राष्ट्रीय
18-Feb-2025
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नई दिल्ली(ईएमएस)। भारत के लिए अमेरिका और ब्रिक्स दोनों ही महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उनके साथ संबंधों का संतुलन साधना एक बड़ी चुनौती है। भारत को अमेरिका के साथ अपने आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को मजबूत बनाए रखना होगा, विशेष रूप से टेक्नोलॉजी, रक्षा और व्यापार के क्षेत्रों में। वहीं, ब्रिक्स को बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था को बढ़ावा देने और विकासशील देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए एक मंच के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। भारत की विदेश नीति के लिए यह संतुलन ही सबसे अहम कूटनीतिक रणनीति होगी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सख्त व्यापारिक रुख ने भारत के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। ट्रंप ने भारत पर जवाबी टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है, जिससे दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है। अमेरिका का मानना है कि भारत कई उत्पादों पर ज्यादा टैरिफ लगाता है, जबकि अमेरिकी बाजारों में भारतीय कंपनियों को विशेष रियायतें मिलती हैं। ट्रंप पहले ही स्टील और एल्युमिनियम के आयात पर शुल्क बढ़ाकर भारतीय निर्यातकों को झटका दे चुके हैं। इस बीच, भारत ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) का भी अहम हिस्सा है, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहा है। ब्रिक्स भारत को वैकल्पिक वित्तीय तंत्र तक पहुंच देता है, जिससे पश्चिमी देशों पर उसकी निर्भरता कम होती है। इसके अलावा, ब्रिक्स भारत को नए बाजारों तक पहुंच प्रदान करता है और वैश्विक मंच पर अपनी आवाज बुलंद करने का अवसर देता है। खासकर चीन के साथ भारत के जटिल रिश्तों के बीच ब्रिक्स एक संतुलन बनाए रखने में मददगार हो सकता है। दूसरी ओर,अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2023 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 190.08 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें 123.89 अरब डॉलर का वस्तु व्यापार और 66.19 अरब डॉलर का सेवा व्यापार शामिल था। दोनों देशों ने 2030 तक इस व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। अमेरिका भारत में निवेश का एक प्रमुख स्रोत भी है और रक्षा, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के क्षेत्रों में दोनों देशों का घनिष्ठ सहयोग है। वीरेंद्र/ईएमएस 18 फरवरी 2025