राष्ट्रीय
29-Mar-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। भारतीय मूल की नासा अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स हाल ही में 286 दिनों के लंबे अंतरिक्ष मिशन के बाद पृथ्वी पर लौटी हैं। इस दौरान उन्होंने 900 घंटे से अधिक वैज्ञानिक अनुसंधान किया और 150 प्रयोगों में भाग लिया। इन प्रयोगों में सबसे महत्वपूर्ण था प्लांट हैबिटेट-07 परियोजना, जिसके तहत उन्होंने रोमेन लेट्यूस (एक प्रकार का सलाद) अंतरिक्ष में उगाया। नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां लंबे समय तक चलने वाले अंतरिक्ष मिशनों और अन्य ग्रहों पर मानव बस्ती बसाने के लिए खाद्य स्रोत विकसित करने पर शोध कर रही हैं। दरअसल लंबी अंतरिक्ष यात्राओं में भोजन की आवश्यकता होती है। ऑक्सीजन और पानी का पुनर्चक्रण करना होता है। माइक्रोग्रैविटी में पौधों के अनुकूलन का अध्ययन किया जा रहा है। अंतरिक्ष में पौधे कैसे उगाते हैं? पृथ्वी पर पौधे गुरुत्वाकर्षण के कारण जड़ें नीचे और तना ऊपर की ओर बढ़ते हैं। लेकिन शून्य गुरुत्वाकर्षण यानी माईक्रोग्रेविटी के कारण अंतरिक्ष में यह प्रक्रिया अलग होती है। असल में गुरुत्वाकर्षण की अनुपस्थिति में पौधे की जड़ें नीचे की ओर नहीं बढ़तीं, बल्कि सभी दिशाओं में फैल सकती हैं। नमी और प्रकाश की दिशा के आधार पर जड़ों और तने की ग्रोथ होती है। विशेष तकनीक का इस्तेमाल: हाइड्रोपोनिक सिस्टम: मिट्टी के बजाय पोषक तत्वों से भरपूर जल में पौधे उगाए जाते हैं। एयर्रोपोनिक्स: जड़ों को हवा में रखकर नमी और पोषक तत्वों की बौछार की जाती है। एलईडी लाइट्स: सूरज की रोशनी की जगह कृत्रिम प्रकाश स्रोत का प्रयोग किया जाता है। अंतरिक्ष में पौधे तेजी से क्यों बढ़ते हैं? माइक्रोग्रैविटी में तनाव कम होने से कोशिकाओं की वृद्धि तेज़ी से होती है। कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर अधिक होने से प्रकाश संश्लेषण तेज़ होता है। नमी और पोषक तत्व सीधे उपलब्ध होने से जड़ों को कम मेहनत करनी पड़ती है। भविष्य की संभावनाएं अंतरिक्ष में खेती मंगल और चंद्रमा पर मानव बस्ती बसाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यह न केवल भोजन का स्रोत होगी, बल्कि ऑक्सीजन उत्पादन और जल पुनर्चक्रण में भी मदद करेगी। सुनीता विलियम्स का यह शोध भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है। हिदायत/ईएमएस 29 मार्च 2025