लेख
12-Mar-2025
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(होली पर विशेष ) फागुन देता है दुआ,हर दिल रहे जवान। फगुनाहट में वेग हो,रहे प्रणय का मान।। रंग गा रहे फाग अब,मस्ती करें अबीर। मिलने को आतुर हुए,आज धुरंधर धीर।। दिशा-दिशा मधुमास है,हर कोने अभिसार। धरा-गगन सब हर्ष में,महक रहा संसार।। सजनी के तो गाल पर,साजन मलें गुलाल। गोरी मादक हो उठी,बदली उसकी चाल।। शीतलता लेकर पवन,जियरा रहा झकोर। आज विरहिणी दर्द में,भावुकता का शोर।। दिल में हलचल हो रही ,टूटे संयम-बंध। फागुन अति चंचल हुआ,रचता मादक गंध।। तपसी भी दुर्बल हुए,संयम पर आघात। फागुन लेकर आ गया,रंगों की सौगात।। बौराया-सा फिर रहा,देखो आज बसंत। राह देखती है प्रिया,लौटें शायद कंत।। अहसासों के दौर में,हुआ पल्लवित प्यार। फिर से अब अनुराग में,तीखी-तीखी धार।। होली की शोभा बढ़ी,कोयल का है गान। फूले टेसू कह रहे,करो प्रकृति-गुणगान।। ईएमएस / 12 मार्च 25