राष्ट्रीय
10-Mar-2025


नई दिल्ली (ईएमएस)। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने सोमवार को संसद से वित्त वर्ष 2024-25 लिए सप्लीमेंट्री डिमांड फॉर ग्रांट्स के द्वारा 6,78,508.10 करोड़ रुपए के अतिरिक्त खर्च की मंजूरी मांगी। इसमें 52 ग्रांट और तीन विनियोग शामिल हैं। इसमें से नकद खर्च 51,462.86 करोड़ रुपए है, जबकि बाकी पैसे अलग-अलग मंत्रालयों में हुई बचत और दूसरे माध्यम से समायोजित की जा रही है। इसके अलावा, मोदी सरकार ने 67 लाख रुपए की एक टोकन मनी का प्रस्ताव रखा है, ताकि बचत को नए सेवाओं या पहलों के लिए रिलोकेट किया जा सके। सबसे बड़े आवंटन में डिफेंस पेंशन के लिए 8,476 करोड़ रुपए, कम्यूनिकेशन के लिए 10,910.71 करोड़ रुपए, वित्त के लिए 13,449 करोड़ रुपए और कृषि योजनाओं के लिए 6,044.76 करोड़ रुपए शामिल हैं। इसके साथ ही, पीएम-किसान के लिए 2,185.63 करोड़ रुपए और उसी योजना के तहत अन्य दूसरी सहायता के लिए 1,604.50 करोड़ रुपए अलग से रखे गए हैं। कृषि अनुसंधान के लिए, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) को अतिरिक्त पेंशन के लिए 130 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। परमाणु ऊर्जा विभाग को भी रूसी कंपनी टीवीईएल (टीवीईएल) से ईंधन खरीदने के लिए 301.49 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, ताकि परमाणु ऊर्जा का उत्पादन सुनिश्चित की जा सके। दरअसल सप्लीमेंट्री ग्रांट्स वह धनराशि है जो सरकार के खर्च को पूरा करने के लिए जरूरी होती हैं, जब शुरू में मिला पैसा कम हो जाता है। अगर संसद द्वारा स्वीकृत पैसा पर्याप्त न हों, तब सप्लीमेंट्री ग्रांट की मांग संसद में पेश किया जाता है। इस विषय पर संसद में चर्चा होती है और वित्त वर्ष खत्म होने से पहले संसद द्वारा इस पारित किया जाता है। जब मंत्रालय सरकार द्वारा दिए गए पैसे से अधिक खर्च कर देता है, तब वित्त और रेलवे मंत्रालय सरकार से अतिरिक्त अनुदान की मांग करता है। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक इसतरह के अतिरिक्त खर्चों के बारे में संसद को बताते हैं। लोक लेखा समिति इन अतिरिक्त खर्चों की समीक्षा करती है और फिर संसद को सिफारिशें देती है। अतिरिक्त पैसे की मांग पहले से आवंटित पैसे के खर्च होने के बाद प्रस्तुत की जाती है और यह उस वित्तीय वर्ष के बाद संसद में पेश की जाती है जिसमें खर्च हुआ था। आशीष दुबे / 10 मार्च 2025