(जन औषधि दिवस 7 मार्च पर विशेष) प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के अंतर्गत सरकार का उद्देश्य लोगों को ब्रांडेड महंगी दवाइयों के स्थान पर गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाइयां प्रदान करना है। सरकार के प्रयास के बावजूद अभी भी देश में बड़े पैमाने पर जेनेरिक दवाओं का प्रयोग नहीं हो पा रहा है। समय आ गया है कि सामुदायिक स्तर पर जेनेरिक दवाओं को प्रोत्साहित किया जाए। देश में बढ़ती महंगाई के दौर में लोगों को सस्ती और गुणवत्तापरक दवाइयों के जरिए स्वास्थ्य सुरक्षा उपलब्ध कराना बहुत जरूरी है। प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना का मुख्य मकसद जन औषधि परियोजना के तहत देश की जनता को उच्च गुणवत्ता युक्त जैनेरिक दवाईयां सस्ते दामों पर उपलब्ध कराना है। जेनेरिक दवाइयों को बढ़ावा देना जिससे प्रति व्यक्ति इलाज पर खर्च होने वाले व्यय को कम किया जा सके। पिछले 10 वर्षों में जन औषधि परियोजना ने आम जनता के लगभग 30 हजार करोड़ रूपये बचाये है।भारतीय औषधि और चिकित्सा उपकरण ब्यूरो (पीएमबीआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री रवि दाधीच के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 में 1236 करोड़ रूपये की दवाईयाँ जन औषधि केंद्रों के माध्यम से बेची जा चुकी हैं, जिसके माध्यम से देश की आम जनता के लगभग 7000 करोड़ रूपये बचा चुके हैं क्यूंकि जन औषधि केंद्रों पर मिलने वाली दवाइयों की कीमतें बाजार में बिक रही दवाइयों की तुलना में 50 से 80 प्रतिशत तक कम हैं। इसी प्रकार वित्त वर्ष 2023-24 में 1470 करोड़ रूपये की बिक्री की गयी है जिससे आम जनता के लगभग 7350 करोड़ रूपये बचाये गए हैं। चालू वित्त वर्ष में 28.02.2025 तक 1767 करोड़ रूपये की बिक्री कर ली गयी है। पिछले दस वर्षों में जन औषधि केंद्रों की संख्या में लगभग 185 गुना की वृद्धि हुयी है और इसी प्रकार जन औषधि की दवाइयों की बिक्री भी 200 गुना से ज्यादा बढ़ी है। सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत सभी को सस्ते मूल्यों पर गुणवत्ता युक्त जेनेरिक औषधियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और जेनेरिक औषधियों को बढ़ावा देने के लिए, प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र खोले गए हैं । देश भर में 28.02.2025 तक 15,000 से अधिक जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं । इन केंद्रों में सरकार द्वारा खरीदी गयी जेनेरिक दवाइयां बेचीं जा रही हैं जिनके मूल्य खुले बाजार में उपलब्ध ब्रांडेड दवाइयों के मूल्यों की तुलना में 50-80 प्रतिशत तक कम होते हैं। वर्तमान में इन केंद्रों पर 2047 दवाइयां एवं 300 अन्य सर्जिकल आदि उत्पाद उपलब्ध हैं। प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना बिहार के नोडल पदाधिकारी कुमार पाठक के अनुसार प्रधानमंत्री जन औषधि योजना अंतर्गत अभी तक सभी प्रमुख श्रेणियों की दवाईयां जैसे कि मधुमेह, रक्तचाप, गैस्ट्रो ,आदि की दवाएं उपलब्ध् हैं। जनऔषधि केन्द्रो से बिकने वाली दवाइयों के प्रत्येक बैच को एन ए बी एल प्रत्यायित प्रयोगशालाओं से परीक्षण कराया जाता है। वहीं पी. एम्. बी. आई. ने आयुष प्रोडक्ट्स जैसे त्रिफला, शिलाजीत, अश्वगंधा और च्यवनप्राश स्पेशल जैसे प्रोडक्ट्स भी सस्ते दामों पर जन औषधि केंद्रों के जरिये उपलब्ध कराये हैं। पी एम बी आई. अनेक प्रकार के फ़ूड प्रोडक्ट्स जो की एफ एस एस आई के अंतर्गत आते हैं उनको भी जन औषधि केंद्रों पर उपलब्ध करवाता है। पिछले दस वर्षों में जन औषधि केंद्रों की संख्या में लगभग 185 गुना की वृद्धि हुयी है और इसी प्रकार जन औषधि की दवाइयों की बिक्री भी 200 गुना से ज्यादा बढ़ी है। