानना है कि केवल राजशाही में ही उनकी संस्कृति का संरक्षण हो सकता है। नेपाल के संविधान में इसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित कर दिया गया था। हालांकि लोगों का मानना है कि यह हिंदू बहुल देश है। ऐसे में इसे धर्मनिरपेक्ष नहीं घोषित करना चाहिए। इससे नेपाल की संस्कृति को नुकसान पहुंचता है। वीरेंद्र/ईएमएस/29मार्च2025