मुंबई, (ईएमएस)। उज़्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद स्थित लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्कृति केंद्र में गुरुवार दिनांक 27 फ़रवरी को दोपहर 3 बजे एक गरिमामयी कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें भारतीय भाषाओं के वरिष्ठ विद्वानों को सम्मानित किया गया। यह कार्यक्रम भारतीय दूतावास और संस्कृति केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया था। इस ऐतिहासिक आयोजन का उद्देश्य भारतीय भाषाओं के संरक्षण, संवर्धन और वैश्विक स्तर पर उनके प्रचार-प्रसार में योगदान देने वाले विद्वानों को सम्मानित करना था। कार्यक्रम में भारत और उज्बेकिस्तान के कई गणमान्य व्यक्तियों, राजनयिकों, साहित्यकारों, शिक्षाविदों और भाषा विशेषज्ञों ने शिरकत की। इस अवसर पर भारतीय राजदूत स्मिता पंत, ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज के आमंत्रित प्रोफेसर, अमेरिकन यूनिवर्सिटी से डॉ परवीन कुमार, स्थानीय प्रशासन के कई अधिकारी और भारतीय संस्कृति केंद्र के कार्यवाहक निदेशक एम.श्रीनिवासन जी उपस्थित रहे। भारतीय राजदूत स्मिता पंत जी ने अपने संबोधन में कहा,आज का यह आयोजन उन विद्वानों के प्रति आभार प्रकट करने का अवसर है, जिन्होंने अपनी पूरी जीवन-यात्रा भारतीय भाषाओं को समर्पित कर दी। ये विद्वान भारत के सांस्कृतिक राजदूत हैं । सम्मानित होने वाले भारतीय भाषाविदों में कुछ ऐसे विद्वान भी थे जो अब जीवित नहीं हैं। उनके परिवार के सदस्यों ने उनके प्रतिनिधि के रूप में पुरस्कार स्वीकार किया। ऐसे विद्वानों में मोहम्मदजोनोव रहमोनबेरदी, गियासोव तैमूर, युल्दाशेव सादुल्ला, गुलोमोवो रानो, शमातोव आजाद, अमीर फैजुल्ला, नसरुल्लाएव जियादुल्ला और इब्राहिमोव असरुद्दीन शामिल रहे। अन्य सम्मानित विद्वानों में शिरीन जलीलोवा, आबिदो बख्तियोर, मिर्जैव शिरॉफ, निजामुद्दीनो नजमुद्दीन, रहमतो बयोत, रहमतो सेवार, मुहर्रम मिर्जेवा, सादिकोवा मौजूदा तथा कासीमोव अहमदजान शामिल रहे। सम्मान स्वरूप नगद राशि और पुष्पगुच्छ भेंट किया गया। सम्मान के बाद कुछ विद्वानों ने सब की तरफ से आभार प्रकट किया। ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज में हायर स्कूल विभाग प्रमुख डॉ.निलुफर खोजएवा ने ऐसे आयोजनों की सार्थकता पर बल देते हुए दूतावास के प्रति आभार जताया। आईसीसीआर हिन्दी चेयर पर कार्यरत डॉ.मनीष कुमार मिश्रा ने उज़्बेकिस्तान से शुरू हुए ताशकंद संवाद नामक पहले हिन्दी ब्लॉग की जानकारी दी तथा डिजिटल रूप में सभी उज़्बेकी भारतीय भाषाविदों के साक्षात्कार को संरक्षित करने की योजना भी बताई। पूरे कार्यक्रम का सफ़ल संचालन डॉ.कमोला ने किया जिनकी तकनीकी सहायक मोतबार जी रहीं। अंत में लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्कृति केंद्र के कार्यवाहक निदेशक एम.श्रीनिवासन जी ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। समूह फोटो तथा स्नेह भोज के साथ यह कार्यक्रम समाप्त हुआ। इस तरह यह सम्मान समारोह भारतीय भाषाओं के प्रति समर्पित व्यक्तियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना और यह संदेश दिया कि भारतीय भाषाएं केवल भारत की नहीं, बल्कि पूरे विश्व की धरोहर हैं। संतोष झा- २८ फरवरी/२०२५/ईएमएस