11-Mar-2025
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रमजान के पवित्र माह में पुरुषों को भी कुत्तों की तरह घुटनों पर चलाया जा रहा सीरिया,(ईएमएस)। रमजान के पवित्र माह में सीरिया में जारी संघर्ष ने भयावह रूप ले लिया है। सीरिया की नई सरकार और अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद के समर्थकों के बीच चल रही हिंसक झड़पों में हजारों लोग मारे गए हैं। चिंता की बात यह है कि इस संघर्ष में मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं। युवतियों और विवाहित महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाओं में वृद्धि हुई है, साथ ही उन्हें सरेआम निर्वस्त्र करके घुमाने की खबरें सामने आई हैं। वहीं विश्व हिंदू परिषद ने सीरिया में महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों की निंदा की है और साथ ही उन राजनीतिक दलों, कट्टरपंथियों, कठमुल्लों और मुस्लिम धर्मगुरुओं से सवाल पूछा है कि आखिर वे इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं? वीएचपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने लिखा, महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाकर की हत्या! रमजान में भी..!! पुरुषों को भी कुत्तों की तरह घुटनों पर चलाया जा रहा है। इतना ही नहीं, सरकार समर्थक सुन्नी मुस्लिमों द्वारा महिलाओं की हत्या करने से पहले उन्हें सड़कों पर निर्वस्त्र दौड़ाया जा रहा है। वह भी कथित पवित्र इस्लाम के नाम पर!! क्या यही है इस्लाम और रमजान का पाक नामा!! गाजा पर बाजा बजाकर आतंकियों के लिए आंसू बहाने वाले भारतीय कट्टरपंथी मुस्लिम उलेमा और उनकी संस्थाएं इस पर क्यों मौन हैं? छोटी छोटी बातों पर बयान देने वाले लोग और संस्थाएं किधर मुंह छुपा कर बैठी हैं?’ गौरतलब है कि भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी के रोज़ा रखने पर भी हाल ही में देश में विवाद हुआ था। लेकिन,शमी के रोज़े पर सवाल उठाने वाले न किसी मौलाना ने और न ही गाज़ा को लेकर बवाल मचाने वाले किसी मुस्लिम धर्मगुरु ने सीरिया की घटनाओं पर कोई बयान दिया है। वीएचपी ने इन धर्मगुरुओं के दोहरे चरित्र पर सवाल उठाया है। आशीष दुबे / 11 मार्च 2025