योग-प्राणायाम-ध्यान, सुदर्शन क्रिया से मन प्रसन्न और होता है तनाव मुक्त बालाघाट (ईएमएस) । आर्ट आऑफ लिविंग प्रशिक्षक प्रशिक्षक डाँ हेमन्त ने बताया कि आज के दौर में भागदौड़ भरी जिंदगी के बीच मस्तिष्क का थका होना तनाव का कारण है। इसलिए अध्यात्मिक गुरू व मानवीय मूल्यों के संरक्षक श्री श्री रविशंकर जी के अव्हान पर विश्व खुशी सप्ताह (वर्ल्ड हैप्पीनेस वीक) विश्व के 180 देशों में एक साथ मनाया जा रहा है यह अवसर लोगों को एक साथ आने और खुशी के महत्व को मनाने के लिए आमंत्रित करता है।20 मार्च, 2025 को अंतर्राष्ट्रीय खुशी दिवस मनाया जाएगा।आर्ट ऑफ लिविंग खुशी कार्यक्रम के माध्यम से अधिक लोगों को शामिल करने के लिए एक अभियान चला रहा है ।18 -23 मार्च, 2025 तक विश्व खुशी सप्ताह मनाया जाएगा, जिस कड़ी में आर्ट ऑफ लिविंग बालाघाट केन्द्र द्वारा 6 दिवसीय हैप्पीनेस प्रोग्राम आनंद अनुभूति खुशी कार्यक्रम 18 मार्च से प्रतिदिन प्रात: 6:00 से 9:00 बजे तक वा शाम 06 से 09 बजे तक दो अलग-अलग पाली में श्रीश्री सत्संग हाल प्रथम तल बोरिकर पैलेस बूढ़ी में आयोजित किया गया है। जिस दौरान स्वयं गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर द्वारा भी आँनलाईन लाइव सत्र और ध्यान कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।जैसा कि देखा जाता है की शारीरिक थकान और मन के विचलित होने से मनुष्य अवसाद में आकर ख़ुशियों को खो देता है। मन को नियंत्रित करने तथा शरीर को रोग मुक्त बनाने का रामबाण साधन योग-ध्यान-प्रणायाम व सुदर्शन क्रिया में है आनंद अनुभूति शिविर दैनिक जीवन मे उपयोगी सरल ज्ञान है जिसके माध्यम से जीवन में खुशी और सफलता का मंत्र प्राप्त होता है। बालाघाट शहर में आर्ट ऑफ लिविंग के हैप्पीनेस प्रोग्राम में सिखाई जाने वाली क्रियाओं से तनाव और नकारात्मक विचारों से मुक्ति के साथ ही एकाग्रता और खुशियों से जीवन को उपयोगी सरल ज्ञान के सूत्र हासिल होते है। मस्तिष्क के तनाव को दूर ख़ुशी प्रदान करती है सुदर्शन क्रिया योग-प्राणायाम और सुदर्शन क्रिया से जुड़ी जानकारी देते हुए डाँ हेमंत ने बताया कि शरीर का सबसे प्रभारी कार्य श्वांस है जिसके प्रति हम सजग नहीं होते और इसलिए तनाव से शरीर पर होने वाले प्रभाव से सिरदर्द, बदन दर्द, थकावट का असर मस्तिष्क पर होता है और शारीरिक प्रतिक्रिया में बाधा डालती है इससे दोस्तों,रिश्तेदारों और सहकर्मियों से दूरी निर्मित होती है। दिमाग की कोशिकाएं संवाद के लिये न्यूरोट्रांसमीटर का उपयोग करती है जहां कॉर्टिसोल नामक हार्मोन रिलीज होकर न्यूरोट्रांसमीटर को प्रभावित करता है जिससे कोशिकाओं का संवाद कठिन हो जाता है। मनुष्य अपने सोचने की क्षमता को प्रभावित महसूस करता है और संकट या तनाव की स्थिति में भ्रमित हो उठता है। दैनिक जीवन में तनाव के समय ऊर्जा संकट निर्मित हो जाती है हमारी नई चीजों को सीखने की क्षमता बाधित हो जाती है किंतु तनाव कम होने से प्रभाव इसके विपरित होता है।यह सुदर्शन क्रिया अद्भुत श्वास तकनीक प्रभावी तनाव प्रबंधक उपकरण है। मस्तिष्क पर जब तनाव का असर होता है तो पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती है। शोध में पता चला है कि मन को शांत करने का व्यवहारिक उपाय श्वासों को तकनीक के साथ लेने में है, क्योंकि श्वास और भावनाओं के बीच गहरा संबंध होता है। श्वास तकनीक से भावनाओं को बदला जा सकता है स्वतंत्र अध्ययनों से यह सिद्ध हुआ है कि सुदर्शन क्रिया श्वास तकनीक प्रभावी तनाव प्रबंधक उपकरण है। चिकित्सकों ने पाया है कि सुदर्शन क्रिया करने वालों में कॉर्टिसोल का स्तर कम होता है। सुदर्शन क्रिया हमारी कार्य क्षमता बढ़ाकर मस्तिष्क को बेहतर बनाती है। बीटा तरंगे बढ़ाती है जो सतर्कता और एकाग्रता से जुड़ा होता है। यह एक प्रभावी श्वास तकनीक है ध्यान केन्द्रित करने की क्षमता सुधरती है, समस्याओं को हल करने और जटिल मुद्दों को समझने में मदद करने के साथ ही चिंता को दूर करने का काम करती है। सुदर्शन क्रिया के अनेकों फायदें शोध परिणामों में पाए गए है सुदर्शन क्रिया के कई लाभ बताये गये है। स्वस्थ शरीर एवं भरपूर स्फूर्ति, जीवन में आनंद एवं उत्साह, आत्मिक खोज एवं आध्यात्मिक उन्नति सहित अनेकों लाभ होते हैं। आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर की प्रेरणा और मार्गदर्शन से बालाघाट शहर में नियमित तौर पर जीवन जीने की कला सिखाने का प्रयत्न किया जा रहा है जिसमें अनेकों लोगों ने एकाग्रता और तनावमुक्त जीवन के मंत्र को सुदर्शन क्रियाओं से प्राप्त किया है। 18 से 23 मार्च मे होने वाले इस शिविर में 16 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के सभी लोग शामिल हो सकते है। जिसका लाभ उठाने की अपील आर्ट ऑफ लिविंग के स्वयंसेवकों द्वारा की है ।