राज्य
16-Mar-2025
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खरगोन (ईएमएस)। जिले में दिन प्रतिदिन तापमान में वृद्धि हो रही है सूरज के तेवर को देखते हुए लोगों ने देसी मटकों का सहारा लेना शुरू कर दिया है नगर के कई हिस्से में मटकों का बाजार सजा हुआ है जैसे.जैसे गर्मी का पारा चढ़ रहा है वैसे- वैसे लोगों की प्यास भी बढऩे लगी है। लोगों का कंठ गर्मी की तपिश से सूखने लगा है। ऐसे में बाजार में मिट्टी के मटका का बाजार भी सज गया है और इसकी मांग भी बढऩे लगी है। आज भी कई लोग ठंडा पानी पीने के लिए देसी फ्रिज यानि (मटके) का ही उपयोग करते हैं। गायत्री मंदिर के समीप मिट्टी के मटके, सुराही, रांझन बेच रहे सुनील प्रजापत ने बताया कि मटके के पानी का स्वाद आत्मा को तृप्त कर देता है। लाल और काली मिट्टी के मटके बनाए जाते हैं, लेकिन काली मिट्टी के बने मटके का पानी अधिक ठंडा और स्वादिष्ट होता है। मिट्टी से बना मटके का पानी किसी फ्रिज से कम ठंडा नहीं है और मटके का पानी सेहत के लिए काफी उत्तम है। मिट्टी के घड़े की बढ़ती मांग को देखते हुए बाजार में कुम्हार कई किस्म के मिट्टी के बर्तन बेच रहे हैं। कुम्हार ग्राहकों की मांग के अनुरूप विभिन्न प्रकार के घड़ा, सुराही, मटका, रांजन आदि का निर्माण कर बेच रहे हैं। एक मटके की कीमत 200 से 400 रुपए तक बिक रही है। यह मटके वह तलवाडा से लाए है, इनमें अलग.अलग वैरायटी के मटके शामिल है। मिट्टी और अन्य संसाधन के महंगे हो जाने के कारण इनके दाम बढ़ते- घटते रहते है। ईएमएस / 16 मार्च 2025