-भारतीय वैज्ञानिकों ने किया क्रायोस्टेट फ्रीजर का निर्माण जो रिएक्टर को करेगा ठंडा नई दिल्ली (ईएमएस)। फ्रांस में चल रहे दुनिया के सबसे महंगे वैज्ञानिक प्रयोग इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (आईटीईआर) प्रोजेक्ट को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल ही में दौरा किया है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य एक ऐसा ‘छोटा सूरज’ बनाना है, जो असीमित ऊर्जा उत्पन्न करेगा और कभी खत्म नहीं होगा। इस प्रोजेक्ट में भारत समेत 30 देश हिस्सेदार हैं। इसमें दुनिया का सबसे बड़ा टोकामक यानी डोनट के आकार का प्लाज्मा नियंत्रित करने वाला डिवाइस बनाया जा रहा है, जो 500 मेगावाट ऊर्जा पैदा करेगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तकनीक जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता खत्म कर स्वच्छ ऊर्जा की राह खोलेगी। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2006 में हुई थी और इसकी लागत शुरू में 5 अरब डॉलर थी, जो अब बढ़कर 22 अरब डॉलर पर पहुंच गई है। अमेरिका के ऊर्जा विभाग के मुताबिक यह लागत 65 अरब डॉलर तक जा सकती है। उम्मीद है कि यह रिएक्टर 2039 तक पूरी तरह काम करना शुरू कर देगा। भारत इस प्रोजेक्ट में 10 फीसदी की हिस्सेदारी निभा रहा है और 17,500 करोड़ रुपए का योगदान दे रहा है। भारतीय वैज्ञानिकों ने इसमें क्रायोस्टेट फ्रीजर का निर्माण किया है, जो रिएक्टर को ठंडा रखने में मदद करेगा। लार्सन एंड टुब्रो द्वारा निर्मित यह दुनिया का सबसे बड़ा क्रायोस्टेट है। इस प्रोजेक्ट से भारत को न्यूक्लियर फ्यूजन टेक्नोलॉजी तक पूरी पहुंच होगी, जिससे भविष्य में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ी क्रांति आ सकती है। सिराज/ईएमएस 15 फरवरी 2025