(विश्व गुर्दा रोग दिवस 13 मार्च पर विशेष) गुर्दा की बीमारी की ओर अक्सर लोग बेखबर रहते हैं, 8 फीसदी से 10 फीसदी वयस्क किसी न किसी तरह की किडनी क्षति से प्रभावित होते हैं। दुर्भाग्ये से आधे से अधिक मरीज अपनी बीमारी के बारे में तब जान पाते हैं जब उनका गुर्दा 60 प्रतिशत से अधिक क्षतिग्रस्तस हो चुका होता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थातन द्वारा किए गए अध्य6यन के अनुसार गुर्दे के लगभग 1.50 लाख नए मरीज़ हर वर्ष बढ़ जाते हैं जिनमें से बहुत थोड़े लोगों को किसी प्रकार का इलाज उपलब्धी हो पाता है। इस समस्यार ने गंभीर रूप धारण कर लिया है। हर वर्ष गुर्दे की पुरानी बीमारी से ग्रस्तग लाखों मरीज इलाज के बिना रह जाते हैं अथवा बीमारी का शुरू में पता न लग पाने या गुर्दे के प्रतिरोपण के लिए धन की कमी के कारण या मेल खाते हुए गुर्दे के उपलब्धस न हो पाने के कारण प्रतिरोपण नहीं हो पाता। भारत में हर साल लगभग पांच लाख गुर्दे का प्रत्या्रोपण किए जाने की आवश्याकता होती है, लेकिन इस मंहगी प्रक्रिया के माध्याम से कुछ हज़ार मरीज ही नया जीवन प्राप्ते कर पाते हैं। हर वर्ष मार्च माह के दूसरे बृहस्पतिवार को सारे विश्वर में विश्वी गुर्दा दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व गुर्दा दिवस 13 मार्च को जाएगा। गुर्दे के महत्वै और गुर्दे की बीमारी तथा उससे जुड़ी अन्यह बीमारियों के खतरे को कम करने के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सन् 2006 से प्रतिवर्ष मनाया जाता है। विश्व गुर्दा रोग दिवस 2025 का नारा है, क्या आपकी किडनी ठीक है? जल्दी पता लगाएँ, किडनी के स्वास्थ्य की रक्षा करें. यह साल भर चलने वाला अभियान है। इसका उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना और व्यक्तियों को अपनी किडनी के स्वास्थ्य की रक्षा और उसका आकलन करने के लिए प्रेरित करना है। विश्व किडनी दिवस 2025 किडनी रोग के चरणों , प्रारंभिक निदान और जीवनशैली में बदलावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर केन्द्रित है जो किडनी से संबंधित विकारों को रोकने में मदद करते हैं। किडनी रोग के बढ़ते प्रचलन को देखते हुए, इस वर्ष के अभियान का मकसद किडनी रोग रक्त परीक्षण , मूत्र में रक्त परीक्षण और नियमित स्वास्थ्य जांच के महत्व को उजागर करना है । प्रारंभिक अवस्था में किडनी रोग के लक्षणों का पता लगाने से सी.के.डी. और किडनी फेलियर जैसी गंभीर जटिलताओं को रोका जा सकता है । नियमित जांच, जिसमें रक्त शर्करा स्तर परीक्षण और किडनी रोग रक्त परीक्षण शामिल हैं, किडनी की समस्याओं को जीवन के लिए खतरा बनने से पहले पहचानने में मदद करते हैं। फिजीशियन डा रामकृष्ण भारद्वाज के अनुसार - किडनी रोग के सामान्य लक्षण जिन्हें आपको नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। किडनी रोग के लक्षण अक्सर शुरुआती चरणों में नज़र नहीं आते। किडनी रोग के कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:थकान और कमजोरी, पैरों, टखनों या आंखों के आसपास सूजन,पेशाब के पैटर्न में परिवर्तन (बार-बार पेशाब आना या पेशाब की मात्रा कम होना) मूत्र में