इन्दौर (ईएमएस) स्वच्छता सर्वेक्षण में लगातार सात बार नम्बर वन आने के बाद देश दुनिया में नंबर वन शहर के रूप में पहचान बना चुके शहर इन्दौर की स्वच्छता और कचरा प्रबंधन की मिसालें देते अन्य शहरों के जिम्मेदारों को किसी विदेशी मुल्क में न जाने की हिदायत देते इन्दौर से कचरा प्रबंधन सीखने की सलाह दी जा रही है। वो भी विपक्षी कांग्रेस पार्टी के सांसद द्वारा घोषित तौर पर सोशल साइट्स पर कमेन्ट करके। कांग्रेस सांसद कार्ति पी. चिदंबरम ने एक पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देते अपनी टिप्पणी में कुछ ऐसा ही कहा है। कांति चिदंबरम ने स्पष्ट कहा है कि चेन्नई के अधिकारी कचरा प्रबंधन सीखने के लिए यूरोप नहीं मध्य प्रदेश के इंदौर जाएं। उन्होंने कहा कि चेन्नई में कचरा प्रबंधन की खराब स्थिति, सड़कों पर घूमते आवारा कुत्ते और मवेशी, टूटे फुटपाथ और गड्ढों से भरी सड़कें शहर की पहचान बन गई हैं। ज्ञात हो कि एक्स हैंडल पर नम्मा चैन्नई द्वारा एक पोस्ट में कहा गया था कि, चेन्नई के अधिकारी मई में कचरा प्रबंधन तकनीकों का अध्ययन करने के लिए यूरोप का दौरा करेंगे । विश्व बैंक स्वच्छ कचरा प्रबंधन का अध्ययन करने के लिए बार्सिलोना जैसे शहरों में चेन्नई के अधिकारियों की यात्रा का समर्थन करेगा । इससे तमिलनाडु को स्थानीय डंप यार्डों पर विरोध के बीच बेहतर समाधान अपनाने में मदद मिल सकती है। कांग्रेस सांसद कार्ति पी. चिदंबरम ने नम्मा चेन्नई की इस पोस्ट पर टिप्पणी करते हुए चेन्नई कॉर्पोरेशन पर तीखा हमला बोला। कार्ति पी. चिदंबरम ने कहा कि चेन्नई कॉर्पोरेशन ने पहले भी कई अध्ययन दौरे किए, लेकिन उनसे कोई ठोस बदलाव नहीं दिखा। कांग्रेस नेता ने एक्स पर पोस्ट कर पूछा, क्या चेन्नई कॉर्पोरेशन पिछले अध्ययन दौरे से एक भी ऐसी चीज बता सकता है जो उन्होंने सीखी और लागू की हो? खराब कचरा प्रबंधन, आवारा कुत्ते और मवेशी, टूटे फुटपाथ और गड्ढों वाली सड़कें चेन्नई की पहचान हैं। शुरुआत के लिए मध्य प्रदेश के इंदौर जाएं। जानकारी के मुताबिक, चेन्नई में कचरे के ढेर, खुले में फैली गंदगी और सड़कों की खराब हालत लंबे समय से लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। कई इलाकों में सड़कों पर कचरे के ढेर जमा रहते हैं, जिससे दुर्गंध फैलती है और बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। साथ ही, सड़कों पर आवारा कुत्तों और मवेशियों के घूमने से पैदल यात्रियों को परेशानी होती है। इसके अलावा, क्षतिग्रस्त फुटपाथ और गड्ढों से भरी सड़कें भी लोगों के लिए मुश्किलें पैदा कर रही हैं। आनन्द पुरोहित/ 26 मार्च 2025