अहमदाबाद (ईएमएस)| गुजरात के ग्रेटर गिर क्षेत्र के पर्यावरण के संरक्षण और सुरक्षा के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विभिन्न अभियान चलाए गए जिसके सकारात्मक परिणाम अब देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में सख्त कानून, नियम और योजनाएं लागू कीं जिन्हें वर्तमान में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल उसी प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ा रहे हैं। पिछले डेढ़ दशक में गुजरात वन्यजीवों के लिए एक सुरक्षित राज्य बन गया है, और यह गुजरात के लिए बहुत ही गौरव की बात है। इतना ही नहीं, राज्य सरकार वन्य जीव-जंतुओं और वनस्पतियों के बारे में जन जागरूकता पैदा करने तथा उनके संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा देने विभिन्न आधुनिक तकनीक और प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रही है। वन्यजीव संरक्षण के विभिन्न पहलुओं का संचालन करने में वैज्ञानिक निगरानी और अनुसंधान काफी अहम है। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए वर्ष 2019 में गिर में अत्याधुनिक मॉनिटरिंग यूनिट की स्थापना की गई है। *हाईटेक मॉनिटरिंग यूनिट : पशु-पक्षियों का रेडियो टेलीमेट्री अध्ययन और सर्विलांस हाईटेक मॉनिटरिंग यूनिट के माध्यम से मांसाहारी पशुओं और गिर क्षेत्र के पक्षियों का रेडियो टेलीमेट्री अध्ययन किया जाता है। इसके अलावा, वायरलेस कम्यूनिकेशन, माइक्रोचिप डेटासेट तथा सफारी के वाहनों और प्रवेश एवं निकास बिंदुओं का सर्विलांस भी किया जाता है। रेडियो टेलीमेट्री अध्ययन के अंतर्गत रेडियो ट्रांसमीटर के माध्यम से जानवरों की चाल-गतिविधियां और उनके व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। स्पीड मॉनिटरिंग सिस्टम : अभयारण्य के निकट स्थित सड़कों पर यातायात प्रबंधन संरक्षित क्षेत्र के निकट से होकर गुजरने वाली सड़कों पर आधुनिक स्पीड मॉनिटरिंग सिस्टम (गति निगरानी प्रणाली) स्थापित की गई है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई जानवर वाहनों की चपेट में ना आए। यह सेंसर आधारित मॉनिटरिंग प्रणाली है, जो थर्मल कैमरा टेक्नोलॉजी का उपयोग करती है। यह सिस्टम इस क्षेत्र से गुजरने वाले वाहनों की गति को मापता है, जिसे एलईडी स्क्रीन पर प्रदर्शित कर ड्राइवर को अलर्ट किया जाता है। वहीं, स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) टेक्नोलॉजी यहां से गुजरने वाले वाहनों की लाइसेंस प्लेट को पढ़कर आसानी से वाहनों की पहचान कर लेती है। थर्मल कैमरे जानवरों और वस्तुओं के हिट सिग्नेचर की पहचान करते हैं। इस टेक्नोलॉजी की मदद से खराब मौसम और कम दृश्यता में भी वन्यजीवों की गतिविधियों को जानने में मदद मिलती है। वाहनों की जानकारी और वन्यजीवों की उपस्थिति सहित सभी आवश्यक जानकारियों को कंट्रोल सेंटर और फॉरेस्ट चेक पोस्ट पर भेजा जाता है। इससे संवेदनशील सड़कों पर वन्यजीवों की दुर्घटनाओं को रोकने में मदद मिली है| सतीश/11 मार्च