-सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए किया सवाल नई दिल्ली,(ईएमएस)। देश में कई सांसद और विधायक हैं जिन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद कोई व्यक्ति संसद में कैसे लौट सकता है। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये सवाल किया है, जिसमें मांग की गई कि देश में सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटारे के अलावा दोषी नेताओं पर आजीवन बैन लगाने का अनुरोध किया है। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने इसलिए मुद्दे पर भारत के अटॉर्नी जनरल से मदद मांगी है। चुनौती देने पर केंद्र और भारत के निर्वाचन आयोग से तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि एक बार जब उन्हें दोषी ठहराया जाता है और दोषसिद्धि बरकरार रखी जाती है तो लोग संसद और विधानमंडल में कैसे वापस आ सकते हैं? इसका उन्हें जवाब देना होगा। इसमें हितों का टकराव भी स्पष्ट है। वे कानूनों की पड़ताल करेंगे। बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कानूनों की समीक्षा करेगा। पीठ ने आगे कहा कि हमें जनप्रतिनिधित्व के बारे में जानकारी होनी चाहिए। यदि कोई सरकारी कर्मचारी भ्रष्टाचार या राज्य के प्रति निष्ठाहीनता का दोषी पाया जाता है तो उसे व्यक्ति के रूप में भी सेवा के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता, लेकिन मंत्री बन सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक 543 लोकसभा सांसदों में से 251 पर आपराधिक मामले चल रहे हैं। उनमें से 170 पर ऐसे अपराध हैं, जिनमें 5 या ज्यादा साल की कैद की सजा हो सकती है। इसके अलावा देश के कई ऐसे विधायक हैं जिन पर केस होने के बाद भी विधायक बने हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक पूर्ण पीठ ने सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटारे पर फैसला सुनाया था, इसलिए खंडपीठ द्वारा मामले को फिर से खोलना अनुचित होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को एक बड़ी पीठ के विचार करने के लिए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के समक्ष रखने का निर्देश दिया। कोर्ट की न्याय मित्र के रूप में मदद कर रहे सीनियर एडवोकेट विजय हंसारिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से समय-समय पर दिए आदेशों और हाईकोर्ट की निगरानी के बावजूद सांसदों-विधायकों के खिलाफ बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं। सिराज/ईएमएस 11फरवरी25