क्षेत्रीय
12-Mar-2025
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वाराणसी (ईएमएस) । शमशान पर काशी वासियों द्वारा खेली जाने वाली होली भले ही और लोगों के लिए कौतुहल का विषय हो लेकिन काशी वासियों के लिए यह एक आस्था, विश्वास और परंपरा का विषय है। पर्व और उत्सव की नगरी काशी में मंगलवार को देवाधिदेव महादेव के भक्तों ने चीता भस्म से होली खेली। महाश्मशान पर कहां एक और जलती चीता और दूसरी और हर हर महादेव के उदघोष के बीच भस्म के साथ अबीर गुलाल उड़ाया।इस तरह मोक्ष तीर्थ पर राग विराग एकाकार हुआ और जीवन के फलसफा का साक्षात दर्शन कराया। मान्यता है की रंग भरी एकादशी पर काशीपुराधिपति बाबा गवना करा कर माता गौरा को अपने धाम ले आते हैं। लोक से जुड़े आयोजन से उनके गण दूर रह जाते हैं। अगले दिन मध्यान में भोले शंकर जब महाशमशान पर आते हैं तो उन्हें अपने बीच पाकर भूत, प्रेत, पिचाश समेत गण निहाल हो जाते हैं और होली का रंग जमाते हैं। इस मान विधान विधान अनुसार दोपहर में भक्तों ने मणिकर्निका घाट स्थित मंदिर में शिव शक्ति स्वरुप बाबा मशान नाथ और माँ मशान काली की पूजा आरती की। जया विजया मिष्ठान आदि का भोग अर्पित किया।बड़े भाव से चिता भस्म व लाल नीला गुलाल चढ़ाया।प्रसाद स्वरुप सिर माथे लगाया। इसके बाद झांकी भी निकली गई। जगतगुरु संतोष आचार्य सतुवा बाबा व अघोर पीठाधीश्वर कपाली बाबा के सानिध्य में एक दूसरे पर जमकर भस्म गुलाल उड़ाया। संयोजन मंदिर व्यवस्थापक गुलशन कपूर ने किया। डॉ नरसिंह राम/12मार्च2025