बांदा,(ईएमएस)। वक्त का परिंदा कब कहां किसे उड़ा ले जाए कोई नहीं जानता। बांदा की शहजादी को भी वक्त ने उड़ाया और दुबई पहुंचा दिया। जहां उसे एक बच्चे की देखरेख के लिए नौकरी पर रखा गया। किसी कारण से बच्चे की मौत हो गई, लेकिन जिम्मेदारी शहजादी पर डालते हुए केस दर्ज करा दिया गया। अंतत: उसे फांसी की सजा सुनाते हुए रविवार को फांसी देने का अंतिम आदेश भी दे दिया गया। इससे पहले शहजादी ने गांव गोयरा में माता पिता से फोन पर बात की और कहा कि अम्मी-अब्बू आप दोनों को बहुत-बहुत प्यार। अगले जनम में फिर मिलूंगी। उसकी मर्जी के सामने किसी की मर्जी नहीं चलती। शहजादी की मौत की खबर के बाद से गांव में मातम छा गया है। दुबई की अबू धाबी जेल में शहजादी ने अपने माता-पिता को सांत्वना देते हुए कहा, अम्मी-अब्बू, परवरदिगार की यही मर्जी थी, आप रोना मत। बांदा जिले के गोयरा मुगली गांव की रहने वाली शहजादी वर्ष 2021 में नौकरी के लिए अबू धाबी गई थी। उसे आगरा निवासी उजैर ने लग्जरी लाइफ का लालच देकर अबू धाबी भेजा था। वहां उसे एक दंपति फैज और नादिया के हवाले कर दिया गया। वहां शहजादी को उनके चार महीने के बच्चे की देखरेख की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। एक दिन बच्चे की अचानक मौत हो गई। दंपति ने इस मौत का जिम्मेदार शहजादी को ठहराया। कोर्ट में केस दर्ज करा दिया। अबू धाबी की कोर्ट ने मामले की जांच के बाद शहजादी को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई। शहजादी के पिता सब्बीर खान का कहना है कि बच्चे की मौत गलत इलाज की वजह से हुई थी, लेकिन दंपति ने इसे कत्ल करार दे दिया। उन्होंने अपनी बेटी को बचाने के लिए सरकार और प्रशासन से कई बार अपील की, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। वीरेंद्र/ईएमएस/16फरवरी2025