अब तक ऐसे 28 मामले निरस्त कर चुका है इंदौर का कुटुंब न्यायालय -::कुटुंब न्यायालय की पांच में से चार पीठ मामलों की सुनवाई हिंदू विवाह अधिनियम के तहत ही कर रही, एक पीठ ने किया सुनवाई से इन्कार::- इन्दौर (ईएमएस) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खंडपीठ इन्दौर में जस्टिस विवेक रूसिया व जस्टिस गजेंद्रसिंह की डबल बेंच ने जैन धर्मावलंबियों के विवाह विवाद प्रकरण हिंदू विवाह अधिनियम के तहत नहीं मानते हुए निरस्त करने पर रोक लगाते इस बारे में कुटुंब न्यायालय को निर्देश दिया है कि इस पर अब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट निर्णय करेगा। प्रकरण में हाइकोर्ट ने न्यायमित्र भी नियुक्त किये है जो इस पूरे मामले में विस्तृत अध्ययन कर न्यायालय की सहायता करेंगे। बता दें कि इंदौर कुटुंब न्यायालय द्वारा जैन समाज के पक्षकारों की विवाह विच्छेद याचिकाएं यह कहते हुए निरस्त कर दी थीं कि केंद्र सरकार ने जैन समाज को अल्पसंख्यक समुदाय घोषित कर 27 जनवरी 2014 को इसके बारे में राजपत्र भी जारी कर दिया था ऐसी स्थिति में जैन समाज के अनुयायियों को हिंदू विवाह अधिनियम के तहत अनुतोष प्राप्त करने का अधिकार नहीं है। वे हिंदू धर्म की मूलभूत वैदिक मान्यताओं को अस्वीकार करने वाले हैं व स्वयं को हिंदू से अलग कर चुके हैं। ऐसे में, उनसे जुड़े वैवाहिक मामलों का निराकरण हिंदू विवाह अधिनियम के तहत नहीं किया जा सकता। कुटुंब न्यायालय के इस फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को बताया गया कि वर्ष 2014 में जैन समाज को अल्पसंख्यक घोषित किया था लेकिन फिर भी तब से अब तक इनसे जुड़े वैवाहिक मामलों का निराकरण हिंदू विवाह अधिनियम के तहत ही होता आ रहा है। यह पहला मौका है, जब कुटुंब न्यायालय ने कोई याचिका निरस्त की है। यही नहीं हाइकोर्ट के संज्ञान में इस बात को भी लाया गया कि कुटुंब न्यायालय की पांच में से चार पीठ जैन धर्मावलंबियों के मामलों की सुनवाई हिंदू विवाह अधिनियम के तहत ही कर रही हैं केवल एक पीठ ने ऐसे मामलों की सुनवाई हिंदू विवाह अधिनियम से करने से इन्कार करते हुए अब तक 28 अलग-अलग याचिकाएं निरस्त कर दी हैं। याचिकाकर्ता की बात सुनने के बाद युगल पीठ ने कुटुंब न्यायालय को उक्त निर्देश दिया। याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख 18 मार्च नियत की गई है। आनन्द पुरोहित/ 18 फरवरी 2025