5 महीने से अधिक हो गए, शेयर बाजार में लगातार गिरावट होने से शेयर बाजार में निवेशकों को लगभग 92 लाख करोड रुपए से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है। लगातार गिरावट को देखते हुए अब रिजर्व बैंक ने मोर्चा संभाला है। रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से शेयर बाजार पिछले दो दिनों से हरे निशान पर देखने को मिल रहा है। रिजर्व बैंक ने 1.1 लाख करोड रुपए के गवर्नमेंट बांड जारी करने का ऐलान किया है। रिजर्व बैंक दो फेज में शेयर बाजार में निवेश करेगी। रिजर्व बैंक, शेयर बाजार को गिरने से रोकने के लिए 24 मार्च को 10 अरब डॉलर का रुपया-डॉलर बाय सेल की नीलामी करने जा रहा है। शेयर बाजार में लगातार गिरावट का सबसे बड़ा कारण विदेशी पोर्टफोलियो के निवेशकों की बिकवाली को बताया जा रहा है। बैंकों की स्थिति काफी कमजोर हो रही थी। बैंकों की स्थिति सुध्दण करने तथा बैंकों में नगदी की तरलता बढ़े। इसके लिये रिजर्व बैंक ने अपना खजाना खोल दिया है। शेयर बाजार की आय पर कैपिटल गेन लगाने से निवेशकों का रुझान भारतीय शेयर बाजार से खत्म हुआ है। शेयर बाजार में लगातार हो रही गड़बड़ी तथा नियामक संस्था सेबी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किए जाने से विदेशी निवेशकों का भारतीय शेयर बाजार में अब कोई भरोसा नहीं रह गया है। जिसके कारण विदेशी निवेशक अपने अपने निवेश को निकालकर अन्य देशों में निवेश कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में भारतीय बैंकों और शेयर बाजार को सहारा देने के लिए रिजर्व बैंक को आगे आना पड़ा है। रिजर्व बैंक 12 मार्च और 18 मार्च को 100000 करोड रुपए का ओपन मार्केट में बैंकों के जरिए निवेश करेगा। 10 अरब डॉलर की यूएसडी आईएनआर की नीलामी करेगा। रिजर्व बैंक, शेयर बाजार को मजबूती देने के लिए सामने आया है। भारतीय शेयर बाजार को लेकर देशी एवं विदेशी निवेशकों में निराशा का माहौल बना हुआ है। देश की अर्थव्यवस्था इन दोनों सबसे ज्यादा निराशाजनक दौर में है। औद्योगिक उत्पादन 14 महीने में सबसे नीचे लेवल पर है। देसी और विदेशी कर्ज बढ़ता चला जा रहा है। महंगाई, बेरोजगारी का असर बाजार में है। मांग एवं उत्पादन घट रहा है। अमेरिका द्वारा टैरिफ बढाये जाने का असर निर्यात और शेयर बाजार में देखने को मिल रहा है। पिछले कुछ महीनो में शेयर बाजार की गिरावट को रोकने के लिए बैंकों और भारतीय वित्तीय संस्थाओं द्वारा पहिले भी प्रयास किए गए है। शेयर बाजार में जो भी निवेश पिछले दिनों में किया गया, वह देखते ही देखते बाजार से गायब हो गया है। पिछले कुछ वर्षों से शेयर बाजार के लेनदेन में लगातार गड़बड़ियां हो रही है। कृत्रिम तरीके से बाजार में तेजी बनाई गई थी। इसका फायदा बड़े-बड़े पूंजीपतियों ने उठाया है। भारत के शेयर बाजार से मुनाफा वसूली करके भारतीय निवेशकों ने भी अपना धन विदेशों में लगाया है। भारत का विदेशी मुद्रा का भंडार लगातार कम हो रहा है। वैश्विक अस्थिरता के चलते निवेशकों का भारतीय शेयर बाजार पर भरोसा नहीं रहा। जिसके कारण यह माना जा रहा है। रिजर्व बैंक शेयर बाजार को थामने के लिए जो प्रयास कर रहा है। उससे देश की अर्थव्यवस्था भविष्य में और भी बिगड़ सकती है। बिकवाली के इस दौर में निवेशक पैसा निकालेंगे। इससे बाजार में डाला गया धन भी बाजार से निकल जाएगा। केंद्र सरकार को भारतीय शेयर बाजार की गिरावट को रोकने के लिए अपनी नीतियों में परिवर्तन करना होगा। ।कैपिटल गेन टैक्स कम करने या हटाने का निर्णय लेना होगा। नियामक संस्था सेवी के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करनी होगी। निवेशकों को भरोसा दिलाना होगा, शेयर बाजार में उनका निवेश सुरक्षित है। जिस तरह से सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच को बचाने का काम सरकार एवं नियामक संस्था द्वारा किया जा रहा है। उसके कारण भी शेयर बाजार में भगदड़ की स्थिति मची है। ईएमएस / 06 मार्च 25