रक्त की उपस्थिति,लगातार उच्च रक्तचाप है। चूंकि उच्च रक्त शर्करा स्तर जैसी स्थितियां भी गुर्दे की कार्यप्रणाली को प्रभावित करती हैं, इसलिए मधुमेह से पीड़ित लोगों को नियमित रूप से अपने गुर्दे के स्वास्थ्य की निगरानी करनी चाहिए। किडनी रोग के प्रबंधन के लिए जीवनशैली में बदलाव, दवा और उन्नत चिकित्सा उपचार के संयोजन की आवश्यकता होती है। किडनी की बीमारी को रोकने और समय रहते उसका पता लगाने के लिए हर साल किडनी की जांच करवाना बहुत ज़रूरी है।नियमित किडनी जांच और स्वस्थ जीवनशैली से किडनी रोग का जोखिम काफी हद तक कम हो सकता है। किडनी रोग के लिए जांच के माध्यम से प्रारंभिक पहचान बेहतर प्रबंधन और उपचार परिणाम सुनिश्चित करती है। मानसिक तनाव और मधुमेह के बाद गुर्दे की पुरानी बीमारी तीसरी सबसे बड़ी गैर संक्रमणकारी बीमारी है। पहली दोनों बीमारियां भी गुर्दो पर असर डालती हैं और अक्सीर गुर्दे की पुरानी बीमारी का रूप ले लेती हैं। आंकड़ों के अनुसार गुर्दे की पुरानी बीमारी के लगभग 60 प्रतिशत मरीज पूर्व में या तो मधुमेह के मरीज रहे होते हैं या फिर उच्चग रक्तप चाप के मरीज रहे होते हैं या फिर वे इन दोनों बीमारियों से ग्रस्ती रहे होते हैं। गुर्दे की बीमारी का यदि शुरू में ही पता चल सके तो उसका इलाज समय से किया जा सकता है और इसके साथ जुड़ी अन्यब जटिलताओं से बचा जा सकता है परिणामस्वकरूप मूत्र तथा हृदयवाहिनी से संबंधित बीमारियों के कारण होने वाली मौतों और विकलांगताओं के बढ़ते हुए बोझ को काफी कम किया जा सकता है। गुर्दे की लंबी बीमारी से जुड़े खतरों को समझना ज़रूरी है। शुरूआती चरण में बीमारी के लक्षणों का पता नहीं चलता इसलिए इलाज भी संभव नहीं हो पाता। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो स्वा स्य्ता सेवाओं को गुर्दे की लंबी बीमारी के मरीज़ों की बड़ी संख्याम का सामना करना होगा। विश्वं गुर्दा दिवस गुर्दे की पुरानी बीमारी के खिलाफ कदम उठाए जाने की आवश्यीकता की याद दिलाता है ताकि शरीर के इस महत्वीपूर्ण अंग के स्वा स्य्ीग का महत्वे समझा जा सके और उस पर लगातार नज़र रखी जा सके। यह दिन हम सभी के लिए इस जटिल अंग को स्वेस्थव रखने की जानकारी जुटाने के लिए एक अवसर है। गुर्दे से जुड़ी बीमारियों की समय से जानकारी मिलने से समय पर हस्त क्षेप और इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में निश्चेय ही मदद मिलेगी। विश्वं गुर्दा दिवस मनाए जाने का उदे्दश्य हर व्यलक्ति को इस विषय में जागरूक करना है कि मधुमेह तथा उच्च रक्तदचाप गुर्दे के स्वादस्य्।ज के लिए खतरा हैं अत: मधुमेह और उच्च रक्तबचाप के सभी मरीज़ों को गुर्दे की नियमित जांच करानी चाहिए। इस विषय में विशेषकर गंभीर खतरे वाले क्षेत्रों में रहने वाली जनसंख्या के बीच जागरूकता फैलाने में चिकित्सा बिरादरी की महत्वेपूर्ण भूमिका हो सकती है। गुर्दे की लंबी बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए स्थाबनीय और राष्ट्री य स्वाकस्य्या अधिकारियों को महत्वगपूर्ण भूमिका निभानी होगी। इस दिवस के माध्यरम से सभी सरकारी प्राधिकारियों को गुर्दे की जांच-सुविधाओं में निवेश करने और इस विषय में