ढाका (ईएमएस)। पाकिस्तान से यारी बांग्लादेश को महंगी पड़ रही है। उसका कपड़ा उद्योग बड़े संकट से गुजर रहा है। यह कपड़ा इंडस्ट्री बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। यह देश की विदेशी मुद्रा कमाई का करीब 84 प्रतिशत है। बीते एक साल में बहुत सी कपड़ा फैक्ट्रियां बंद हो गई हैं। इससे हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं। बांग्लादेश की इंडस्ट्रियल पुलिस के अनुसार, चटगांव में कम से कम 52 कपड़ा कारखाने बीते छह महीनों में बंद हो गए हैं। इसकी मुख्य वजह राजनीतिक अस्थिरता के कारण काम के ऑर्डर में 25 प्रतिशत की कमी आना है। इसकारण हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। इसके अलावा 44 और कारखाने वेतन और ईद बोनस देने के लिए संघर्षरत हैं। इंडस्ट्रियल पुलिस ने इन कारखानों को एट-रिस्क यानी खतरे में बताया है। बांग्लादेश गारमेंट मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन का कहना है कि चटगांव में रजिस्टर्ड 611 कपड़ा कारखानों में से केवल 350 ही अभी चल रहे हैं। इसमें से 180 कारखाने विदेशी ऑर्डर पर काम कर रहे हैं, जबकि 170 सब-कॉन्ट्रैक्टर के तौर पर काम करते हैं। सब-कॉन्ट्रैक्टर मतलब, जो किसी बड़े कारखाने के लिए छोटा-मोटा काम करते हैं। बांग्लादेश इंडस्ट्रियल पुलिस के अनुसार, इसके पीछे राजनीतिक अस्थिरता है, जिससे काम के ऑर्डर कम हो गए हैं। इसलिए फैक्ट्रियां बंद हो रही हैं। दरअसल, भारत से बांग्लादेश को बहुत से ऑर्डर मिलते हैं। इन दिनों यूनुस सरकार भारत से दूरी और पाकिस्तान से दोस्ताना बढ़ा रही है। इसके अलावा यह संकट ऑटोमेशन और मजदूरों के आंदोलन के कारण भी बढ़ रहा है। इससे इस क्षेत्र पर निर्भर लाखों लोगों की रोजी-रोटी खतरे में है। हालांकि, ज्यादातर फैक्ट्रियां अभी भी चल रही हैं। अब देखना यह है कि आने वाले समय में इस उद्योग पर क्या असर पड़ता है। क्या सरकार और उद्योग मिलकर इस संकट से निपटने के लिए कोई रास्ता निकालते हैं? आशीष दुबे / 27 मार्च 2025