-नया स्पेस टेलीस्कोप आकाशगंगाओं पर रखेगा नजर, बनाएगा नक्शा वॉशिंगटन (ईएमएस)। अब अंतरिक्ष में एक और कारनामा होने रहा है। अब आसमान की पूरी तरह से मैपिंग हो सकेगी। लाखों गैलेक्सी यानी आकाशगंगाओं पर नजर रखी जाएगी। इसके लिए नासा ने अपने ब्रह्मास्त्र को अंतरिक्ष की सैर पर भेजा है। नासा का सबसे नया स्पेस टेलीस्कोप मंगलवार को कक्षा की ओर रवाना हो गया है। इसे इसलिए बनाया गया है ताकि यह पूरे आकाश का नक्शा ऐसा बना सके, जैसा पहले कभी नहीं बना। यह सैकड़ों-करोड़ों गैलेक्सीज यानी आकाशगंगाओं और समय की शुरुआत से लेकर अब तक उनकी कॉस्मिक चमक पर एक व्यापक नजर डालेगा। स्पेसएक्स ने कैलिफोर्निया से स्फेयरएक्स ऑब्जर्वेटरी यानी वैधशाला लॉन्च की है। यह पृथ्वी के ध्रुवों के ऊपर से उड़ान भरेगा। इसके साथ ही सूरज का अध्ययन करने के लिए सूटकेस के आकार के चार उपग्रह भेजे हैं। 48.8 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्फेयरएक्स मिशन का उद्देश्य यह है कि अरबों सालों में आकाशगंगा कैसे बनीं और कैसे विकसित हुईं और ब्रह्मांड का विस्तार अपने पहले क्षणों में इतनी तेजी से कैसे हुआ। हमारी अपनी मिल्की वे आकाशगंगा में स्फेयरएक्स ऑब्जर्वेटरी तारों के बीच बर्फ के बादलों में पानी और जीवन की अन्य सामग्रियों की तलाश करेगा, जहां नए सौर मंडल उभरते हैं। शंकु के आकार का स्फेयरएक्स का वजन 1,110 पाउंड यानी 500 किलोग्राम है। यह एक बड़े पियानो के वजन के बराबर है। यह अपनी इन्फ्रारेड आंखों और देखने के व्यापक क्षेत्र के साथ पूरे आकाश का नक्शा बनाने में छह महीने लगाएगा। दो सालों में पूरे आकाश के चार सर्वेक्षणों की योजना है, क्योंकि टेलीस्कोप 400 मील यानी 650 किलोमीटर ऊपर ध्रुव से ध्रुव तक दुनिया भर में चक्कर लगाएगा। स्फेयरएक्स, नासा के बड़े और अधिक विस्तृत हबल और वेब स्पेस टेलीस्कोप की तरह आकाशगंगाओं को बारीकी से नहीं देख पाएगा, क्योंकि उनमें देखने का क्षेत्र बहुत ही संकरा है। गैलेक्सियों की गिनती करने या उन पर ध्यान रखने के बजाय स्फेयरएक्स उन सभी से निकलने वाली सभी चमक का जायजा लेगा, जिसमें ब्रह्मांड बनाने वाले बिग बैंग के मद्देनजर बनने वाले शुरुआती आकाशगंगाएं भी शामिल हैं। इस मिशन के मुख्य वैज्ञानिक जेमी बॉक ने कहा कि यह ब्रह्मांड संबंधी चमक ब्रह्मांडीय इतिहास में उत्सर्जित सभी प्रकाश को पकड़ती है। उन्होंने कहा कि यह ब्रह्मांड को देखने का एक बहुत ही अलग तरीका है। इससे वैज्ञानिकों को यह देखने में मदद मिलेगी कि अतीत में प्रकाश के किन स्रोतों को नजरअंदाज किया गया। उन्होंने कहा कि कलेक्टिव ग्लो यानी चमक से वैज्ञानिक शुरुआती आकाशगंगाओं से प्रकाश निकालने और यह जानने की उम्मीद करते हैं कि वे कैसे बनीं। उन्होंने कहा कि हम बिग बैंग को तो नहीं देख पाएंगे, लेकिन हम इसके बाद के नतीजों को देखेंगे और इस तरह से ब्रह्मांड की शुरुआत के बारे में जानेंगे। इस टेलिस्कोप के इन्फ्रारेड डिटेक्टर 102 ऐसे रंगों को पहचान पाएंगे जो इंसानी आंखों से नहीं दिखते। इस तरह से ब्रह्मांड का अब तक का सबसे रंगीन और व्यापक नक्शा तैयार किया जाएगा। नासा के जेट प्रापल्शन लेबोरेटरी की डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर बेथ फैबिंस्की ने कहा कि यह ‘इंद्रधनुषी चश्मे से ब्रह्मांड को देखने’ जैसा है। सिराज/ईएमएस 12मार्च25