विभिन्नय कदम उठाए जाने के लिए संदेश दिया जाता है। गुर्दा खराब होने जैसी आपातकाल स्थिति में गुर्दा का प्रतिरोपण ही सबसे बेहतर विकल्पय है। अत: अंग दान को जीवनदायी कदम के रूप में प्रोत्सागहित किये जाने की आवश्यिकता है। भारत सरकार ने मानव अंग प्रतिरोपण (संशोधन) अधिनियम, 2011 लागू किया है, जिसमें गुर्दा दान तथा मृत व्यतक्तियों के गुर्दे दान को प्रोत्सासहित करने के अनेक प्रावधान हैं। अभी तक सरकार ने गुर्दे की लंबी बीमारियों के रोकथाम और इलाज के लिए अनेक कदम उठाएं हैं। सभी बड़े सरकारी अस्पसतालों में डायलिसिस सुविधा उपलब्धन है। भारत सरकार ने कैंसर, मधुमेह, हृदयवाहिनी की बीमारियों तथा स्ट्रो्क (एनपीसीडीसीएस) के लिए राष्ट्री य कार्यक्रम आरंभ किया है, जिससे गुर्दे संबंधी लंबी बीमारियों और गुर्दे खराब होने से बचाव संभव हो सका है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम (पीएमएनडीपी) की शुरुआत 2016 में की गई थी, जिसका उद्देश्य देश के जिला अस्पतालों में गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) रहने वाले सभी रोगियों को निःशुल्क डायलिसिस सेवाएँ प्रदान करना था। पीएमएनडीपी के तहत, राज्य सरकारों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत बीपीएल रोगियों को निःशुल्क डायलिसिस सेवाएँ प्रदान करने के लिए सहायता प्रदान की जाती है। वित्तीय सहायता राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से उनके वार्षिक कार्यक्रम कार्यान्वयन योजनाओं (पीआईपी) में उनके केस लोड के अनुसार प्राप्त प्रस्तावों पर आधारित है। ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम’ बेहतर गुणवत्ता और लागत-प्रभावी स्वास्थ्य सेवाओं का वितरण सुनिश्चित करने तथा चिकित्सकीय रूप से सुरक्षित और प्रभावी कार्यक्रम विकसित करने के लिए एनएचएम के तहत डायलिसिस सेवाएं प्रदान करने के प्रावधान की परिकल्पना करता है। वही प्रारंभिक अवस्था में एनसीडी की रोकथाम और प्रबंधन की दिशा में प्रयास जारी रहेगा तथा अंतिम चरण के गुर्दा रोग उपचार के लिए डायलिसिस देखभाल तक पहुंच प्रदान करना इसकी प्रमुख प्राथमिकता है। देश के 35 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 571 जिलों के 1054 केंंदों पर 7207 हेमोडायलिसिस मशीनें काम कर रहीं है। जनता के बीच स्वा स्य्ाय संबंधी और विशेषकर गुर्दे की लंबी बीमारी सहित गैर-संक्रामक रोगों के विषय में जागरूकता फैलाने के लिए भारत सरकार द्वारा दूरदर्शन तथा आकाशवाणी पर विशेष कार्यक्रमों का प्रसारण किया जा रहा है। गुर्दे की लंबी बीमारी के मरीजों को समय पर इलाज न मिलने के कारण उनका तथा उनके परिवार का पूरा जीवन दयनीय हो सकता है। ऐसे में यह आज के समय की आवश्यंकता है कि हम सभी स्व्स्थव जीवन शैली को अपनाएं। साथ ही, बीमारी के खतरे से ग्रस्ति व्याक्तियों को नियमित रूप से अपने स्वावस्य्ाप की जांच करवाने एवं निगरानी रखने की आवश्येकता है। इस महत्वमपूर्ण दिवस पर आइये हम सभी इस महत्वेपूर्ण अंग के विषय में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्तन करने और एक-दूसरे को जागरूक करने का संकल्पत लें। ईएमएस / 12 मार्च 25