विश्व के कुछ देशों में सत्ता परिवर्तन के बाद आर्थिक क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हुए दिखाई दे रहे हैं। विशेष रूप से अमेरिका में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प विभिन्न देशों को लगातार धमकी दे रहे हैं कि वे इन देशों से अमेरिका में होने वाले आयात पर कर की दर में वृद्धि कर देंगे। दिनांक 4 फरवरी 2025 से कनाडा एवं मेक्सिको से अमेरिका में होने वाले उत्पादों के आयात पर 20 प्रतिशत एवं चीन से होने वाले आयात पर 10 प्रतिशत का आयात कर लगा दिया है। वैश्विक स्तर पर उक्त प्रकार की उथल पुथल के अतिरिक्त रूस यूक्रेन युद्ध जारी ही है एवं कुछ समय पूर्व तक हमास इजराईल युद्ध भी चलता ही रहा था। वैश्विक स्तर पर उक्त विपरीत परिस्थितियों के बीच भी भारत, अपनी आर्थिक विकास दर को कायम रखते हुए, विश्व की सबसे तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है। हां, वित्तीय वर्ष 2024-25 की प्रथम दो तिमाहियों में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर गिरकर 5.2 प्रतिशत एवं 5.3 प्रतिशत क्रमशः के आसपास रही है। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है। यदि भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है तो आगे आने वाले दो दशकों तक आर्थिक विकास दर को 8 प्रतिशत से ऊपर रखना आवश्यक होगा। अतः केंद्र सरकार द्वारा भारत की आर्थिक विकास दर को इस वित्तीय वर्ष की दो तिमाहियों में दर्ज की गई लगभग 5.3 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर को 8 प्रतिशत से ऊपर ले जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। अभी हाल ही में केंद्र सरकार की वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामन ने लोक सभा में वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट पेश किया है। इस बजट के माध्यम से ऐसे कई निर्णय लिए गए हैं जिससे देश की आर्थिक विकास दर पुनः एक बार 8 प्रतिशत से ऊपर निकल जाए। दरअसल, आज देश में उत्पादों की मांग को बढ़ाना अति आवश्यक है जो पिछले कुछ समय से लगातार कम होती दिखाई दे रही है। इसके लिए आम नागरिकों के हाथों में अधिक धनराशि उपलब्ध रहे, ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं। जैसे, आयकर की सीमा को वर्तमान में लागू सीमा 7 लाख रुपए प्रतिवर्ष से बढ़ाकर वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 12 लाख रुपए प्रतिवर्ष कर दिया गया है। साथ ही, आय पर लगने वाले कर की दर को भी बहुत कम कर दिया गया है। इस प्रकार लगभग 1 करोड़ मध्यमवर्गीय करदाताओं को लगभग 1.10 लाख रुपए तक प्रतिवर्ष का अधिकतम लाभ होने जा रहा है। इस राशि से विभिन्न उत्पादों का उपभोग बढ़ेगा एवं देश की आर्थिक विकास दर में तेजी दिखाई देगी। हालांकि इससे केंद्र सरकार के बजट पर एक लाख करोड़ रुपए का भार पड़ेगा। परंतु, फिर भी बजटीय घाटा वित्तीय वर्ष 2024-25 में 5.8 प्रतिशत से घटकर वित्तीय वर्ष 2025-26 में 5.4 प्रतिशत रहने की सम्भावना व्यक्त की गई है। अतः देश की वित्तीय स्थिति को सही दिशा दिए जाने के सफल प्रयास हो रहे हैं। विनिर्माण के क्षेत्र को गति देना भी आज की आवश्यकता है। राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन भी चलाए जाने का प्रस्ताव है। आज देश में एक करोड़ से अधिक सूक्ष्म, मध्यम एवं लघु उद्योग हैं जो 7.5 करोड़ नागरिकों को रोजगार उपलब्ध कर रहे हैं एवं भारत के कुल उत्पादन में 36 प्रतिशत का योगदान दे रहे हैं तथा देश से होने वाले विभिन्न उत्पादों के निर्यात में भी 45 प्रतिशत की भागीदारी इन उद्योगों की रहती हैं। कुल मिलाकर भारत आज अपनी इन कम्पनियों को वैश्विक स्तर पर ले जाना चाहता है। भारत में आज निर्यात प्रोत्साहन