ज़रा हटके
13-Mar-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। आयुर्वेद में अमर बेल का उपयोग सदियों से किया जा रहा है। अमर बेल के पत्ते, फल, बीज और छाल, सभी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं और विभिन्न बीमारियों के उपचार में सहायक माने जाते हैं। अमर बेल एक ऐसा पौधा है, जिसके औषधीय गुणों के बारे में सुनते ही इसका महत्व स्पष्ट हो जाता है। इसे ‘अमृत फल’ भी कहा जाता है। अमर बेल एक परजीवी पौधा है, जो अन्य पौधों पर चढ़कर अपना जीवन चक्र पूरा करता है। यह भूमध्यसागरीय क्षेत्र और दक्षिण-पूर्वी यूरोप में व्यापक रूप से पाया जाता है। इसे ‘अखंड लता’, ‘स्वर्ण लता’ और ‘अक्ष बेल’ के नाम से भी जाना जाता है। इसके सुनहरे पीले फूल इसे अन्य पौधों से अलग बनाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, अमर बेल पित्त और कफ दोष को संतुलित करने में सहायक होती है। यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करने, इम्यूनिटी बढ़ाने और रक्त शुद्धि में मददगार मानी जाती है। इसके औषधीय गुण त्वचा, बाल, हृदय और पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं के समाधान में सहायक होते हैं। इसके अलावा, यह मधुमेह नियंत्रण, वजन घटाने और प्रजनन स्वास्थ्य को सुधारने में भी कारगर मानी जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार, अमर बेल के पत्तों और जड़ों से तैयार औषधियां पाचन क्रिया को बेहतर बनाने, सर्दी-खांसी जैसी श्वसन संबंधी समस्याओं को दूर करने और जोड़ों के दर्द में राहत देने में लाभकारी होती हैं। इसका नियमित उपयोग शरीर को ताजगी प्रदान करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है। आधुनिक विज्ञान भी अब इस पौधे के औषधीय गुणों को स्वीकार कर रहा है। शोध बताते हैं कि अमर बेल में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व मौजूद होते हैं, जो शरीर को कई तरह के संक्रमण और सूजन से बचाते हैं। अमर बेल का आयुर्वेद में एक विशेष स्थान है और इसे संजीवनी के समान माना जाता है। सुदामा/ईएमएस 13 मार्च 2025