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के अंतर्गत 29 से भी ज्यादा विशिष्ट श्रेणियों की दवाइयों को रखा गया है। जैसे एंटीबायोटिक्स और एंटी-इन्फेक्टिव, एंटी-एलर्जिक, एंटी-कैंसर, गैस्ट्रो-आंत्र एजेंट ,एंटी डायबिटिक, विटामिन और मिनरल्स, कार्डियोवैस्कुलर दवाएं, फ़ूड सप्लीमेंट्स/ न्यूट्रास्यूटिकल्स, एनाल्जेसिक और एंटीपीयरेटिख् टोपिकल मेडिसिन्स इत्यादि। वहीं 300 सर्जिकल उपकरण एवं अन्य उत्पादों को भी रखा गया है। इनमें मास्क, टांके, आर्थोपेडिक रिहैबिलिटेशन प्रोडक्ट्स, डायपर, सर्जिकल ड्रेसिंग, रबर ग्लव्स, सीरिंज और सुई,ऑक्सीमीटर, सैनिटरी नैपकिन, रैपिड एंटीजन टेस्ट किट हैं।इन दवाइयों को डब्लू एच ओ - जी एम पी सर्टिफाइड दवा उत्पादक कंपनियों से ही खरीदा जाता है। देश के हर हिस्से में दवाइयां पहुंचने के लिए एक सुदृढ़ व्यवस्था की गयी है जिसके लिए डब्लू एच ओ गाइडलाइन्स पर आधारित केंद्रीय गोदाम गुरुग्राम एवं चार क्षेत्रीय गोदाम जो की गुवाहाटी, सूरत, चेन्नई एवं बेंगलुरु में उपस्थित हैं। इसके अलावा 36 डिस्ट्रीब्यूटर की भी नियुक्ति की गयी गई है जहाँ से देश भर के जन औषधि केंद्रों को दवाइयां मुहैया कराई जाती है । केंद्रीय गोदाम, क्षेत्रीय गोदाम, डिस्ट्रीब्यूटर एवं जन औषधि केंद्रों को पूरी तरह से एस.ए.पी आधारित सॉफ्टवेयर से जोड़ा गया है साथ ही साथ सभी केन्द्रो पर पॉइंट ऑफ़ सेल सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन भी लगाया गया है जिससे दवाइयों की आपूर्ति ठीक तरह से हो सके एवं देश के किसी भी केंद्र पर दवाइयों की कमी न हो। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना का विस्तार करते हुए अब तक देश में 15000 से अधिक जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं, जन औषधि परियोजना के तहत अब तक पूरे देश के 36 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के सभी जिले इस योजना के तहत लाभान्वित हो चुके हैं। सरकार ने इन केंद्रों की संख्या बढ़ाकर मार्च 2027 तक 25000 करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के द्वारा रोजगार के नए अवसर भी पैदा कर रहा है । जन औषधि केंद्र कोई भी व्यक्तिगत व्यक्ति, फार्मासिस्ट, उद्यमी, एनजीओ, ट्रस्ट, सोसाइटी, इंस्टीटयूशन इत्या्दि, जिनके पास 120 वर्ग फुट की दुकान हो एवं एक प्रशिक्षित फार्मासिस्ट उनके पास हो, जन औषधि केंद्र खोल सकता है। जन औषधि केंद्र खोलने के लिए आवेदन आधिकारिक वेबसाइट janaushadhi.gov.in पर उपलब्ध है। ऑनलाइन आवेदन की व्यवस्था भी वेबसाइट पर उपलब्ध है। आवेदन करने के पश्चात पी. एम्. बी. आई. हेड ऑफिस से प्रिंसिपल अप्रूवल लेटर जारी किया जाता है जिसके आधार पर प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र के नाम पर लाइसेंस लेने के लिए लाइसेंसिंग अथॉरिटी को अप्लाई कर सकते हैं। लाइसेंस मिलने के बाद आप पी. एम्. बी. आई. से दवाइयां ले सकते हैं।