मुंबई,(ईएमएस)। अमेरिका की नई आर्थिक नीतियों के कारण उभरते बाजारों में तेजी आने की संभावना है, और भारत को इससे सबसे अधिक लाभ मिलने की उम्मीद है। बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) का भारतीय बाजारों में निवेश फिर से मजबूत हो रहा है। एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की इंडिया स्ट्रैटेजी रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की विकसित होती राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों से वैश्विक आर्थिक गतिशीलता में बड़ा बदलाव आया है। यह परिवर्तन निवेश के अवसरों को नए रूप में ढालेगा और निवेशकों को रणनीतिक रूप से आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करेगा। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि जैसे-जैसे पूंजी अमेरिकी डॉलर आधारित संपत्तियों से हट रही है, भारत अपने मजबूत आर्थिक बुनियादी ढांचे, अनुकूल नीतिगत माहौल और आकर्षक मूल्यांकन के कारण वैश्विक पूंजी प्रवाह का प्रमुख लाभार्थी बनता जा रहा है। एफआईआई की बढ़ती दिलचस्पी के कारण भारतीय शेयर बाजार में 4.5 प्रतिशत की बढ़त बनी रहने की संभावना है। भारत की मजबूती और विदेशी निवेश में वृद्धि इस रिपोर्ट में कहा गया है, कि कमजोर डॉलर और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में गिरावट के चलते भारतीय शेयर बाजार में एफआईआई का निवेश बढ़ेगा। इसके अलावा, भारत की मजबूत राजकोषीय और मौद्रिक स्थिरता इसे वैश्विक निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाती है। एमके ग्लोबल को उम्मीद है कि भारतीय बाजारों में तेजी जारी रहेगी, क्योंकि वैश्विक पूंजी अब गैर-डॉलर परिसंपत्तियों की ओर स्थानांतरित हो रही है। निवेशकों के लिए रणनीतिक सुझाव रिपोर्ट के अनुसार, निवेशकों को घरेलू खपत, निवेश और पूंजीगत वस्तुओं से जुड़े क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जबकि अमेरिकी बाजारों पर अत्यधिक निर्भर व्यवसायों में निवेश को सीमित करना चाहिए। बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा बाजार में तेजी लाने की संभावना है। छोटे और मध्यम आकार की कंपनियों (एसएमआईडी) के शेयरों में सुधार के संकेत मिल रहे हैं, जिससे आगे की वृद्धि की संभावना मजबूत हो रही है। अमेरिका की रणनीतिक आर्थिक नीति में बदलाव ट्रंप प्रशासन आर्थिक नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव लागू कर रहा है, जिसमें ढीली राजकोषीय और सख्त मौद्रिक नीति से कड़ी राजकोषीय और ढीली मौद्रिक नीति की ओर रुख किया जा रहा है। इस बदलाव का उद्देश्य व्यापक आर्थिक असंतुलनों को दूर करना और अमेरिका की वैश्विक जीडीपी (24 प्रतिशत), बाजार पूंजीकरण (70 प्रतिशत) और आरक्षित मुद्रा के रूप में डॉलर की स्थिति को फिर से मजबूत करना है। रिपोर्ट में निष्कर्ष के तौर पर बताया गया है, कि अमेरिका की नई आर्थिक रणनीति भारत के लिए महत्वपूर्ण विदेशी निवेश को आकर्षित करने का मार्ग प्रशस्त कर रही है, जिससे कमजोर डॉलर और कम बॉन्ड यील्ड का लाभ उठाया जा सकता है। हिदायत/ईएमएस 26 मार्च 2025