लेख
11-Mar-2025
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दुनिया के देशों में आर्थिक मंदी का तूफान शुरू हो गया है। आने वाले कुछ ही महीनों में यह तीव्र गति से आगे बढ़ेगा। अमेरिकी शेयर बाजार में भारी गिरावट का दौर शुरू हो गया है। नैस्डेक कंपोजिट 4.25 फ़ीसदी, डाउ जॉन्स 1.83 फ़ीसदी, एसडीपी 500 2.75 फ़ीसदी गिरावट के साथ कारोबार कर रहे हैं। टेस्ला के शेयर 13.75 फ़ीसदी गिर गए हैं। एनवीडीया के 5.5 फ़ीसदी, एप्पल के 5.78 फ़ीसदी, गूगल के 5.18 फ़ीसदी, मेटा के 5.58 फ़ीसदी तथा गोल्डमैन सैश के 5.97 फ़ीसदी गिरावट के साथ शेयर बाजार में कारोबार हुआ है। अमेरिका के लिस्टेड शेयरों में काफी बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हतप्रभ हैं। उन्हें समझ ही नहीं आ रहा है, शेयर बाजार की इस गिरावट को लेकर वह क्या बोलें। इसी तरह से भारतीय शेयर बाजार में पिछले 6 माह से लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। भारतीय शेयर बाजार 19 साल बाद अमेरिकी शेयर बाजार से सस्ते हो गए हैं। 2009 के वैल्यूएशन के अनुसार पहली बार डाउ जॉन्स इंडस्ट्रियल का एवरेज भारतीय शेयर बाजार पिछले 1 साल में 21.8 गुना कारोबार कर रहा है। जबकि डाउ जॉन्स 22.4 गुना कारोबार कर रहा है। भारतीय शेयर बाजार को थामने के लिए सरकार और वित्तीय संस्थाओं द्वारा पिछले कुछ समय पहले जो प्रयास किए गए थे। वह सब शेयर बाजार की गिरावट मे पूंजी डालने के कारण जिस तरह कीचड़ में पानी डालने से कीचड़ बढ़ता है। शेयर बाजार में पूंजी डालने के कारण जो पैसा शेयर बाजार में डाला गया, वह भी बिकवाली के कारण बाजार से निकल गया। विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से लगातार बिकवाली कर रहे हैं। अक्टूबर 2024 के बाद से विदेशी निवेशकों ने भारत में फाइनेंशियल सर्विसेज, आयल ऐंड गैस, ऑटोमोबाइल, एमएफजी, कंज्यूमर सर्विसेज, कंस्ट्रक्शन और पावर सेक्टर में लगातार बिकवाली की है। विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर 2024 के बाद से अभी तक 2 लाख करोड़ से ज्यादा की बिकवाली की है। भारतीय शेयर बाजार में लार्ज मिडकैप और स्मॉलकैप के शेयरों की बड़े पैमाने पर बिकवाली शुरू हो गई है। देसी निवेशक भी शेयर बाजार से भयभीत हैं। वह भी अपने शेयर बेचकर बाहर निकलना चाहते हैं। स्मॉल कैप और मिड कैप के शेयर अपनी फेस वैल्यू पर पहुंच रहे हैं। जिसके कारण देसी निवेशकों का हौसला पूरी तरह से टूट गया है। अमेरिका से शुरू हुए टैरिफ बार ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को तहश-नहश करने का काम किया है। आर्थिक मंदी के इस दौर में अमेरिका ने जो टैरिफ़ बार शुरू किया है, उसका खामियाजा अब अमेरिका को भी भुगतना पड़ रहा है। डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार एलन मस्क को ऐसा खामियाजा भुगतना पड़ेगा, इसका एहसास तो उन्हें भी नहीं रहा होगा। आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार सारी दुनिया के देश इस समय कर्ज की समस्या से जूझ रहे हैं। कर्ज के कारण दुनिया भर के आम आदमी से लेकर दुनिया की सभी सरकारें कर्ज और ब्याज से परेशान हैं। आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया की तर्ज पर, पिछले 30 सालों से कर्जा लेकर घी पीने की पूंजीवादी अर्थव्यवस्था समाप्त होने की कगार पर है। दुनिया के देशों में महंगाई-बेरोजगारी की समस्या दिनों-दिन बढ़ती ही चली जा रही है। जिसके कारण सरकारों के खिलाफ आम जनता नाराज होकर सड़कों पर आने लगी है। निम्न एवं मध्यम वर्ग के पास खर्च करने के लिए पैसा नहीं है, जिसके कारण औद्योगिक उत्पादन भी घटता चला जा रहा है। दुनिया भर की सरकारों ने पिछले 30 सालों में बहुत टैक्स बढ़ाया है। पिछले 30 वर्षों में सरकारों ने अपने खर्च भी बढ़ाए थे। अब कर्ज नहीं मिल रहा है। ब्याज के बोझ से दबकर खर्च करने लायक पैसे भी नहीं बचे हैं। अमेरिकी सरकार को भी अपने कर्ज और खर्च घटाने के लिए जो प्रयास करने पड़ रहे हैं, इसका असर अमेरिका पर पड़ रहा है। इसकी शुरुआत में ही बड़ा खामियाजा अमेरिका को भुगतना पड़ रहा है। आसानी से समझा जा सकता है, कि आने वाले कुछ महीनो के अंदर ही पूरी दुनिया के देश, आर्थिक मंदी के शिकार होने जा रहे हैं। वैश्विक व्यापार संधि के कारण पिछले 30 वर्षों में सारी दुनिया के देशों में अर्थ व्यवस्था, पूंजीपतियों के हाथों में पहुंच गई थी। सारी दुनिया के देशों में कुछ ही लोगों के पास पूंजी एकत्रित होकर रह गई है। मध्यम और निम्न वर्ग के पास खर्च करने के लिए पैसे नहीं हैं। भारत जैसे देश में आर्थिक मंदी के कारण भारतीय बैंकों तथा भारतीय जीवन निगम जैसी संस्थाओं के लिए बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है। ऐसी स्थिति में एक बार फिर समाजवादी व्यवस्था की ओर सारी दुनिया के देशों को ध्यान केंद्रित करना होगा। तभी इस समस्या से निजात मिल सकती है। वैश्विक व्यापार संधि जो अभी पूंजीपतियों का एकाधिकार कायम करती है, इसमें बदलाव करने की जरूरत है। पूंजीवाद के साथ-साथ समाज के मध्यम और कमजोर वर्गों को भी साथ लेकर चलने की नीतियां बनानी होंगी। आम जनता पर टैक्स कम करना होगा। रोजगार और महंगाई जैसे विषय पर भी ध्यान देने की जरूरत है। वैश्विक व्यापार संधि पूंजीवादी व्यवस्था अब समाप्ति की ओर है। ईएमएस / 11 मार्च 25