मिशन को चालू किया जा रहा है ताकि भारत की कम्पनियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिले। इसी प्रकार भारत को वैश्विक स्तर पर खिलौना उत्पादन के केंद्र के रूप में विकसित किये जाने के प्रयास भी किये जा रहे हैं। केवल एक दशक पूर्व भारत में खिलौनों का शुद्ध आयात होता था आज भारत खिलौनों का शुद्ध निर्यातक देश बन गया है। पिछले 10 वर्षों में भारत में खिलौनों के निर्यात में 200 प्रतिशत की वृद्धि एवं खिलौनों के आयात में 52 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई है। भारत ने 15 करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि के खिलौनों का निर्यात किया है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन क्षेत्र का योगदान लगभग 5 प्रतिशत है। विशेष रूप से वाराणसी, श्री अयोध्या धाम, उज्जैन एवं महाकुम्भ, प्रयागराज में पर्यटकों के लिए विकसित की गई आधारभूत सुविधाओं के बाद इन सभी शहरों की पहचान धार्मिक पर्यटन के केंद्र के रूप में पूरे विश्व में कायम हुई है। आज आध्यात्म की ओर पूरा विश्व ही आकर्षित हो रहा है अतः भारत में अन्य धार्मिक केंद्रों को भी इसी तर्ज पर विकसित किया जाना चाहिए जिससे विभिन्न देशों के नागरिक भी इन धार्मिक स्थलों पर आ सकें एवं जिससे देश के धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिल सके। वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 2,541 करोड़ रुपए की राशि का आबंटन किया गया है जबकि वित्तीय वर्ष 2024-25 में 850 करोड़ रुपए की राशि आबंटित की गई थी। भारतीय पर्यटन उद्योग का आकार 25,600 करोड़ अमेरिकी डॉलर का है, जो कि बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। उत्तर पूर्व के राज्यों से लेकर जम्मू एवं कश्मीर तक 50 नए पर्यटन केंद्र विकसित किए जा रहे हैं। यह ऐसे पुराने पर्यटन केंद्र हैं जिनकी पहचान कहीं खो गई है। अब इन पर्यटन केंद्रों पर आधारभूत सुविधाओं को विकसित किये जाने की योजना बनाई जा रही है। इन केंद्रो पर पहुंच को आसान बनाने के उद्देश्य से यातायात के साधनों का विकास किया जाएगा, सर्वसुविधा सम्पन्न होटलों का निर्माण किया जाएगा, एवं इन स्थलों पर अन्य प्रकार की समस्त सुविधाएं पर्यटकों को उपलब्ध कराई जाएंगी। साथ ही, भारत में मेडिकल पर्यटन को भी बढ़ावा दिया जा सकता है क्योंकि विकसित देशों की तुलना में भारत में विभिन्न बीमारियों का उच्चस्तरीय इलाज बहुत ही सस्ते दामों पर उपलब्ध है। और फिर, भारतीय नागरिकों के डीएनए में ही सेवा भावना भरी हुई है, अतः इन देशों के नागरिकों को भारत में इलाज कराने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। वैश्विक स्तर पर मेडिकल पर्यटन का आकार 13,700 करोड़ अमेरिकी डॉलर का है। अतः भारत में मेडिकल पर्यटन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इससे पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार के करोड़ों नए अवसर निर्मित किए जा सकते हैं। इसी प्रकार भारत में सुरक्षा के क्षेत्र में भी अपार सम्भावनाएं मौजूद हैं। भारत अभी तक अपनी सुरक्षा सम्बंधी आवश्यकताओं के लिए सुरक्षा उपकरणों का बड़ी मात्रा में आयात करता रहा है। परंतु, पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए चलाए जा रहे अभियान का स्पष्ट असर अब दिखाई देने लगा है और भारत आज मिसाईल सहित कई सुरक्षा उपकरणों का निर्यात करने लगा है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए केंद्र सरकार के बजट में सुरक्षा क्षेत्र के लिए 4.92 लाख करोड़ रुपए की भारी भरकम राशि का आबंटन किया गया है, साथ ही, पूंजीगत खर्चों में भी सुरक्षा क्षेत्र के लिए 2 लाख करोड़ रुपए के बजट का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार, देश