ज़रा हटके
11-Mar-2025
...


नई दिल्ली (ईएमएस)। आयुर्वेद के अनुसार ‘गुड़मार’ या ‘मधुनाशिनी’ के रूप में एक प्रभावी औषधि मौजूद है, जो मधुमेह रोगियों के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। ‘गुड़मार’ एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जो मुख्य रूप से मध्य भारत, दक्षिण भारत और श्रीलंका में पाई जाती है। यह एक बेल (लता) के रूप में उगती है। इसकी खासियत यह है कि इसकी पत्तियाँ चबाने पर व्यक्ति को किसी भी मीठी चीज का स्वाद नहीं आता। यह प्रभाव लगभग एक घंटे तक रहता है, जिससे मीठा खाने की आदत पर नियंत्रण किया जा सकता है। गुड़मार की पत्तियाँ खाने के बाद मुंह में रेत जैसी अनुभूति होती है, जो इसके विशेष गुणों का प्रमाण है। आयुर्वेद में गुड़मार को ब्लड शुगर नियंत्रित करने में अत्यधिक प्रभावी माना गया है। इसमें मौजूद ‘जिम्नेमिक एसिड’ नामक तत्व शरीर में ग्लूकोज के अवशोषण को कम करता है, जिससे रक्त में शुगर का स्तर संतुलित रहता है। इसके अलावा, यह शरीर में इंसुलिन उत्पादन को बढ़ाने में भी सहायक होता है, जिससे विशेष रूप से टाइप-2 डायबिटीज के रोगियों को राहत मिलती है। इसके नियमित सेवन से न केवल ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है, बल्कि शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा भी प्राप्त होती है। गुड़मार न केवल डायबिटीज नियंत्रण में सहायक है, बल्कि वजन घटाने में भी उपयोगी माना जाता है। यह मेटाबॉलिज्म को तेज करता है, जिससे शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम होती है। इसके अलावा, यह कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को नियंत्रित करने में भी सहायक होता है, जिससे हृदय रोगों का खतरा कम हो जाता है। नियमित रूप से गुड़मार का सेवन करने से हृदय स्वस्थ बना रहता है और शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है। इसका सेवन कई रूपों में किया जा सकता है। इसे पाउडर के रूप में पानी या शहद के साथ लिया जा सकता है, वहीं इसकी पत्तियों का काढ़ा बनाकर भी पिया जा सकता है। आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार, इसका सेवन करने से पहले चिकित्सकीय परामर्श लेना उचित होता है, ताकि यह शरीर पर सही प्रभाव डाल सके। गुड़मार, अपने प्राकृतिक गुणों के कारण, डायबिटीज और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से लड़ने में बेहद प्रभावी साबित हो सकता है। बता दें कि डायबिटीज के कारण न केवल उनकी पसंदीदा मिठाइयाँ छूट जाती हैं, बल्कि उन्हें कई अन्य शारीरिक समस्याओं से भी जूझना पड़ता है। सुदामा/ईएमएस 11 मार्च 2025