पिछले महीने 14 फरवरी को छावा फिल्म का हिंदी संस्करण प्रीमियर शो के बाद पर्दे पर आया है। यह फिल्म मराठा छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी राव महाराज की बायोपिक है। यह फिल्म मराठी उपन्यास छावा पर आधारित है। इस फिल्म को सुनियोजित तरीके से फिल्माया गया है। इस फिल्म में औरंगजेब की भूमिका फिल्म अभिनेता अक्षय खन्ना, महारानी येसुबाई की भूमिका रश्मिका मंदांना ने, आशुतोष राणा ने सर सेनापति हंबीरराव मोहिते की भूमिका निभाई है। जैसे ही यह फिल्म प्रदर्शित हुई। उसके तुरंत बाद इस फिल्म को लेकर देशभर में राजनीति शुरू हो गई। औरंगजेब अच्छा शासक था, या खराब इसको लेकर एक बहस शुरू की गई। महाराष्ट्र विधानसभा से एक विधायक द्वारा औरंगजेब को बेहतर शासक बताए जाने और उसके द्वारा हिंदू मंदिर बनवाए गए। यह कहे जाने के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया। पिछले कई दिनों से औरंगजेब मीडिया में छाए हुए हैं। महाराष्ट्र से लगी यह आग धीरे-धीरे उत्तर प्रदेश होते हुए पूरे देश में फैल गई है। रही-सही कसर अब फिल्म पूरी कर रही है। छावा फिल्म में मध्य प्रदेश के असीरगढ़ के किले को दिखाया गया है। औरंगजेब सोने-चांदी की लूट करके असीरगढ़ किले में जमा करता था। यहां पर उसने एक टकसाल बना रखी थी। जिसमें वह सिक्के ढलवाया करता था। फिल्म का यह दृश्य देखने के बाद सारे देश में यह अफवाह फैली, कि असीरगढ़ के किले में बड़ी मात्रा में सोने-चांदी के सिक्के छुपाकर मुगल शासकों द्वारा रखा गया था। उसके बाद से असीरगढ़ के किले बुरहानपुर के आसपास के लोग और अब बाहर से हजारों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। सोने की लालच में असीरगढ़ के किले को खोदा जा रहा है। हजारों की संख्या में असीरगढ़ किले में शाम को 7 बजे से सुबह 3 बजे तक बड़े पैमाने पर खुदाई की जा रही है। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ है। सोने की खोज में किले के अंदर बड़े-बड़े गढ्ढे हो गए हैं। वीडियो में कुछ लोग दावा करते हुए नजर आ रहे हैं, कि उन्हें खुदाई में सोना मिला है। उनके इस दावे के बाद रोजाना किले की खुदाई करने वालों की संख्या बढ़ती चली जा रही है। रात होते ही जब बुरहानपुर अंधेरे की आगोश में होता है, तब यहां पर हजारों लोग किले की खुदाई करके एक तरह से सोने की खोज में किले को जमी-दोज करने का प्रयास कर रहे हैं। वीडियो वायरल होने के बाद जिला प्रशासन नींद से जागा है। अधिकारियों ने चेतावनी जारी की है। असीरगढ़ किले की खुदाई करने वालों पर जिला प्रशासन कड़ी कार्रवाई करेगा। स्थानीय चर्चाओं के अनुसार औरंगजेब के इस किले को गिराने के लिए सोने की अफवाह उड़ाई गई है। औरंगजेब के मुगल काल में इस किले का बड़ा महत्व रहा है। यह कहा जा रहा है कि एक सुनियोजित साजिश के तहत मुगल काल की इस ऐतिहासिक स्वरूप को समाप्त करने के लिए पहले मराठी उपन्यास छावा लिखा गया, उसके बाद इस उपन्यास के आधार पर फिल्म बनाने का दायित्व अक्षय खन्ना को दिया गया। इस फिल्म में जो दृश्य दिखाए गए हैं, उन दृष्यों के आधार पर देश भर में एक नई राजनीति और अफवाहों का दौर शुरू हुआ। फिल्म ने अभी तक 500 करोड़ रुपए से ज्यादा का कलेक्शन कर लिया है। देश की राजनीति औरंगजेब और इसी फिल्म के आस-पास देखने को मिल रही है। जिसने हिंदू और मुगल के नाम पर एक ऐसी अलगाववाद की चेतना पैदा कर दी है। राजनीति के साथ-साथ असीरगढ़ किले के ऐतिहासिक महत्व को खत्म करने के लिए किले को नेस्त-नाबूत करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। जिस तरह विवादित ढांचा अयोध्या में गिराया गया था, ठीक उसी तर्ज पर भीड़ द्वारा असीरगढ़ को नेस्तनाबूद करने के लिए सोने की अफवाह फैलाई गई है। वह अफवाह सफल होती दिख रही है। किले के आसपास बड़ी मात्रा में सोने के लालच में खुदाई शुरू हो चुकी है। जिला प्रशासन भी शांत बैठा हुआ है। वैसे असीरगढ़ का किला हैहैयवंश के अंतिम क्षत्रिय राजा आसा अहीर द्वारा बनवाया गया था। इतिहासकारों ने इसे बाब-ए-दक्खन यानी दक्षिणी द्वार और कलोद-ए-दक्खन यानी दक्षिण की कुँजी के नाम से उल्लेखित किया है। इसका अपना एक ऐतिहासिक पुरातात्विक महत्व है। ऐसे में इसका संरक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के नियमानुसार किया जाना चाहिए, लेकिन फिल्म छावा के झूठ-सच के विवाद के बीच में यह ऐतिहासिक धरोहर कितने दिन सुरक्षित रहेगी, इसका भगवान ही मालिक है। ईएमएस / 09 मार्च 25