में अधोसंरचना को और अधिक मजबूत बनाने के उद्देश्य से पूंजीगत खर्चों को भी 11.20 लाख करोड़ रुपए के स्तर पर रखा गया है। साथ ही, सरकारी उपक्रमों एवं निजी क्षेत्र की कम्पनियां भी अपने पूंजी निवेश को बढ़ाने का प्रयास यदि करती हैं एवं विदेशी कम्पनियों द्वारा किए जाने वाले विदेशी निवेश को मिलाकर पूंजीगत मदों पर खर्चे को 15 लाख करोड़ रुपए की राशि तक ले जाया जा सकता है। इसके लिए देश में ईज आफ डूइंग बिजनेस को अधिक आसान बनाना होगा एवं पुराने कानूनों को हटाकर उद्योग मित्र कानून बनाए जाने की आवश्यकता है। चूंकि विश्व के कई देशों, विशेष रूप से विकसित देशों, में प्रौढ़ नागरिकों की संख्या लगातार बढ़ रही है अतः इन देशों में युवाओं की संख्या में कमी के चलते विभिन्न संस्थानों में कार्य करने वाले नागरिकों की कमी हो रही है। अतः भारत को पूरे विश्व में कौशल से परिपूर्ण युवाओं के केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। जापान, ताईवान, इजराईल, वियतनाम सहित कई विकसित देशों ने तो भारत से कौशल से परिपूर्ण इंजनीयर्स, डॉक्टर एवं नर्सों की मांग भी की है। आज भारत पूरे विश्व को ही कौशल से परिपूर्ण युवाओं को उपलब्ध कराने की क्षमता रखता है। साथ ही, देश में रोजगार के अधिकतम अवसर निर्मित हों, इसके प्रयास भी किए जा रहे हैं। विशेष रूप से रोजगार उन्मुख क्षेत्रों, यथा, कृषि, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (टेक्स्टायल उद्योग, फूटवेयर उद्योग, खिलोना उद्योग, पर्यटन उद्योग, आदि सहित) एवं सेवा क्षेत्र पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। साथ ही, स्टार्ट अप को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 10,000 करोड़ रुपए का विशेष फंड बनाया गया है ताकि स्टार्ट अप को भारत में सफल बनाया जा सके। देश में स्टार्ट अप के माध्यम से भी लाखों नए रोजगार निर्मित हो रहे हैं। इस फंड में केंद्र सरकार एवं निजी क्षेत्र ने मिलकर भागीदारी की है। अभी तक 1,100 से अधिक स्टार्ट अप ने इस फंड का लाभ उठाया है। इसी प्रकार, केंद्र सरकार चाहती है कि वैश्विक स्तर पर भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स (एआई) का केंद्र बने। एआई के क्षेत्र में भारतीय इंजीनियरों में कौशल विकास के उद्देश्य से वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 500 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध कराई जा रही है एवं इस सम्बंध में 13 नए कौशल विकास केंद्रों की स्थापना भी की जा रही है। देश में हाल ही के समय में सरकारी कम्पनियों की कार्यप्रणाली में बहुत सुधार हुआ है एवं अब इन कम्पनियों की लाभप्रदता में अतुलनीय सुधार दिखाई दिया है और आज यह कपनियां केंद्र सरकार को लाभांश की मद में भारी भरकम राशि प्रदान करने लगी हैं। वरना, एक समय था जब प्रतिवर्ष केंद्र सरकार को इन कम्पनियों को चलायमान रखने के उद्देश्य से भारी भरकम राशि का निवेश करना होता था। वित्तीय वर्ष 2025-26 में भारतीय रिजर्व बैंक सहित केंद्र सरकार के विभिन्न उपक्रमों द्वारा केंद्र सरकार को 2.56 लाख करोड़ रुपए की राशि का लाभांश प्रदान करने की सम्भावना व्यक्त की गई है। इसी प्रकार, केंद्र सरकार के कई उपक्रमों द्वारा अपनी संपतियों का मौद्रीकरण किया जा रहा है। केंद्र सरकार के इन उपक्रमों द्वारा लगभग 6 लाख करोड़ रुपए की राशि का मौद्रीकरण किया गया है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए विनिवेश के लक्ष्य को भी बढ़ाकर 47,000 करोड़ रुपए किया गया है जो वर्ष 2024-25 के लिए संशोधित अनुमान के अनुसार 33,000 करोड़ रुपए का था। (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है) ईएमएस / 05 फरवरी 25