नई दिल्ली (ईएमएस)। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने एक ऑनलाइन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य जूनोटिक बीमारियों (जो जानवरों से इंसानों में फैलती हैं) के बारे में जानकारी देना था। यह कार्यक्रम कॉमन सर्विस सेंटर नेटवर्क के जरिए 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 2050 स्थानों पर आयोजित किया गया। इसमें 1 लाख से ज्यादा महिला पशुपालकों ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डीएएचडी की सचिव, अल्का उपाध्याय ने की, जिसमें विशेषज्ञों और डॉक्टरों ने महिलाओं को स्वच्छ दूध उत्पादन, बीमारियों से बचाव और पारंपरिक पशु चिकित्सा (एथ्नोवेटरनरी मेडिसिन) के महत्व के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम के दौरान, अल्का उपाध्याय ने महिला पशुपालकों से उनके पशुओं के स्वास्थ्य और टीकाकरण के बारे में जानकारी ली। उन्होंने बताया कि महिलाओं ने डेयरी सहकारी समितियों के जरिए खुद को संगठित किया है, जिससे उन्हें ऋण और बड़े बाजारों तक पहुंच मिली है। जहां डेयरी सहकारी समितियां उपलब्ध नहीं हैं, वहां महिलाएं किसान उत्पादक संगठन , सामुदायिक किसान समूह और स्वयं सहायता समूह के माध्यम से अपने व्यवसाय को बढ़ा रही हैं। उन्होंने महिलाओं से सरकारी योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाने की अपील की और बताया कि बकरी और भेड़ पालन से कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। कोविड महामारी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जूनोटिक बीमारियों की रोकथाम बहुत जरूरी है, ताकि जानवरों से इंसानों में बीमारी का प्रसार न हो और उत्पादन प्रभावित न हो। उन्होंने महिलाओं को स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़ी आदतों को अपनाने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम में DAHD की अपर सचिव, वर्षा जोशी ने भी महिला पशुपालकों से बातचीत की और पशुपालन और जनस्वास्थ्य के बीच के संबंध को समझाया। उन्होंने साफ-सफाई, टिकाऊ पशुपालन और जैव सुरक्षा (बायो-सिक्योरिटी) के उपायों पर जोर दिया, ताकि जानवरों से इंसानों में बीमारियों का संक्रमण रोका जा सके। उन्होंने यह भी बताया कि स्वच्छ दूध उत्पादन से किसानों को अधिक लाभ मिलेगा और लोगों की सेहत भी बेहतर होगी। सुबोध/०८-०३-२०२५