जन औषधि केंद्र संचालक को सरकार की तरफ से मासिक खरीद पर 20% की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाती है, जिसकी अधिकतम सीमा 20,000/- रुपये प्रति माह होगी। इसे दवाओं की न्यूनतम भंडारण अनिवार्यता से जोड़ा गया है। महिला उद्यमी, विकलांग, सेवानिवृत सैनिक, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति, नार्थ ईस्टर्न स्टेट्स, पर्वतीय क्षेत्रों के आवेदकों को 2.00 लाख रूपये की वित्तीय सहायता उनको केंद्र तैयार करने के लिए अलग से दी जाती है। बिक्री करने के लिए एक सॉफ्टवेयर भी दिया जाता है। प्रचार-प्रसार सामग्री भी केंद्र संचालक को उपलब्ध कराई जाती है। उद्यमिता और फ्रेंचाइजी मॉडल पर आधारित यह योजना नियमित कमाई के साथ-साथ स्वरोजगार का एक अच्छा स्रोत भी प्रदान कर रही है। भारत में जेनेरिक दवाओं के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं, इसलिए नियमित आधार पर बिक्री बढ़ रही है जिससे उद्यमियों को अधिक आय का लाभ हो रहा है। ग्रामीण कवरेज के लिए, देश के आंतरिक हिस्सों में परियोजना का लाभ लोगों तक पहुँचाने के लिए पीएमबीजेपी को सहकारी क्षेत्र के साथ एकीकृत किया गया है। इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं और उद्यमियों को पीएमबीजेपी का लाभ पहुंचाना है जो अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं। 28 फ़रवरी 2025 तक 2700 से ज्यादा पैक्स को जन औषधि केंद्र खोलने हेतु प्रारंभिक अनुमोदन पत्र दिया गया है जिनमें से 727 जन औषधि केंद्र खुल चुके हैं। पिछले 10 वर्षों में उद्यमियों को रुपये 297.95 करोड़ की कुल प्रोत्साहन राशि वितरित हुई है। इसके अलावा, बिक्री का मार्जिन, एमआरपी का 20 फीसदी की दर से रुपये 1394.70 करोड़ केंद्र मालिकों के पास भी पहुंचा हैं। इस प्रकार न केवल नागरिकों को बल्कि उद्यमियों को भी इस तरह की वित्तीय सहायता से बड़े पैमाने पर लाभ हुआ है, और उन्होंने सफलतापूर्वक केंद्रों की श्रृंखला स्थापित कर ली है। योजना की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोग और मीडिया का एक वर्ग इन दवाओं को मेडिसिन के नाम से संदर्भित कर रहे है। इसके अलावा, आम आदमी जनऔषधि केंद्र को प्रधानमंत्री जी की दुकान के रूप में संदर्भित कर रहा है। महिला स्वस्थ्य सुरक्षा का संज्ञान लेते हुए भारत सरकार ने जन औषधि सुविधा सेनेटरी पैड महिला दिवस 2019 पर लॉंच किया था, जिसकी बिक्री सभी जन औषधि केंद्रों से शुरू हो गयी है और अब यह पैड्स सरकार ने 1/- रुपये प्रति पैड उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।यह चार पैड का पैक है, जिसका मूल्य 4/- रूपये रखा गया है। शुरुआत से लेकर 28.02.2025 तक इन केंद्रों के माध्यम से 74.50 करोड़ से अधिक जनऔषधि सुविधा सेनेटरी पैड बेचे गए। प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के तहत जन औषधि सुगम मोबाइल एप्लीकेशन भी लांच किया गया है जो गूगल प्ले स्टोर एवं एप्पल स्टोर पर उपलब्ध है। इस मोबाइल एप्लीकेशन के द्वारा अब आप अपनी जरुरत की दवाइयों की जानकारी जैसे की उनकी कीमत, उपलब्धता एवं अपने नजदीकी जन औषधि केंद्र की जानकारी कभी भी कहीं भी प्राप्त कर सकते हैं। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना में हमेशा नए उत्पादों को भी शामिल करते रहते हैं जैसे कि प्रोटीन पाउडर, माल्ट-बेस्ड फूड सप्लीमेंट, आयुष उत्पाद एवं दूसरे अन्य नए उत्पाद जैसे की, ऑक्सीमीटर, रैपिड एंटीजन टेस्ट किट इत्यादि को भी शामिल किया गया है। फार्मास्यूटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेस ब्यूरो ऑफ इंडिया, जो कि प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना की संचालक संस्था है, हमेशा अपने ग्राहकों, क्षेत्रीय अधिकारियों एवं अन्य हितधारकों के द्वारा दिए गये सुझावों के आधार पर नए उत्पादों को जोड़ने का एवं जन औषधि केन्द्रों से सस्ते मूल्यों पर उपलब्ध कराने का निरंतर प्रयास करती रहती है। ईएमएस / 06 मार्च 25