बीजिंग से पहले दिल्ली आना चाह रहे थे यूनुस, भारत ने दिया ठंडा रिस्पॉन्स ढाका/नई दिल्ली,(ईएमएस)। बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस, 1971 के युद्ध में शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के कुछ ही घंटों बाद, चार दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर चीन रवाना हो गए। यह यात्रा भारत और बांग्लादेश के तनावपूर्ण संबंधों के बीच हो रही है और इसे केवल संयोग नहीं माना जा सकता। बांग्लादेश की राजधानी ढाका से मिली जानकारी के अनुसार, मोहम्मद यूनुस चीन रवाना होने से पहले भारत की यात्रा करना चाह रहे थे, लेकिन भारत ने उनके इस प्रस्ताव पर ठंडा रवैया अपनाया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यूनुस के प्रेस सचिव ने पुष्टि की कि भारत की ओर से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली, जिसके कारण उनकी पहली द्विपक्षीय यात्रा के लिए चीन को प्राथमिकता देनी पड़ी। यूनुस यात्रा के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। उनके साथ बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मंत्री और सलाहकारों का दल भी गया है, जिसमें विदेशी मामलों, बिजली, ऊर्जा, खनिज, सड़क परिवहन, पुल और रेलवे से जुड़े विशेषज्ञ शामिल हैं। बांग्लादेश के इस रुख से संकेत मिलता है कि ढाका और बीजिंग के बीच सहयोग को और मजबूत किया जा सकता है। वहीं, भारत के लिए यह एक स्पष्ट संदेश है कि यदि नई दिल्ली अपने दक्षिण एशियाई पड़ोसी के साथ संबंधों को महत्व नहीं देती है, तो बांग्लादेश चीन की ओर झुक सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार, जल संसाधनों के बंटवारे, सीमा सुरक्षा और रोहिंग्या शरणार्थियों जैसे मुद्दों पर असहमति बनी हुई है। भारत चाहता है कि बांग्लादेश इन संवेदनशील मामलों पर स्पष्ट रुख अपनाए और पारस्परिक सहयोग को बढ़ावा दे। भारत की प्रतिक्रिया और आगे की राह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश के ‘नेशनल डे’ के अवसर पर मोहम्मद यूनुस को शुभकामनाएं भेजीं, जिससे संकेत मिलता है कि भारत, संबंधों को सामान्य बनाए रखना चाहता है। लेकिन यह भी स्पष्ट है कि नई दिल्ली, बांग्लादेश की नीतियों और उसके चीन के प्रति रुख को लेकर सतर्क है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यूनुस की चीन यात्रा के नतीजे क्या निकलते हैं और भारत इस घटनाक्रम पर कैसे प्रतिक्रिया देता है। हिदायत/ईएमएस 28मार्च25