नई दिल्ली (ईएमएस)। 40 प्रतिशत से अधिक स्कूली बच्चे मोटापे से ग्रस्त हैं, जिसमें लड़कियों का वजन लड़कों की तुलना में अधिक है। हाल ही में हुए सर्वे के अनुसार 44 प्रतिशत महिलाएं और 38 प्रतिशत पुरुष मोटापे से जूझ रहे हैं। भारत दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा ओवरवेट लोगों वाला देश बन गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं को अक्सर यह गलतफहमी होती है कि घरेलू काम करने से उनकी शारीरिक गतिविधि पूरी हो जाती है, लेकिन मोटापा एक साइलेंट बीमारी की तरह शरीर के हर अंग को प्रभावित करता है। यह डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, लिवर की समस्याओं और हृदय रोगों को बढ़ावा देता है। विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं में डायबिटीज और मोटापे का खतरा 1.5 गुना अधिक होता है, क्योंकि वे घरेलू कामकाज को ही व्यायाम मानती हैं, जबकि वास्तव में यह पर्याप्त शारीरिक गतिविधि नहीं होती। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट की शारीरिक गतिविधि जरूरी होती है, जिसमें तेज गति से चलना, योग या कोई अन्य व्यायाम शामिल होना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि व्यक्ति अपने वजन में 5 से 7 प्रतिशत की भी कमी लाता है, तो यह कई स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने में मददगार हो सकता है। रिसर्च के अनुसार, मोटापा केवल वजन बढ़ाने तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह दिमाग, फेफड़े, हृदय और आंखों तक पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। यह कोलेस्ट्रॉल बढ़ाकर हृदय संबंधी बीमारियों का कारण बनता है और खासतौर पर टाइप-2 डायबिटीज को जन्म देता है। इससे एकाग्रता में कमी, डिमेंशिया जैसी मानसिक समस्याएं और फेफड़ों की कार्यक्षमता पर असर पड़ सकता है, जिससे हार्ट फेलियर की संभावना भी बढ़ जाती है। हेल्थ सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक, पांच साल से कम उम्र के 1.9 प्रतिशत बच्चे मोटापे से ग्रस्त हैं, और यदि यही जीवनशैली बनी रही तो आने वाले वर्षों में यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अनियमित खानपान और शारीरिक गतिविधियों की कमी मोटापे के सबसे बड़े कारण हैं। लोग अपनी डाइट को हेल्दी समझते हैं, लेकिन असल में उनकी थाली में पोषण की कमी होती है। साथ ही, अधिकतर लोगों की जीवनशैली स्थिर हो गई है, जहां वे लंबे समय तक बैठकर काम करते हैं, जिससे मोटापे की समस्या और गंभीर होती जा रही है। सुदामा/ईएमएस 20 फरवरी 2025